अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस : खुशहाली के लिए नशीले पदार्थों से दूरी जरूरी (पत्रिका)

रतन लाल कटारिया

महात्मा गांधी ने कहा था कि नशा आत्मा और शरीर दोनों का नाश करता है। वे समाज को नशा मुक्त करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे। विडंबना यह है कि आधुनिक भारत में शराब ही नहीं दूसरे नशीले पदार्थों का इस्तेमाल भी काफी बढ़ गया है। नेशनल सर्वे ऑन एक्स्टेंट एंड पैटर्न ऑफ सब्सटेंस यूज के नतीजों में भी यह तथ्य सामने आया है। अक्सर कॉलेज के विद्यार्थियों को ड्रग्स की लत लगने या स्कूल के पास ड्रग पैडलर्स को पकडऩे की खबरें आती हैं। एक सेलिब्रिटी की मौत के मामले में हालिया घटनाओं ने इस बात को फिर से सुर्खियों में ला दिया है कि समाज का हर वर्ग नशीले पदार्थों की चपेट में आ रहा है।

डब्ल्यूएचओ ने भी माना है कि वैश्विक बीमारियों में मानसिक, न्यूरोलॉजिकल और सब्सटांस यूज डिसऑर्डर्स का हिस्सा 10 प्रतिशत से ज्यादा है। मेरे 40 वर्षों के सार्वजनिक अनुभव में, मैंने देखा है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और सब्सटांस यूज डिसऑर्डर्स अक्सर एक साथ होते हैं। बड़ी संख्या में लोग सामाजिक चिंता, तनाव और अवसाद से बचने के लिए ड्रग्स का सेवन करते हैं, ताकि वे बेहतर महसूस कर सकें। कुछ अवैध दवाएं, मानसिक स्वास्थ्य समस्या के एक या अधिक लक्षणों के अनुभव का कारण बन सकती हैं। यह स्पष्ट है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या मानसिक स्वास्थ्य के साथ शीरीरिक रूप से भी जुड़ी हुई हैं। इन विकारों से व्यक्ति की उत्पादकता में कमी आती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रत्येक वर्ष 1 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का अनुमानित नुकसान होता है।

इस राक्षस से निपटने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने कई मोर्चों पर कार्रवाई शुरू की है। 15 अगस्त 2020 को नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) 272 जिलों को लक्षित करके शुरू किया जा चुका है। इसके अलावा, चिंता, तनाव, अवसाद, आत्मघाती विचारों और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना करने वाले लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए एक 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन 'किरण' शुरू की गई है। यह हेल्पलाइन 13 भाषाओं में उपलब्ध है। इसमें 660 पुनर्वास मनोवैज्ञानिक और 668 मनोचिकित्सक स्वयंसेवक हैं। इसके बावजूद नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या का समाधान करने के लिए विभिन्न स्तरों पर ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है। राज्य सरकारों से योजना बनाने और विशिष्ट पहल करने के लिए कहा गया है। तदनुसार, अभियान की गति बनाए रखने के लिए जिला स्तरीय समितियों के रूप में एक विकेन्द्रीकृत निगरानी तंत्र का गठन किया गया है।

मानसिक बीमारी, न्यूरोलॉजिकल समस्याओं और मादक द्रव्यों के विकारों को जड़ से खत्म करने के लिए, जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है। 20 मार्च को, जब हम खुशी के अंतरराष्ट्रीय दिवस का जश्न मनाते हैं, तो आइए हम अपनी जीवनशैली को परिवर्तित करें, ताकि मानसिक तनाव और नशीले पदार्थों से होने वाले विकारों से मुक्ति मिल सके। हम स्वस्थ रहने के लिए योग का अभ्यास करने और नियमित व्यायाम करने का संकल्प लें। आंतरिक शांति के लिए और भावनात्मक दिक्कतों के दौरान अपने आध्यात्मिक और धार्मिक ग्रंथों को एक मार्गदर्शक के रूप में देखें। मानसिक विकारों के साथ जुड़ी बुरी धारणाओं को तोडऩे का भी संकल्प करें। साथ ही बातचीत, दया और सहायता के माध्यम से एक-दूसरे को शांति और खुशी प्राप्त करने में मदद करें। सरकार, समाज और स्वैच्छिक संगठनों की कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और ठोस प्रयासों के साथ, हम 20 मार्च को स्वस्थ और खुशहाल समाज की नींव रखकर सही मायने में अंतरराष्ट्रीय खुशी का दिन मना पाएंगे।

(लेखक केंद्रीय सामाजिक न्याय और जल शक्ति राज्य मंत्री हैं)

सौजन्य - पत्रिका।
Share on Google Plus

About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment