हमारे देश के ‘भाग्यविधाता’ ‘इन पर दर्ज हैं आपराधिक केस (पंजाब केसरी)

देश में स्वच्छ राजनीति के लिए आंदोलन करने वाली संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स’ (ए.डी.आर.) एक एन.जी.ओ. है जो समय-समय पर भारत में चुनावों सम्बन्धित जानकारियां जारी करता रहता है। अब

देश में स्वच्छ राजनीति के लिए आंदोलन करने वाली संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स’ (ए.डी.आर.) एक एन.जी.ओ. है जो समय-समय पर भारत में चुनावों सम्बन्धित जानकारियां जारी करता रहता है। अब जबकि 4 राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और केन्द्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में अगले महीने चुनाव होने जा रहे हैं, ‘एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स’ (ए.डी.आर.) ने इन राज्यों  के वर्तमान विधायकों के अपराधों बारे खुलासे किए हैं जो निम्र में दर्ज हैं : 

* पश्चिम बंगाल के 205 विधायकों में से 104 पर आपराधिक केस दर्ज हैं जिनमें से 90 विधायकों ने अपने ऊपर गम्भीर आपराधिक मामले दर्ज होना स्वीकार किया है। इनमें से 7 के विरुद्ध हत्या और 24 के विरुद्ध हत्या के प्रयास के केस दर्ज हैं। इनमें से सर्वाधिक 68 विधायक ममता बनर्जी की पार्टी ‘तृणमूल कांग्रेस’ के हैं जो तीसरी बार सत्ता पर कब्जा बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील हैं।

* तमिलनाडु के 234 में से 204 विधायकों में से 33 प्रतिशत अर्थात 68 विधायकों के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 38 विधायकों के विरुद्ध ऐसे गंभीर और गैर जमानती अपराध दर्ज हैं जिनमें उन्हें 5 वर्ष या इससे अधिक कैद की सजा हो सकती है। इनमें से 8 विधायकों के विरुद्ध हत्या की कोशिश करने और 2 विधायकों के विरुद्ध महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामले दर्ज हैं। 

* असम के 116 वर्तमान विधायकों में से 15 के विरुद्ध आपराधिक केस दर्ज हैं। इनमें से 11 के विरुद्ध गंभीर आपराधिक मामलों में से 3 विधायकों के विरुद्ध हत्या से संबंधित केस हैं। भाजपा के 59 में से 7, कांग्रेस के 20 में से 5, ए.आई.यू.डी.एफ. के 14 में से 2 तथा एक निर्दलीय विधायक के विरुद्ध आपराधिक केस दर्ज हैं। 

* केरल के वर्तमान 132 विधायकों में से 86 विधायकों ने अपने विरुद्ध आपराधिक मामलों की अपने हल्फिया बयानों में घोषणा की है जिनमें से 28 विधायकों के विरुद्ध गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 2 के विरुद्ध हत्या, 6 के विरुद्ध हत्या के प्रयास और एक विधायक के विरुद्ध महिलाओं के विरुद्ध अपराध का केस दर्ज है। माकपाके 56 में से 51 विधायकों के विरुद्ध सर्वाधिक आपराधिक केस हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के 19 में से 12 विधायकों के विरुद्ध और कांग्रेस के 20 में से 9 विधायकों के विरुद्ध आपराधिक केस दर्ज हैं। 

* पुड्डुचेरी के 30 विधायकों में से 11 के विरुद्ध आपराधिक केस दर्ज हैं। इनमें से एक के विरुद्ध हत्या व 6 के विरुद्ध हत्या के प्रयास के केस हैं। कांग्रेस के 15 विधायकों में से सर्वाधिक 6 विधायकों के विरुद्ध आपराधिक केस हैं जबकि ‘अखिल भारतीय एन.आर. कांग्रेस’, अन्नाद्रमुक विधायकों के विरुद्ध भी आपराधिक केस दर्ज हैं। ‘एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स’ (ए.डी.आर.) के उक्त खुलासों से एक बात स्पष्ट है कि सभी राजनीतिक दलों द्वारा किया जाने वाला यह दावा खोखला है कि वे स्वच्छ छवि वालों को ही टिकट देते हैं। 

ए.डी.आर. के अनुसार वर्ष 2014 में राज्यों और केंद्र में कुल 1581 ऐसे विधि निर्माताओं के विरुद्ध ऐसे आपराधिक केस दर्ज थे जिनमें कम से कम 5 वर्ष की सजा हो सकती थी। उपरोक्त आंकड़े परेशान करने वाले हैं क्योंकि राजनीति में दागियों या अपराधियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। न्यायपालिका द्वारा देश की राजनीति में स्वच्छता और पारदर्शिता लाने के प्रयास करने के बावजूद उसे अभी तक इसमें सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है। 

उल्लेखनीय है कि यदि देश को चलाने वाले नेतागण ही अपराधी होंगे व उनके विरुद्ध तरह-तरह के अपराधों के आरोप में केस दर्ज होंगे तो देश में स्वच्छ राजनीति और अपराध घटने की आशा कैसे की जा सकती है। अत: अपराध तथा राजनीति के गठजोड़ को समाप्त किए बिना देश में स्वच्छ राजनीति की कल्पना करना हमारे विचार में निरर्थक ही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह राजनीतिज्ञों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन करवाएंगे परंतु उनका यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है। यदि ऐसा हुआ होता तो शायद कुछ राजनीतिज्ञ अपना अंजाम भुगत चुके होते।—विजय कुमार

सौजन्य - पंजाब केसरी।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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