'ग्रीफ रिएक्शन' में बहुत मददगार है अपनों का सहयोग (पत्रिका)

डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट

कोरोना की दूसरी लहर बहुत तेज है। संक्रमितों की संख्या में अचानक हुई वृद्धि से अपेक्षाकृत मृत्यु दर भी बढ़ी नजर आ रही है। इस बार नौजवान भी इससे प्रभावित हो रहे हैं और काल के गाल में समा रहे हैं। ऐसे सदमे को बर्दाश्त करना आसान नहीं होता। ऐसे में रुदन, खराब सपने आना, चिड़चिड़ाहट, क्षोभ का भाव आना स्वाभाविक है। चिकित्सा की भाषा में इसे 'ग्रीफ रिएक्शन' कहते हैं।

कुछ व्यक्तियों में यह प्रक्रिया जटिल रूप ले सकती है, जिसे मनोचिकित्सा में 'कॉम्प्लीकेटेड ग्रीफ रिएक्शन' कहते हैं। सामान्य 'ग्रीफ' एक समय के बाद कम होती जाती है और व्यक्ति सामान्य रूप से जिंदगी जीने लगता है, लेकिन 'कॉम्प्लीकेटेड ग्रीफ रिएक्शन' में व्यक्ति का सामान्य जीवन बुरी तरीके से प्रभावित होने लगता है और यह काफी लंबे समय तक बनी रहती है। इस अवस्था के लक्षण इस प्रकार हैं - वास्तविकता को स्वीकार न कर पाना, लगातार अपने उसी परिजन के बारे में बातें करना, उसकी चीजों को अलग तरीके से संजोना और तड़प लगातार बने रहना, दूसरों पर अविश्वास करना, अपने जीवन को व्यर्थ समझने लगना, अपनी मृत्यु के बारे में सोचना। जटिल मामलों में मृत परिजन की आवाजें सुनाई देने का भ्रम भी सामने आता है। रक्त संबंधी की मृत्यु, बचपन से नकारात्मक घटनाओं का अनुभव, अति संवेदनशील स्वभाव, पूर्व से ही मानसिक रोग की उपस्थिति में 'ग्रीफ रिएक्शन' के जटिल होने का खतरा बढ़ जाता है ।

ऐसे कठिन समय में परिवार के अन्य सदस्यों और मित्रों के रूप में आपका सहयोग बेहद कारगर सिद्ध हो सकता है । ऐसे व्यक्ति को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बैठने, उनके पसंदीदा कार्य करने एवं कसरत करने के लिए उत्साहित करें। घर में पालतू जानवर भी हमार मानसिक स्वास्थ्य में मददगार साबित होते हैं। फिर भी अगर लक्षण की तीव्रता बढ़े, तो विशेषज्ञ से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

सौजन्य - पत्रिका।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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