कोरोना महामारी के संक्रमण के आंकड़े इंगित कर रहे हैं कि स्थिति बेहद चिंताजनक है. ऐसे में हम सभी को अपना, अपने परिजनों और आसपास के लोगों का ख्याल रखना है. यह भी बड़े अफसोस की बात है कि केंद्र व राज्य सरकारों, चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के लगातार आग्रह के बावजूद बचाव के उपायों के प्रति लोग लापरवाही बरत रहे हैं. यह लापरवाही उन जगहों पर भी देखी जा रही है, जहां महामारी का प्रकोप बहुत अधिक है. रिपोर्टों के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा भेजी गयी टीमों ने पाया है कि सर्वाधिक प्रभावित तीन राज्यों के पचास जिलों में कोरोना नियमों का लोग उल्लंघन कर रहे हैं. देश के विभिन्न राज्यों में नियमों का पालन नहीं करने के कारण बड़ी संख्या में अर्थदंड लगाया जा रहा है. इससे भी इंगित होता है कि न केवल तीन राज्यों में, बल्कि हर जगह निर्देशों के अनुरूप व्यवहार करने में कोताही बरती जा रही है. ऐसे में हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया आह्वान पर ध्यान देना चाहिए,
जिसमें उन्होंने कहा है कि देखभाल, टीकाकरण और अनुपालन के मामले में हर व्यक्ति सकारात्मक भूमिका निभाते हुए आस-पड़ोस के लोगों की मदद करे. इस महामारी के साये में भारत समेत समूची दुनिया साल भर से अधिक समय से रह रही है. संक्रमण, बीमारी और मौतों के भयानक आंकड़े हमारे सामने हैं. हमें यह भी अच्छी तरह मालूम है कि मास्क लगाने, आपस में दूरी बनाकर रहने, भीड़ न जमा करने और नियमित रूप से हाथ धोने, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने जैसे सामान्य आचरणों से हम संक्रमण से अपना और दूसरों का बचाव कर सकते हैं. लोगों को संबंधित सूचनाएं मुहैया कराने तथा व्यापक स्तर पर जागरूक करने के लिए सालभर से निरंतर प्रयास हो रहे हैं.
शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे मास्क पहनने और हाथ धोने के बारे में जानकारी नहीं होगी. इसके बावजूद यदि बड़ी संख्या में लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं, तो फिर संक्रमण को नियंत्रित करना बहुत कठिन हो जायेगा. कई जगह से ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि प्रशासनिक स्तर पर भी गंभीर चूक हो रही है. उदाहरण के लिए, विशेषज्ञों ने बहुत पहले कह दिया है कि संक्रमण की जांच के लिए आरटी-पीसीआर पद्धति का प्रयोग प्राथमिकता से होना चाहिए. रैपिड एंटीजेन जांच का इस्तेमाल मुख्य रूप से कंटेंमेंट जोन में किया जाना चाहिए,
जहां व्यापक संक्रमण के अंदेशे के कारण जांच के नतीजे तुरंत आने जरूरी होते हैं. लेकिन विभिन्न राज्यों में इस निर्देश पर समुचित अमल नहीं हो रहा है. इससे संक्रमण की सही संख्या जुटाने में भी अवरोध पैदा हो रहा है. ऐसे में संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर जोर दिया जाना चाहिए. कई राज्यों में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है. केंद्र सरकार के सुझाव के अनुसार राज्य सरकारों को तात्कालिक तौर पर कर्मियों की भर्ती पर विचार करना चाहिए. लापरवाही और चूक हम सभी के लिए आत्मघाती साबित हो रही है.
सौजन्य - प्रभात खबर।
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