देश के अनेक भागों में बेतरतीब और असुरक्षित ढंग से लटकते, ढीले-ढाले तथा सुरक्षा नियमों का पालन किए बिना लापरवाही से लगाए हुए बिजली के खम्भे तथा तार लोगों के जान-माल के लिए खतरा बने हुए हैं। कई घनी आबादी वाले इलाकों में कई जगह ये तार इतना नीचे लटक रहे हैं कि मकानों की छतों तक को छू रहे हैं जिससे बारिश तथा आंधी-तूफान आने पर इनसे खतरा और भी बढ़ जाता है।
देश में इस कारण होने वाली मौतों के अलावा अनेक लोग जीवन भर के लिए अपंग हो रहे हैं। 2019 में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिदिन कम से कम 30 मौतें करंट लगने की वजह से होती हैं जिनके हाल ही के चंद ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :
* 17 जनवरी को राजस्थान के जालौर जिले के महेशपुरा गांव में यात्रियों से भरी बस के एक सड़क के ऊपर से गुजर रहे बिजली के तार की चपेट में आ जाने से बस में करंट दौड़ गया और 6 लोगों की मौत हो गई।
* 19 जनवरी को नोएडा में एक क्रेन बिजली के हाई टैंशन तार से टकरा जाने से क्रेन में सवार एक मजदूर झुलस कर मर गया।
* 25 फरवरी को बलिया के बैरिया थाना क्षेत्र में बिजली का नंगा तार टूट कर वहां से गुजर रहे 3 युवकों पर गिर जाने से उनकी जान चली गई।
* 11 मार्च को करनाल के नीलोखेड़ी में नंगे बिजली के तारों की चपेट में आ जाने से एक मजदूर चल बसा।
* 26 मार्च को मथुुरा में यात्रियों से भरी एक बस सड़क के ऊपर से गुजर रहे 11000 वोल्ट के हाई टैंशन तारों की चपेट में आ गई जिससे एक व्यक्ति की मौत तथा 6 अन्य घायल हो गए।
* 26 मार्च के दिन ही लुधियाना के ढंडारीकलां की मक्कड़ कालोनी में 14 वर्षीय बच्चा घर की छत पर खेलते समय हाई टैंशन तार की चपेट में आकर बुरी तरह झुलस गया।
* 29 मार्च को प्रतापगढ़ में खेत में टूट कर गिरे हाई वोल्टेज तार की चपेट में आने से पति-पत्नी की जान चली गई।
* 29 मार्च को ही मैनपुरी के लहरा गांव में बहुत नीचे झूल रहे हाई टैंशन तार के करंट ने वहां से गुजर रहे 2 युवकों के प्राण ले लिए।
* 30 मार्च को प्रयागराज में ‘खीरी’ इलाके के एक गांव के कई मकानों पर 11000 वोल्ट का हाई टैंशन तार टूट कर गिर जाने से उनमें करंट आ गया जिससे एक युवक की मौत तथा कई अन्य लोग बुरी तरह झुलस गए।
* 2 अप्रैल को आजमगढ़ के ‘घोरठ’ गांव में काफी नीचे लटक रहे हाई टैंशन तार के साथ एक बुजुर्ग का छाता छू जाने से छाते में आए करंट ने बुजुर्ग की जान ले ली।
* 4 अप्रैल को बलिया के बैरिया थाना क्षेत्र के एक गांव में टूट कर जमीन पर गिरे बिजली के तार की चपेट में आ जाने से एक युवक मारा गया।
* 12 अप्रैल को अमृतसर में छत पर कपड़े सुखाने गई दो सगी बहनें मकान के ऊपर से गुजर रहे 66 के.वी. बिजली के तारों के टकराने से निकली चिंगारियों से झुलस गईं जिन्हें गंभीर हालत में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
हालांकि भारत ने हर क्षेत्र में प्रगति की है लेकिन कुछ क्षेत्र अभी भी ऐसे हैं जहां स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। इनमें बिजली विभाग भी एक है। इसने पिछले कुछ वर्षों में कुछ क्षेत्रों में तरक्की तो की है लेकिन सुरक्षा के स्तर पर इसकी हालत अभी भी बहुत असंतोषजनक है। लोगों की आम शिकायत है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद जर्जर, ढीले-ढाले तथा झूल रहे तारों को जल्दी ठीक नहीं किया जाता और न ही टूट कर गिरे हुए तारों को जल्दी उठाया जाता है।
तेज हवा के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं जिनसे बचने के लिए विदेशों की भांति अंडरग्राऊंड तार बिछाने की आवश्यकता है परन्तु हमारे यहां इस दिशा में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है। जहां तक नागरिक आबादी वाले इलाकों के ऊपर गुजर रहे तारों के जाल का संबंध है, ये दुर्घटनाएं सही ढंग से जोड़ न लगाने से हो रही हैं। अत: जब तक अधिकारी इस समस्या को दूर करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन नहीं करेंगे तब तक इस प्रकार की दुर्घटनाएं होती ही रहेंगी। इसके साथ ही बिजली के तार टूटने आदि के परिणामस्वरूप करंट लगने से होने वाली दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा देने व दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए कठोर दंड का प्रावधान करने की भी जरूरत है।—विजय कुमार
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‘बिजली के जर्जर और ढीलेे-ढाले तारों से’ ‘लोगों के सिरों पर मंडराती मौत’ (पंजाब केसरी)
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