बड़ी संख्या में मौतों के साथ कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था पर गंभीर चोट की है. संक्रमण की पहली लहर के असर से देश ने उबरना शुरू ही किया था कि दूसरी लहर का कहर टूट पड़ा. इसके थमने में अभी कुछ समय लगेगा और तब तक आर्थिक व कारोबारी गतिविधियों पर विभिन्न पाबंदियों का साया भी बना रहेगा. शहरी अर्थव्यवस्था में गिरावट के संकेत साफ दिखने लगे हैं. आकलन बताते हैं कि अप्रैल में बेरोजगारी दर 10.72 फीसदी के स्तर पर पहुंच गयी.
ऐसे में रोजगार के अवसर पैदा करने, उत्पादकता बढ़ाने और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें नयी तकनीक से संबंधित कौशल के विकास पर समुचित ध्यान देना होगा. लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों के कारण बड़ी संख्या में लोग घरों से काम करने, स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां लेने तथा कई तरह की सेवाओं को मुहैया कराने में डिजिटल तकनीक बेहद उपयोगी व कारगर साबित हुई है.
महामारी से पहले से ही विभिन्न क्षेत्रों में इस तकनीक के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन उसी गति से इससे संबंधित कौशल का विकास नहीं हो रहा है. आकलनों की मानें, तो 50 करोड़ भारतीय इस तकनीक का न केवल उपयोग कर रहे होंगे, बल्कि उनके पास बुनियादी कौशल भी होगा. आबादी के इस हिस्से में सामाजिक और आर्थिक रूप से पीछे रह गये लोग भी बड़ी संख्या में होगे. एक उत्साहवर्द्धक पहलू यह भी है कि इस आंकड़े में 18 से 34 वर्ष उम्र के युवाओं की भी उल्लेखनीय भागीदारी होगी.
डिजिटल तकनीक में फिलहाल जो भागीदारी बढ़ रही है, उसका एक आयाम परिस्थितिजन्य विवशताएं हैं या फिर यह बहुत शुरुआती स्तर पर है. यदि कौशल बढ़ाने के समुचित उपाय किये जाते हैं, तो तकनीक के प्रबंधन से लेकर इस्तेमाल तक बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर बनाये जा सकते हैं. इस संबंध में पहले से किये जा रहे सरकारी और निजी क्षेत्र के प्रयासों को गति देने की जरूरत है.
इससे न केवल अर्थव्यवस्था को बड़ा आधार मिलेगा, बल्कि बेरोजगार और कम गुणवत्ता व आमदनी के कामों में लगे युवाओं का भविष्य बेहतर करने में मदद मिलेगी. उल्लेखनीय है कि हमारे कार्य बल में लगे युवाओं का लगभग 47 फीसदी हिस्सा ऐसे कामों में लगा है, जो उसकी क्षमता के अनुरूप नहीं है.
भारत युवाओं का देश है. देश की प्रगति और समृद्धि के आवश्यक है कि युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलें. संचार व सूचना तकनीक इस आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. इससे आबादी के बड़े हिस्से को आधुनिक तकनीक की सेवाओं को भी मुहैया कराने में मदद मिलेगी.
निर्माण व उत्पादन से लेकर हर तरह की सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने तथा उन्हें लोगों तक जल्दी पहुंचाने तक के सिलसिले में डिजिटल तकनीक पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. इसे बेहतर जीवन और अर्थव्यवस्था के विकास के साथ मजबूती से जोड़ने के लिए दीर्घकालिक नीतियों की जरूरत है.
सौजन्य - प्रभात खबर।
0 comments:
Post a Comment