कोरोना: टीकाकरण बढ़ने के साथ कम होता जाएगा जान का खतरा (पत्रिका)

कैथी ओ'नील स्तम्भकार (ब्लूमबर्ग)

अमरीका में कोविड-19 के मामलों को फिर बढ़ते देखना हतोत्साहित कर सकता है, विशेषकर तब जबकि देश ने टीकाकरण में प्रभावशाली प्रगति की है। लेकिन यहां कुछ और आश्वस्त करने वाली खबरें हैं: यह विश्वास करने की पर्याप्त वजहें हैं कि कोरोना से मौतें नहीं होंगी जिस तरह से पिछले समय में हुईं थी।

इसमें कोई संदेह नहीं कि अमरीका में सामान्य स्थिति बहाल करने का प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा सकता है। जैसे कि टेक्सास में बेसबॉल स्टेडियम पूरी क्षमता के साथ मास्क की अनदेखी करते हुए खोल देना बहुत ही जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। कई अधिकारी मूर्खतापूर्ण और जोखिम भरी चीजें कर रहे हैं जिससे कोरोना के मामले बढऩा तय है और यह अनावश्यक मौतों का सबब बनता है। इसके बावजूद मैं आशावादी हूं और इसकी वजह टीकाकरण में आई तेजी है, जिससे संक्रमण के नए मामले पहले जितने जानलेवा नहीं रह गए हैं। विचार करें सबसे अधिक जोखिम वाली आबादी के बारे में, जो 65 वर्ष से ज्यादा की है। मार्च के आंकड़ों के अनुसार अमरीका में इस वय के लोगों की सर्वाधिक मौतें हुईं - करीब 4,30,000। जबकि इसके विपरीत 65 वर्ष से कम आयु के लोगों की मृत्यु का आंकड़ा 1,04,000 था। अब लगभग 55 % वृद्धों का वैक्सीनेशन हो गया है और कम से कम 75 % को पहली खुराक दी जा चुकी है। इससे संकेत हैं कि लगभग 65 % वरिष्ठ नागरिक कोविड के कारण मौत से संभवत: बचाए जा चुके हैं। यदि पिछले वर्ष के मामले फिर दोहराए गए तो वृद्ध लोगों की श्रेणी में मौतों की संख्या आधे से भी कम हो जाएगी।

इस तथ्य पर भी गौर करें - क्रिसमस सीजन में रोजाना 2,50,000 मामले आए और हर दिन 3,300 मौतें हुईं (1.3 प्रतिशत की मृत्यु दर से)। वर्तमान में प्रतिदन 65,000 मामले सामने आ रहे हैं। टीकाकरण जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, मौतों की संख्या कम होगी और यह आंकड़ा प्रतिदिन 320 तक हो सकता है (0.5 प्रतिशत की मृत्यु दर से)। मृत्यु दर अभी तक शून्य नहीं हुई है लेकिन यह उतने खराब स्तर पर नहीं है जिसका सामना एक समय अमरीका कर रहा था। यह सम्भव है कि नए मामले वहां दिखेंगे जहां लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। अब तक हालांकि ऐसा नहीं है। आंकड़े दर्शाते हैं कि नए मामले उन राज्यों में ज्यादा उभर रहे हैं जो अधिक टीकाकरण कर रहे हैं। सबसे बड़ा खतरा उन लोगों की वजह से हैं जो टीकाकरण से बच रहे हैं, जिन्हें वैक्सीन सुलभ नहीं है और जो ऐसे बुजुर्गों या अतिसंवेदनशील परिजन के साथ रहते हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है। बहरहाल, वह दिन करीब है, जब केसों की गणना का ज्यादा मतलब नहीं रहेगा क्योंकि केसों से ज्यादा खतरा नहीं होगा।

सौजन्य - पत्रिका।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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