क्या कोयला संयंत्रों से मिलेगी निजात? भारत की बड़ी ऊर्जा कंपनियों और कई राज्यों ने नया बिजली घर नहीं बनाने पर दी रजामंदी (अमर उजाला)

सीमा जावेद  

एक तरफ अमेजन ने अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, स्पेन और स्वीडन में नौ नए यूटिलिटी स्केल विंड और सोलर प्रोजेक्ट्स की योजनाओं की घोषणा की, तो दूसरी तरफ सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने एक भारतीय कंपनी के साथ पवन ऊर्जा (विंड पावर) खरीदने का अनुबंध किया है। फेसबुक के मुताबिक, किसी दक्षिण एशियाई देश के साथ इस प्रकार की यह पहली डील है। जहां तक भारत का सवाल है, तो भारत एवं अमेरिका के बीच साफ ऊर्जा पर सहयोग की बात, जो दूत जॉन केरी के आने पर चर्चा में थी, पिछले हफ्ते संपन्न हुए जलवायु सम्मेलन के मौके पर पुख्ता हो चुकी है, जिससे भारत में इसे पहले की अपेक्षा और जोर-शोर से बढ़ावा दिया जाना तय है।

वैसे भी अनेक राज्य और बड़ी कंपनियां पहले से ही इसकी तरफ रुख कर रही हैं, ऐसे में यह सहयोग सोने पे सुहागा का काम करेगा। दिल्ली स्थित जलवायु संवाद संगठन क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा किए गए एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, भारत में मौजूदा स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता के करीब पचास फीसदी हिस्से का उत्पादन करने वाले राज्य और कंपनियां अब कोई नया कोयला बिजली घर नहीं बनाने का संकल्प व्यक्त कर रही हैं, इनमें भारत की सबसे बड़ी सरकारी स्वामित्व वाली बिजली कंपनी एनटीपीसी भी शामिल है। टाटा पावर, जेएसडब्ल्यू एनर्जी और एनटीपीसी जैसी कंपनियों ने भविष्य में कोयले से चलने वाला एक भी नया बिजली घर नहीं बनाने पर रजामंदी दी है। इसके अलावा गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों ने भी कहा है कि वह अपने यहां कोयले से चलने वाला कोई भी नया बिजली घर नहीं लगाएंगे।

कोयला खनन और बिजली उत्पादन से जुड़ी सरकारी कंपनी एनएलसी-आईएल ने साल 2020-21 में अपनी ग्रीन एनर्जी क्षमता में 39 फीसदी इजाफा किया, हालांकि उसकी खनन क्षमता इस दौरान 66 फीसदी बढ़ी। कंपनी ने इस साल बैटरी स्टोरेज के साथ सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता 17.5 मेगावॉट बढ़ाई है। हैं। साथ ही भारत हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर साफ-सुथरी ऊर्जा के इस्तेमाल की बात तय करता दिख रहा है। फेसबुक का दावा है कि साल 2020 में दुनिया भर में उसका काम साफ ऊर्जा के इस्तेमाल पर ही चला और कंपनी ने नेट जीरो हासिल कर लिया है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने पिछले साल कहा था कि सोशल नेटवर्किंग कंपनियों को चला रहे डाटा सेंटर दुनिया की कुल बिजली का एक फीसदी इस्तेमाल करते हैं और फेसबुक के लिए भारत दुनिया में सबसे बड़ा बाजार है।


वहीं एप्पल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और कोकाकोला जैसी दुनिया की विशाल कंपनियों समेत 300 से ज्यादा कारोबारी और निवेशक बाइडन प्रशासन का आह्वान कर रहे हैं कि वह एक जलवायु परिवर्तन संबंधी ऐसा महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करें, जिससे ग्रीन हाउस गैसों के अमेरिका द्वारा किए जाने वाले उत्सर्जन में वर्ष 2030 तक 2005 के स्तरों के आधार पर कम से कम पचास फीसदी की कटौती हो सके। दरअसल इस लक्ष्य से अमेरिका द्वारा पूर्व में जताए गए संकल्प का भार दो गुना हो जाएगा। इसके लिए बिजली, परिवहन तथा अन्य क्षेत्रों में रिन्यूएबिल एनर्जी का उपयोग बढ़ना वैसे भी वैश्विक स्तर पर तय है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, ई कॉमर्स कंपनी अमेजन ने अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, स्पेन और स्वीडन में नौ नए यूटिलिटी स्केल विंड और सोलर प्रोजेक्ट्स की योजनाओं की घोषणा की है। अमेजन अब अक्षय ऊर्जा की दुनिया का सबसे बड़ा कॉरपोरेट खरीदार बन गया है।


साफ ऊर्जा को प्रोत्साहन के लिए हाइड्रोजन का इस्तेमाल एक विकल्प माना जाता है। साफ ऊर्जा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने उद्योगपतियों के साथ वेब मीटिंग में कहा है कि भारत सरकार हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच से सात साल में 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगी। भारत ने अपनी तेल व गैस कंपनियों से कहा है कि वे इस वित्त वर्ष के अंत तक सात हाइड्रोजन पायलट प्लांट लगाएं। पूरी दुनिया में सरकारें और कंपनियां ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं। हाइड्रोजन मिश्रित नेचुरल गैस का प्रयोग बढ़ाने के प्रयास कर रही है।

सौजन्य - अमर उजाला।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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