भारत कोरोना महामारी से लड़ाई के निर्णायक दौर में है. इस महीने की 16 तारीख से देशव्यापी टीकाकरण शुरू हो जायेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला किया गया है कि सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य अहम कर्मचारियों को वैक्सीन दी जायेगी और उसके बाद 50 साल से अधिक आयु के लोगों तथा गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों का टीकाकरण होगा. पहले चरण में करीब तीन करोड़ लोग लाभान्वित होंगे और फिर लगभग 27 करोड़ लोगों का टीकाकरण होगा.
जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया है, दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की यह भी विशेषता है कि इसमें इस्तेमाल होनेवाले दोनों टीकों का निर्माण भारत में ही हुआ है. इन टीकों से न केवल भारत के लोगों का बचाव होगा, बल्कि कई देशों में भी इनका उपयोग होनेवाला है. बीते साल कोरोना महामारी और लॉकडाउन से भले ही हमारी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हुआ है, लेकिन प्रशासन और स्वास्थ्यकर्मियों की लगातार मेहनत की वजह से भारत उन देशों में शामिल है, जहां मृत्यु दर सबसे कम और संक्रमण से मुक्त होने की दर सबसे अधिक है.
बीते शनिवार को कोरोना संबंधी जांच की कुल संख्या 18 करोड़ पार कर गयी. इनमें से नौ लाख से अधिक जांच 24 घंटे में हुए थे. इससे इंगित होता है कि स्वास्थ्य तंत्र पूरी मुस्तैदी से मोर्चे पर डटा हुआ है. टीकाकरण के लिए 33 राज्यों के 615 जिलों में तीसरे चरण का ड्राई रन भी सफलता के साथ पूरा हो गया है.
उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में भारत ने अनेक देशों को दवाइयां और चिकित्सा सामग्री भी मुहैया कराया है. यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि कम संख्या में ही सही, पर अभी भी लोग संक्रमित हो रहे हैं. ब्रिटेन से आये नये वायरस से भी 90 लोग संक्रमित हो चुके हैं. कुछ अन्य देशों में भी संक्रमण की दर चिंताजनक है.
वायरस से स्थायी बचाव के लिए टीका ही एकमात्र उपाय है, इसलिए सरकारों, सेवाकर्मियों, मीडिया और नागरिकों को टीकाकरण अभियान को सफल बनाने हरसंभव कोशिश करनी चाहिए. दुर्भाग्य से कुछ लोग टीकों पर भी राजनीति कर अपना स्वार्थ साधने की कोशिश में हैं. कई ऐसे लोग भी हैं, जो आधारहीन बातें फैला रहे हैं, जिससे आम लोगों के मन में बेमानी आशंकाएं पैदा हो सकती हैं.
टीके के बारे में शोध-अनुसंधान करने और उनका परीक्षण करने का काम हमें वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों पर छोड़ देना चाहिए. टीकाकरण की प्रक्रिया के बारे में व्यापक रणनीति बन चुकी है. बेतुके सवाल उठानेवाले लोगों को यह भी याद करना चाहिए कि भारत उन कुछ देशों में है, जहां लंबे समय से विभिन्न बीमारियों के टीके लगाने का ठोस अनुभव है. टीके के बारे में बिना जाने-बुझे बोलने, कहने और अफवाह फैलाने की जगह हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए जरूरी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हो.
सौजन्य - प्रभात खबर।
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