बदलते आर्थिक पूर्वानुमान (हिन्दुस्तान)

 ग्लोबल टाइम्स, चीन 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2021 के वैश्विक आर्थिक विकास संबंधी अपने पूर्वानुमान में दूसरी बार बदलाव किया है। नई रिपोर्ट के मुताबिक, विकसित अर्थव्यवस्थाएं इस साल 5.1 फीसदी की दर से बढ़ सकती हैं, जबकि पहले 4.3 फीसदी का अनुमान लगाया गया था। विकसित मुल्कों में अमेरिका की वृद्धि दर 6.4 फीसदी रह सकती है, जबकि विकासशील देशों में चीन से काफी उम्मीद लगाई गई है और 8.4 फीसदी की दर से इसके बढ़ने की संभावना जाहिर की गई है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं, खासकर अमेरिका के बारे में जो अनुमान लगाया गया है, उसकी दो मुख्य वजहें हैं। पहली, टीकाकरण की तेज गति, और दूसरी, बड़ा प्रोत्साहन पैकेज। अधिकांश विकासशील देश इन दोनों के बारे में सोच भी नहीं सकते। गौर कीजिए, अमेरिका अब तक कोविड वैक्सीन की 15 करोड़ से ज्यादा खुराक लगा चुका है, जो किसी भी देश में सबसे ज्यादा है। विडंबना है, यह राष्ट्र मानवाधिकार का अगुवा बनने का दावा करता है और इसे लेकर दूसरे मुल्कों पर प्रतिबंध लगाता है, मगर टीके का भंडार जमा करने के बावजूद उसने विकासशील देशों को इस मुश्किल वक्त में टीका देने से इनकार कर दिया।

बहरहाल, यह सुखद है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है, पर यह वृद्धि नैतिक व निष्पक्ष होनी चाहिए। ऐसे विकास के कम से कम दो निहितार्थ हैं। पहला, लोगों की मौत कम से कम हो। हमें महामारी की रोकथाम संबंधी व्यवस्था में ठोस सुधार के आधार पर आर्थिक गतिविधियां तेज करनी चाहिए, न कि सिर्फ विकास को ध्यान में रखकर। सिर्फ आर्थिक विकास के मद्देनजर कोविड-19 की रोकथाम के उपायों को नजरंदाज करना अनैतिक होगा। दूसरा, समानता के सिद्धांत का ख्याल रखा जाना चाहिए। अगर सभी अमेरिकियों को टीके लग जाते हैं, जबकि कई विकासशील देशों में स्वास्थ्यकर्मी तक इससे वंचित रहते हैं, तो यह आधुनिक मानव सभ्यता का अपमान माना जाएगा। साफ है, 2021 में तमाम तरह की अनिश्चितताएं बनी रहेंगी। हमें बीमारी पर नियंत्रण व रोकथाम और आर्थिक विकास, दोनों ही मोर्चों पर अच्छे नतीजे पाने होंगे।

सौजन्य - हिन्दुस्तान।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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