जॉनसन का दौरा (प्रभात खबर)

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के अगले महीने होनेवाले भारत दौरे से दोनों देशों को बड़ी उम्मीदें हैं. कोरोना महामारी की मुश्किलों की वजह से वे मुख्य अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल नहीं हो सके थे. इस यात्रा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद पहली बार ब्रिटिश नेता किसी बड़े देश का दौरा करेंगे. ब्रिटेन ने तीन दशक बाद विश्व में अपनी स्थिति को लेकर व्यापक समीक्षा भी घोषित की है.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि के लिए प्रयासरत भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की साझेदारी से भी जॉनसन जुड़ना चाहते हैं. हालांकि भारत और ब्रिटेन के द्विपक्षीय संबंध बहुत मजबूत हैं तथा दोनों लोकतांत्रिक देश लंबे अरसे से परस्पर सहयोग बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं, लेकिन अभी भी संभावनाओं को साकार करने की गुंजाइश है. यूरोपीय संघ से हटने के बाद से ब्रिटेन को नये व्यापारिक सहयोगियों की दरकार है.

निवेश और निर्यात के लिए भारत एक स्वाभाविक विकल्प है. भारत भी अपनी अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए ब्रिटेन जैसे बाजार में ज्यादा मौजूदगी चाहता है. चीन के विस्तारवाद, पाकिस्तान के आतंकवाद, भारतीय संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिशों के विरोध तथा अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारत की अहमियत के समर्थन में ब्रिटेन लगातार खड़ा रहा है. चीनी आक्रामकता पर अंकुश लगाने तथा बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लोकतांत्रिक देशों की पहलों में भारत और ब्रिटेन एक-साथ खड़े होते रहे हैं.


जॉनसन ने ब्रिटिश संसद में कहा है कि वे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ संबंध मजबूत करने के लिए भारत जा रहे हैं. इस यात्रा के तुरंत बाद जून में ब्रिटेन में आयोजित होनेवाली जी-सात देशों के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. बीते लगभग डेढ़ दशक में दोनों देशों के बीच व्यापार में दोगुने से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है.


साल 2015-16 और 2019-20 के बीच ब्रिटेन से आनेवाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत ने ठोस उपलब्धियां हासिल की हैं. ब्रिटेन इन क्षेत्रों में सहभागिता बढ़ाने का इच्छुक है. ऐसी उम्मीद है कि इस साल दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात के बाद व्यापार सहयोग के विस्तार पर ठोस घोषणा भी हो जायेगी, जो संभावित व्यापार समझौते का आधार बन सकती है. पिछले कुछ समय में ब्रिटेन ने अनेक देशों के साथ व्यापार समझौते किये हैं.


दिसंबर में विदेश सचिव डॉमिनिक राब ने चार दिनों की भारत यात्रा में आशा व्यक्त की थी कि ऐसा समझौते पर जल्दी ही दोनों देशों के बीच सहमति बन सकती है. भारतीय मूल के 15 लाख ब्रिटिश नागरिक दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक कड़ी हैं. दोनों देशों को उम्मीद है कि महामारी के बाद बदलती विश्व व्यवस्था के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री की भारत यात्रा मील का एक पत्थर साबित होगी.

सौजन्य -  प्रभात खबर। 

Share on Google Plus

About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment