संकट की परीक्षा (जनसत्ता)

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं को टाल कर केंद्र सरकार ने विद्यार्थियों और अभिभावकों को बड़ी राहत दे दी है। संक्रमण की दूसरी लहर से बिगड़ते हालात को देखते हुए सीबीएसई परीक्षाएं रद्द करने की मांग हो रही थी। इस मसले पर बुधवार को प्रधानमंत्री की शिक्षा मंत्री, शिक्षा मंत्रालय व बोर्ड के आला अफसरों के साथ मंत्रणा के बाद यह फैसला हुआ।

फिलहाल सीबीएसई की बारहवीं की परीक्षा टाल दी गई है। यह परीक्षा कब होगी, इस बारे में फैसला एक जून को होगा और विद्यार्थियों को पंद्रह दिन का वक्त दिया जाएगा। जबकि दसवीं की बोर्ड परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। अब दसवीं के विद्यार्थियों को आतंरिक मूल्यांकन के आधार पर ही अगली कक्षा में चढ़ाया जाएगा। सरकार के इस फैसले के बाद विद्यार्थियों में परीक्षाओं को लेकर लंबे समय से जो असमंजस था, वह दूर हो गया, तनाव भी खत्म हुआ।

इसमें कोई संदेह नहीं कि इस वक्त कोरोना से हालात काफी खराब हैं। ऐसे में अगर परीक्षाओं का आयोजन होता तो परीक्षार्थियों में संक्रमण का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता। सीबीएसई की परीक्षा में करीब पैंतीस लाख से ज्यादा बच्चे बैठने थे। इनमें चौदह लाख से ज्यादा बारहवीं के और बाईस लाख बच्चे दसवीं के हैं। परीक्षा मई के महीने में होनी थी। विशेषज्ञों ने अप्रैल और मध्य मई में महामारी के चरम पर होने का अनुमान व्यक्त किया है। माना जा रहा है मई में रोजाना संक्रमितों का आंकड़ा तीन लाख को पार सकता है।

ऐसे में परीक्षाओं का आयोजन एक और गंभीर संकट खड़ा कर देता। बोर्ड परीक्षाओं के दौरान खुद को भीड़ से बचा पाना मुमकिन ही नहीं है। परीक्षा केंद्रों पर होने वाली भीड़ संक्रमण फैलने का बड़ा जरिया बन जाती। इसके अलावा घर से परीक्षा केंद्र तक आने-जाने के दौरान जोखिम कम नहीं रहता। अगर ऐसे में बच्चे संक्रमित होने लगते तो परीक्षा देने की स्थिति में भी नहीं रह पाते। विशेषज्ञ यह कहते आ रहे हैं कि संक्रमण फैलने का सबसे बड़ा जरिया भीड़ है, ऐसे में हर किसी को भीड़ से बचना जरूरी है। अगर परीक्षाएं होतीं तो विद्यार्थियों के लिए यह संभव ही नहीं था कि वे अपने को भीड़ से सुरक्षित रख पाते।

चाहे राज्यों के बोर्ड हों या केंद्रीय बोर्ड, सभी के लिए परीक्षाओं का आयोजन कराना एक चुनौती भरा काम होता है। हालांकि यह सब एक निर्धारित व्यवस्था के तहत चलता है, फिर भी है तो बड़ा काम। लेकिन आज जिस तरह के हालात हैं, वह बोर्डों के लिए बड़ा संकटभरा और चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। इसलिए कई राज्यों ने अपनी बोर्ड परीक्षाओं को फिलहाल टाल दिया है। सीबीएसई का परीक्षा आयोजित कराने का काम राज्य बोर्डों के मुकाबले इसलिए भी ज्यादा बड़ा है कि इसकी परीक्षाओं का आयोजन अखिल भारतीय स्तर पर होता है।

ऐसे में सीबीएसई कैसे सफलतापूर्वक यह आयोजन करा पाता, यह बड़ा सवाल था। पिछले साल भी कोरोना संकट के कारण बोर्ड परीक्षाओं में व्यवधान पड़ा था और कई परचे रद्द करने पड़े थे। परीक्षार्थियों की तादाद लाखों में होने की वजह से आॅनलाइन परीक्षा का विकल्प भी हाल-फिलहाल संभव नजर नहीं आता। न तो बोर्ड इसके लिए तैयार हो पाए हैं, न परीक्षार्थी। भविष्य में कोरोना जैसे संकट दस्तक देते रह सकते हैं। ऐसे में परीक्षाएं आयोजित कराने वाले बोर्डों को नए सिरे से योजनाओं और रणनीति पर विचार करना चाहिए कि कैसे हम आॅनलाइन परीक्षा की दिशा में बढ़ें।

सौजन्य - जनसत्ता।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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