ऐसे समय में जब देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कहर बरपा रही है और उपचार के तमाम संसाधन सिकुड़ गये हों, वैक्सीन ही एकमात्र ब्रह्मास्त्र साबित हो सकती है। ऐसे हालात में हम एक बड़ी आबादी को टीका लगाकर ही इस महामारी पर किसी तरह से अंकुश लगा सकते हैं। हालांकि देश में दुनिया के सबसे तेज टीकाकरण का दावा किया जा रहा है, लेकिन टीकाकरण सवा अरब की जनसंख्या के मुकाबले काफी कम है। विकसित देश अपनी बड़ी आबादी को टीका लगाकर कोरोना संक्रमण को पछाड़ने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। वहां संक्रमण के नये मामलों में बड़ी गिरावट देखी गई है। ऐसे में भले ही भारत टीका लगाने वालों की संख्या में तेरह करोड़ के करीब पहुंच चुका है, लेकिन अभी भी हमारी मंजिल बहुत दूर है। हालांकि, भारत दुनिया में सबसे बड़ा टीका उत्पादक देश है लेकिन संसाधनों का संकट हमारे सामने बड़ी बाधा बना हुआ है। इसके चलते मौजूदा संकट में केंद्र सरकार ने पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को बड़ी आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। हालांकि, अमेरिका व यूरोपीय देशों ने टीका बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगा रखी है, लेकिन उम्मीद है कि भारतीय कंपनियां कुछ वैकल्पिक रास्ते जरूर निकाल लेंगी। बहरहाल, इसी बीच केंद्र सरकार ने तीसरे चरण के टीकाकरण के लिये कार्यक्रम की घोषणा करते हुए अब अठारह साल से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को टीका लगाने की अनुमति दे दी है। निश्चित रूप से इससे देश की बड़ी जनसंख्या को टीकाकरण के दायरे में लाया जा सकेगा। भारत युवाओं का देश है और इस कर्मशील आबादी को टीका लगाना आर्थिक उन्नति की दृष्टि से हमारी प्राथमिकताओं में होना ही चाहिए। केंद्र सरकार ने टीकाकरण के एक मई से शुरू होने वाले कार्यक्रम की रूपरेखा घोषित कर दी है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण बैठक में सोमवार को फैसला लिया गया कि तीसरे चरण के वैक्सीनेशन कार्यक्रम में अब तेजी लायी जा सकेगी। इसका दायरा बढ़ाया गया है क्योंकि अब तक 45 साल से ऊपर उम्र वालों को ही वैक्सीन दी जा रही थी।
दरअसल, जहां 16 जनवरी से शुरू हुए पहले टीकाकरण अभियान में केवल हेल्थ वर्कर्स एवं अग्रिम मोर्चे के जांबाजों को वैक्सीन दी गई थी, वहीं एक मार्च से शुरू हुए दूसरे चरण में 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिये टीकाकरण का प्रावधान किया गया था। देश में अब तक टीकाकरण कार्यक्रम भारत बायोटेक तथा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित दो वैक्सीनों के जरिये चलाया जा रहा था। वहीं अब मई से हाल ही में आपातकालीन उपयोग के लिये रूस में निर्मित स्पुतनिक वैक्सीन को भी अनुमति दी गई है। इसके साथ ही हालिया बैठक में सरकार ने फैसला लिया है कि टीके की कीमत निर्धारण और इसका दायरा बढ़ाया जायेगा। सरकार के निर्णय के अनुसार वैक्सीन निर्माता कंपनियां अब अपने कुल उत्पादन का आधा भारत सरकार को उपलब्ध करायेंगी तथा शेष वैक्सीन राज्य सरकारों व खुले बाजार में आपूर्ति कर सकेंगी। सरकार आने वाले दिनों में खुले बाजार में बेची जाने वाली वैक्सीन की कीमत की घोषणा करेगी, ताकि निजी अस्पतालों में लोगों से मनमाने दाम न वसूले जा सकें। दरअसल, इसी कीमत पर राज्य सरकारें, प्राइवेट अस्पताल तथा अन्य संस्थान वैक्सीन की खरीद कर सकेंगे। सरकार का मकसद वैक्सीन की कीमत में पारदर्शिता कायम करना भी है। देश के युवा इस माध्यम से वैक्सीन लगवा सकेंगे। इसके अलावा लक्षित आयु वर्ग तथा स्वास्थ्य कर्मियों व फ्रंट लाइन वर्कर्स को मुफ्त में वैक्सीन दी जाती रहेगी। लेकिन भविष्य में भी टीकाकरण के लिये निर्धारित नियमों का पालन नेशनल वैक्सीनेशन कार्यक्रम के तरह पहले ही की तरह करना होगा। निस्संदेह, कोरोना संक्रमण की दूसरी घातक लहर में हम टीकाकरण के जरिये ही चुनौती का मुकाबला कर सकते हैं। हाल के दिनों में कुछ राज्यों ने टीके की कमी की शिकायत की थी, कोशिश हो कि ऐसी कोई दिक्कत टीकाकरण अभियान में न आये।
सौजन्य - दैनिक ट्रिब्यून।
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