भीषण गर्मी के आसार (प्रभात खबर)

भारत के उत्तर-पश्चिम हिस्से में औसत से बहुत अधिक तापमान के साथ गर्मी ने अपनी दस्तक दे दी है. उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर कुछ सप्ताह पहले मौसम विभाग ने चेतावनी दी थी कि गर्मी में देश के ज्यादातर इलाकों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान औसत से अधिक रहने की आशंका है. दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में इस साल जनवरी, फरवरी और मार्च कई दशकों में सबसे अधिक गर्म महीने रहे हैं. मौसम विभाग ने फिर कहा है कि अगले कुछ दिनों तक मध्य, पश्चिम और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों में लू और धूल भरी आंधी चलने का सिलसिला जारी रहेगा.



इस बार अप्रैल और मई में पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार गर्मी से सर्वाधिक प्रभावित हो सकते हैं. उल्लेखनीय है कि 1970 और 1980 के दशकों में आम तौर पर गर्मियों में तापमान औसत से नीचे रहता था, लेकिन 1998 के बाद इसमें बड़े स्तर पर उतार-चढ़ाव होने लगे. इससे स्पष्ट रूप से इंगित होता है कि ऐसा जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है और भविष्य में स्थिति निरंतर गंभीर होती जायेगी. बीते सालों में अनेक हिस्सों में लू चलने, सूखा पड़ने और बेमौसम की बारिश व शहरी बाढ़ की समस्याओं की आवृत्ति बढ़ने लगी है. इन कारणों से तथा प्रदूषण से जल संकट भी गंभीर होता जा रहा है.



साल 2018 में नीति आयोग की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 60 करोड़ से अधिक भारतीय पानी की कमी से जूझ रहे हैं और स्वच्छ पेयजल की कमी से करीब दो लाख लोगों की मौत होती है. अभी वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 1588 घन मीटर है, जो आगामी एक दशक में आधी रह जायेगी. साल 2050 तक कम-से-कम तीस भारतीय शहरों में पानी की बड़ी किल्लत होने की आशंका है. इसका नकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर भी होता है. जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के उपायों के साथ हमें पानी बचाने पर भी ध्यान देना होगा.


जल संग्रहण को बढ़ावा देने और जलाशयों के संरक्षण की जरूरत बढ़ती जा रही है. हमें दूरगामी नीतियों और योजनाओं को तैयार करने तथा उन्हें अमल में लाने को प्राथमिकता देनी होगी. इसके साथ तात्कालिक तौर पर भी ठोस कदम उठाया जाना चाहिए. लू और तापमान से प्रभावित क्षेत्रों में सूखे की आसन्न स्थिति से निपटने के लिए पानी की व्यवस्था कर लोगों को बीमार होने या मौत का शिकार होने से बचाया जा सकता है.


बीते सालों के अनुभवों से सीख लेते हुए कामगारों के लिए राहत की व्यवस्था की जानी चाहिए. मौसम विभाग ने इस वर्ष नयी पहल करते हुए हर दिन लू की चेतावनी जारी कर रहा है, जिसका वैधता पांच दिनों की है. नागरिकों को बचाव के उपाय भी नियमित रूप से सुझाये जायेंगे. ऐसी आशंका है कि अधिक प्रभावित क्षेत्रों में लोग बीमार पड़ सकते हैं. सरकारों के अलावा स्थानीय प्रशासन को इन जानकारियों का संज्ञान लेते हुए समुचित व्यवस्था करनी चाहिए.

सौजन्य - प्रभात खबर।

Share on Google Plus

About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment