मधुरेंद्र सिन्हा
यह तथ्य पहेली से कम नहीं कि एक ओर देश की अर्थव्यवस्था धराशायी है, दूसरी तरफ शेयर बाजार आसमान छू रहा है और चुनींदा लोग बैठे-बैठे मोटी कमाई कर रहे हैं। पिछले साल जब हमारी जीडीपी 24 फीसदी नीचे चली गई थी, तब भी शेयर बाजार लहलहा रहा था और निवेशक ही नहीं, सटोरिये भी बड़े पैमाने पर पैसे लगा रहे थे। इस साल भी शेयर बाजार की छलांग जारी है, जबकि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है और सिर्फ वैक्सीन की घोषणा हुई है। पर सच यह है कि शेयर बाजार का अपना गणित है और यह दुनिया भर में हो रही हलचल से अक्सर तटस्थ रहता है।
महामंदी के समय में भी जब अर्थव्यवस्था डूब गई थी, तो शेयर बाजार में तेजी आई थी। इस महामारी के काल में भी दुनिया के बड़े शेयर बाजारों में तेजी आ रही है। भारतीय शेयर बाजार में रिकॉर्ड तेजी आई और यह 48,000 को पार कर 50,000 की ओर जाता दिख रहा है, जबकि जीडीपी अब भी नकारात्मक है। इसका मतलब यह बात सच नहीं है कि शेयर बाजार अर्थव्यवस्था का आईना है। इसके बजाय यह पैसा लगाने और कमाने का एक बढ़िया प्लेटफॉर्म है। धनी निवेशकों को इसने पैसे कमाने का एक विकल्प दिया है। अमेरिका की जीडीपी में 4.8 प्रतिशत से भी ज्यादा की गिरावट आई, पर मध्य मार्च से मध्य जून तक धनवानों की संपत्ति में 584 अरब डॉलर का इजाफा हो गया था।
अपने यहां नए साल के पहले ही दिन शेयर बाजार में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। और जब सरकार ने एक साथ दो-दो टीके को अनुमति देने की घोषणा की, तो इसमें जैसे आग ही लग गई। हालांकि विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2021 में दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं -5.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेंगी। भारत की अर्थव्यवस्था में 3.2 प्रतिशत का संकुचन होगा। कई सारी कंपनियों के शुरुआती परिणाम बता रहे हैं कि वे घाटे में चले गए। इसके बावजूद शेयर बाजार में तेजी का दौर जारी है। इस मामले में भारतीय शेयर बाजार अमेरिका का ही अनुसरण कर रहे हैं। पैसा जब आसानी से मिल जाता है, तो लोगों की जोखिम उठाने की क्षमता और इच्छा, दोनों बढ़ जाती हैं।
शेयर बाजार ने उन्हें इसका भरपूर मौका दिया। यही कारण था कि भारत में न केवल विदेशी, बल्कि खुदरा निवेशकों ने शेयर बाजार में पैसे लगाए। बैंकों में तरलता की कमी नहीं है, रिजर्व बैंक ने ब्याज दर लगातार घटाई और इससे लगभग आठ लाख करोड़ रुपये की तरलता बाजार में आई। ऐसे में, लोग घर बैठे पैसे कमाने वालों को शेयर बाजार ने निराश नहीं किया। वर्ष 2020 की आखिरी ट्रेडिंग के दिन पर बीएसई सेंसेक्स 47,751 और निफ्टी 50,13,981 पर बंद हुआ। यानी पिछले कैलेंडर वर्ष में शेयर बाजार में 15 प्रतिशत से भी ज्यादा की वृद्धि हुई। विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में काफी पैसा लगा रहे हैं, क्योंकि उन्हें यहां से कमाई की काफी उम्मीद है। जब तक यहां कमाई की आस है, तब तक वे यहां पैसे लगाते रहेंगे।
दूसरी बात जो शेयर बाजार को आगे ले जा रही है, वह है दुनिया भर के बड़े शेयर बाजारों में आई तेजी। भारतीय शेयर बाजार परोक्ष रूप से अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजार से जुड़े हुए हैं और उसके ट्रेंड का अनुकरण करते हैं। बहुत-सी भारतीय कंपनियों में विदेशी कंपनियों ने पैसा लगा रखा है और वे यहां निवेश करते रहते हैं। कई भारतीय कंपनियों ने यूरोप-अमेरिका में ऑफिस खोल रखे हैं और इस कारण विदेशी निवेशक उनकी ओर आकर्षित होते हैं। कई कंपनियों में विदेशी कंपनियां साझीदार भी हैं। फिर अमेरिका-यूरोप में सरकार ने अरबों डॉलर के पैकेज दिए हैं, जिससे बाजार में पैसा आया है।
भारत सरकार और रिजर्व बैंक ने महामारी काल में अब तक 30 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है। हालांकि ज्यादातर पैकेज कर्ज के रूप में हैं, फिर भी वे विश्वास पैदा करते हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में है। इनका असर दिख रहा है और आने वाले समय में बजट एक बड़ा संबल साबित होगा। ऐसा समझा जा रहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट में उदार घोषणाएं करेंगी, जिनसे अर्थव्यवस्था को दलदल से निकालने में सहारा मिलेगा। अगर सरकार पर्याप्त प्रोत्साहन पैकेज लाती है, तो कोई वजह नहीं कि शेयर बाजार फिर से छलांग लगाए।
सौजन्य - अमर उजाला।
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