बाजार में तेजी: कोरोना से प्रभावित नहीं होगी अर्थव्यवस्था (अमर उजाला)

अजय बग्गा 

शेयर बाजार में फिर से पिछले कुछ दिनों से मजबूती दिखाई दे रही है। मार्च, 2020 में वैश्विक शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई थी, उसके बाद लगातार शेयर बाजार में तेजी आई। पिछले एक साल में हमारे बाजार ने करीब सौ फीसदी रिटर्न दिया है। इसका मूलभूत कारण यही था कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने अपनी अर्थव्यवस्था में बहुत ज्यादा पैसा डाला और उसे सहयोग प्रदान किया। सरकारों ने भी काफी खर्च किया, ताकि अर्थव्यवस्था में जो भारी सुस्ती आई थी, उसका निवारण हो सके। इस तरह से अर्थव्यवस्था में जो इतनी ज्यादा तरलता आई है, उसमें से कुछ हिस्सा शेयर बाजार में भी आया, और शेयर बाजार ने छलांग लगाई। अभी जो बाजार में तेजी दिखी है, उसकी भी वजह यही है कि अमेरिका में बाइडन प्रशासन ने 30 करोड़ डॉलर का नया पैकेज जारी किया है। 



उम्मीद है कि इस साल अपने देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह पटरी पर लौट आएगी। लेकिन अर्थव्यवस्था से पहले शेयर बाजार आगे बढ़ेगा, क्योंकि शेयर बाजार दूरदर्शी होता है और स्थितियों को वह पहले ही भांप लेता है। पिछले वर्ष फरवरी और मार्च में जब शेयर बाजार धड़ाम से गिरा था, तब हमें पता नहीं था कि कोविड-19 इतना बड़ा संकट है, लेकिन शेयर बाजार ने इसे भांप लिया था। और शेयर बाजार जब उभरा भी, तब उतनी ही तेजी से उभरा और यह तरलता के कारण हुआ। इस कैलेंडर वर्ष (जनवरी से दिसंबर तक) में विश्व की अर्थव्यवस्था में साढ़े पांच फीसदी विकास का अनुमान है। जबकि कल से शुरू हुए वित्त वर्ष (2021-22) में भारत की अर्थव्यवस्था में 10 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि का अनुमान है। शेयर बाजार में 500 से ज्यादा जो शीर्ष सूचीबद्ध कंपनियां हैं, उनकी कमाई साल-दर-साल इस साल 25 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ेगी। पिछले साल गिरावट आई थी, लेकिन इस साल हमारी अर्थव्यवस्था सुधरेगी और उसके चलते कॉरपोरेट कमाई भी बहुत तेजी से बढ़ेगी। इसी वजह से बाजार में मजबूती दिख रही है। 



हालांकि हाल में कोविड के मामले बढ़े हैं और कहीं-कहीं आंशिक लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू लगा है, लेकिन उसका अभी अर्थव्यवस्था पर असर नहीं दिखा है। अर्थव्यवस्था के जिन संकेतकों को देखा जाता है, जैसे बिजली की खपत, तो वह 2019 से ज्यादा हो गई है। पेट्रोल-डीजल की खपत भी ज्यादा है। एयरलाइंस का उपयोग जरूर लगभग चालीस फीसदी कम है, लेकिन मालगाड़ियों का आवागमन सर्वकालीन उच्चतम स्तर पर है। फरवरी में जीएसटी कलेक्शन अब तक के उच्चतम स्तर 1.24 लाख करोड़ रुपये रहा, जो अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने का संकेत है। एयरलाइंस, होटल, रेस्टोरेंट तथा पर्यटन को छोड़ दें, तो अर्थव्यवस्था के बाकी संकेतकों में काफी मजबूत वापसी दिख रही है। कोविड की दूसरी या तीसरी लहर से अर्थव्यवस्था ज्यादा प्रभावित नहीं होगी। 


