भारत में केरोना वैक्सीन का इंतजार जल्द होगा खत्म, आम लोगों तक टीके की उपलब्धता में लगेगा समय (दैनिक जागरण)

Bhupendra Singh

कोरोना महामारी का न तो सरकारें अकेले मुकाबला कर सकती हैं और न ही उनके प्रशासनिक तंत्र। यह चुनौती लोगों से अपने स्तर पर सजग-सचेत रहने की मांग करती है। उनकी ढिलाई इस महामारी के प्रकोप को बढ़ाएगी और चुनौतियों को गंभीर बनाने का काम करेगी।


ब्रिटेन में कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए फाइजर की वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिलना पूरी दुनिया के लिए उम्मीद बढ़ाने वाली सूचना है। ऐसी किसी सूचना का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। वैक्सीन के विकास में शामिल विज्ञानियों के साथ ही हर उस व्यक्ति को बधाई जिसने इस पड़ाव तक पहुंचने में योगदान दिया, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि कोरोना महामारी की चुनौती अभी भी गंभीर बनी हुई है। ब्रिटिश सरकार के फैसले से एक उत्साहजनक शुरुआत होती दिख रही है और उम्मीद की जाती है कि अन्य कंपनियां भी जल्द ही इसी दिशा में आगे बढ़ती नजर आएंगी। इन सभी कंपनियों का लक्ष्य यही होना चाहिए की पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाली और लोगों को हर स्तर पर प्रभावित करने वाली इस महामारी से जल्द से जल्द निजात मिले। इसके साथ ही यह भी अपेक्षा की जाती है कि वैक्सीन के विकास की दिशा में काम कर रही कंपनियों के बीच आपसी सहयोग भी कायम हो, क्योंकि यह बार-बार रेखांकित किया जा रहा है कि कोरोना जैसी महामारी का मुकाबला मिलकर ही किया जा सकता है।


फाइजर की वैक्सीन को ब्रिटेन में मंजूरी मिलने के बाद टीके को लेकर भारत की उम्मीदें बढ़ जाना स्वाभाविक है। इसलिए और भी, क्योंकि यह माना जा रहा है कि देश में वैक्सीन के निर्माण और उसके वितरण की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। विगत सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल एक ही दिन में तीन शहरों में वैक्सीन निर्माण में शामिल संस्थानों का दौरा किया, बल्कि इसमें योगदान दे रहे विज्ञानियों के प्रयासों को भी सराहा। प्रधानमंत्री जिस तरह वैक्सीन विकसित करने के अभियान की निगरानी कर रहे हैं उससे यह भरोसा बढ़ गया है कि टीके का इंतजार जल्द खत्म होने जा रहा है। सभी तक वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयासों के बीच यह समय सतर्कता के स्तर को बढ़ाने का भी है।


उत्साह बढ़ाने वाली सूचनाओं के बीच यह भी सच है कि आम लोगों तक टीके की उपलब्धता में समय लगेगा। भारत सरीखे बड़े देश में तो यह कार्य और अधिक चुनौतीपूर्ण है। इन स्थितियों में बेहतर यही है कि कोविड-19 के संक्रमण से बचने के तौर-तरीकों पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाए। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि सर्दी बढ़ने के साथ संक्रमण बढ़ने का अंदेशा भी बढ़ गया है। कोरोना महामारी का न तो सरकारें अकेले मुकाबला कर सकती हैं और न ही उनके प्रशासनिक तंत्र। यह चुनौती लोगों से अपने स्तर पर सजग-सचेत रहने की मांग करती है। उनकी ढिलाई इस महामारी के प्रकोप को भी बढ़ाएगी और इससे जुड़ी चुनौतियों को भी गंभीर बनाने का काम करेगी।

सौजन्य - दैनिक जागरण।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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