डॉ. चंद्रकांत लहारिया
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के संदर्भ में देखा जाए, तो भारत में स्वास्थ्य के लिए जो कुल सरकारी बजट आवंटन किया जाता है, वह बहुत कम है। पिछले दो दशक में की गई नीतिगत प्रतिबद्धताओं से स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी आवंटन में मामूली इजाफा ही देखा गया है। वर्ष 1990 में यह जीडीपी का 0.9 प्रतिशत था, जो 2015-16 में बढ़कर 1.15 प्रतिशत हो गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) 2017 में 2025 तक भारत में स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च को जीडीपी का 2.5 फीसदी तक पहुंचाने का प्रस्ताव दिया गया है। भारत के संविधान के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएं राज्य सरकार का दायित्व हैं। इसलिए स्वास्थ्य पर कुल खर्च बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों का व्यय बढ़ाना जरूरी है। एनएचपी 2017 में एक प्रस्ताव यह भी है कि स्वास्थ्य पर राज्य सरकारों का व्यय आवंटित बजट का 8 प्रतिशत या उससे अधिक होना चाहिए।
वित्त वर्ष 2015-16 में स्वास्थ्य पर औसत खर्च राज्यों के कुल बजट का मात्र 5 प्रतिशत था। पिछले 15 सालों में इसमें मात्र आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी ही हुई है (वित्त वर्ष 2001-02 में यह औसत 4.5 था)। अगर राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के लक्ष्य हासिल करने हैं, तो नए तरीके और प्रतिबद्धताएं दिखानी होंगी।
राज्यों द्वारा खर्च में अंतर, स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, गुणवत्ता और लोगों की जीवन प्रत्याशा में नजर आता है। भारत के कुछ राज्यों में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर, बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं वाले राज्यों से पांच गुना तक अधिक है। आजादी के 7३ वर्ष पूरे हो चुके हैं। समृद्ध देश की बात हो रही है। याद रहे एक स्वस्थ राष्ट्र ही समृद्ध राष्ट्र हो सकता है। स्वास्थ्य बजट पर ध्यान देकर और सक्रिय जन भागीदारी के जरिए ऐसा किया जाना संभव है। सरकारी खर्च का उद्देश्य केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक (स्वास्थ्य एवं शिक्षा) विकास भी होना चाहिए। सरकारी राजस्व का एक बड़ा भाग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर होते हैं। इसलिए नागरिकों को सरकारी योजनाओं में अधिक रुचि दिखानी चाहिए। राज्य में स्वास्थ्य स्थिति और स्वास्थ्य पर खर्च, राज्यों के वार्षिक बजट का विश्लेषण (स्वास्थ्य क्षेत्र के नजरिए से) और उन पर सार्वजनिक बहस करने की जरूरत है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, स्वास्थ्य वित्तीय विशेषज्ञ और सिविल सोसाइटी संगठनों को मिल कर काम करना चाहिए और नीतिगत समाधान सुझाने चाहिए। भारत में आबादी के एक हिस्से के लिए स्वास्थ्य सेवाएं सुगम नहीं हंै। दुनिया भर में इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि जब सरकारें स्वास्थ्य पर निवेश बढ़ाती हैं, तो लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान हो जाती है। भारत में राज्य सरकारों को स्वास्थ्य पर आवंटन तथा अन्य पहलुओं पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। शुरुआत अभी से करनी होगी।
(लेखक सार्वजनिक स्वास्थ्य, टीकाकरण और स्वास्थ्य तंत्र विशेषज्ञ हैं)
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