इसके कई कारण हैं। पिछले साल जो नुकसान होना था, वह हो गया। अब जो कंपनियां बची हैं, वे सीख गई हैं कि कैसे लागत कम करके खुद को कठिन समय में बचाए रखें। इसके अलावा सरकार ने भी सीख लिया कि पूरी तरह लॉकडाउन लगाने का कोई मतलब नहीं है। इसके बजाय भीड़ इकट्ठा न होने देने, रात का कर्फ्यू लगाने, मास्क पहनने, हाथ धोते रहने, ऑफिसों में कम उपस्थिति रखने आदि से फायदा हो सकता है। लोगों ने भी सीख लिया है कि लॉकडाउन की स्थिति में भी कैसे मैन्यूफैक्चरिंग को जारी रखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त काफी चीजें ऑनलाइन हो गई हैं। बैंकिंग, स्टॉक ब्रोकिंग, इंश्योरेंस, टेलीकॉम, ई-कामर्स, ऑफिसों की मीटिंग-ये सब ऑनलाइन होने लगे हैं। और इस तरह की आपूर्ति शृंखला बन गई है कि लॉकडाउन होने पर भी अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती रहेगी। हां, पूर्णतः लॉकडाउन का असर जरूर पड़ेगा, लेकिन सरकार ऐसा नहीं करना चाहेगी, क्योंकि संक्रमण के बढ़ते मामले पूरे देश में एक समान नहीं हैं। 


लोगों ने भी सावधानी बरतना सीख लिया है। उद्योग हों या सरकारें हों, सबने पिछले साल के अनुभवों से सबक सीख लिए हैं। रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती कर अर्थव्यवस्था में पैसे डाले, फिर केंद्र सरकार राहत पैकेज लेकर आई, वह सब पैसा अभी अर्थव्यवस्था में है। यह अर्थव्यवस्था को सुरक्षा कवच प्रदान करता है। सरकार ने विगत नवंबर तक जरूरतमंदों को मुफ्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराया। बेशक नौकरियां चली गईं, गरीबी बढ़ी, लेकिन भूख से कोई नहीं मरा। जिस तरह से किसानों और गरीब लोगों के खाते में भी पैसे डाले गए, राहत कार्यक्रम चलाए गए, उससे सबसे प्रभावित तबकों को जीने का सहारा मिल गया। 


जब अर्थव्यवस्था में गति आती है, तब अर्थव्यवस्था के साथ चलने वाले शेयरों में भी तेजी आती है। पिछले साल आईटी और फार्मा कंपनियों के शेयर चले, फिर अक्तूबर से हमने देखा कि बैंकों के शेयर में भी तेजी आई। अब इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कंपनियों के शेयर तेजी से आगे बढ़ेंगे, क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सरकार का बहुत जोर है। कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट, रेलवे की कंपनियां, पोर्ट कंपनियां, बिजली उत्पादन एवं ट्रांसमिशन कंपनियां, नवीनीकृत ऊर्जा से संबंधित कंपनियां, नई मशीनरी बनाने वाली कंपनियां, सीमेंट कंपनियां, इस्पात बनाने वाली कंपनियां, होम इंप्रूवमेंट कंपनियां अच्छा करेंगी और इन सबके शेयर आनेवाले दिनों में बढ़ेंगे। 


‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत केमिकल कंपनियां भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, क्योंकि चीन और एक अन्य देश की जो रणनीति है, उसके तहत आपूर्ति शृंखला बनाए रखने के लिए विभिन्न कंपनियों ने चीन के बाहर भी फैक्टरियां लगानी शुरू कीं, जिसका भारत को भी फायदा हुआ। जैसे देश में सेलफोन का इतना उत्पादन शुरू हो गया कि आयात करने के बजाय हम लाखों सेलफोन निर्यात कर रहे हैं। इसी तरह केमिकल में, दवा बनाने के लिए जरूरी एपीआई में भी बहुत तेजी आई और वह आगे भी जारी रहेगी। सरकार की तरफ से भी उन्हें प्रोत्साहन मिल रहा है। इसके अलावा कंज्यूमर ड्यूरेबल, जैसे एसी, फ्रिज आदि के क्षेत्र में भी तेजी दिख रही है, क्योंकि जिनके एसी, फ्रिज खराब हुए या जिन्हें नया खरीदना है, वे पिछले साल यात्रा न होने से बचे पैसे को नई चीजें खरीदने व घर के रख-रखाव में खर्च कर रहे हैं। इन सब वजहों से अर्थव्यवस्था में तेजी दिख रही है। 

सौजन्य - अमर उजाला।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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