तूफान से तबाही ( नवभारत टाइम्स)

तूफान ने ऐसे समय दस्तक दी, जब देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। सरकारी तंत्र का बड़ा हिस्सा जी जान से उसमें लगा था। तूफान ने देश के एक बड़े हिस्से में उस काम को तात्कालिक तौर पर रोकने को मजबूर कर दिया। मुंबई में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित सबसे बड़ा वैक्सिनेशन सेंटर कई दिन पहले ही बंद कर देना पड़ा।

 

चक्रवाती तूफान तौकते ने कमजोर पड़ने से पहले देश के पश्चिमी तट पर स्थित केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और खासकर गुजरात में भारी तबाही मचाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को गुजरात के तूफान पीड़ित इलाकों का हवाई दौरा करके खुद नुकसान का जायजा लिया। हालांकि पहले से जानकारी मिल जाने के कारण बचाव की काफी कुछ तैयारी कर ली गई थी। इस वजह से हताहतों की संख्या वैसी भयावह नहीं रही जैसी ऐसे तूफानों में आम तौर पर होती है। लेकिन बात समंदर के अंदर की करें तो आसपास के इलाकों में जहाजों के फंसने की वजह से बड़ी संख्या में यात्रियों की जान खतरे में पड़ी। नौसेना और तटरक्षक दलों की सामयिक कार्रवाई की बदौलत उनमें से ज्यादातर को बचा लिया गया, लेकिन अब भी बहुत सारे लोग लापता हैं। यह देखा जाना चाहिए कि जब तूफान की सूचना पहले से उपलब्ध थी तो ये जहाज इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों को लिए सागर में फंसे क्यों रह गए। क्या समय से इन्हें सुरक्षित तटों पर पहुंचाने या इनके यात्रियों को पहले ही निकाल लाने की कोई व्यवस्था नहीं हो सकती थी? यह सबक आगे की चुनौतियों से निपटने में हमारी मदद करेगा।


यह भी सच है कि ऐसे भीषण तूफानों से बचाव की व्यवस्था एक सीमा तक ही की जा सकती है। विभिन्न राज्यों में तटवर्ती इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहले ही पहुंचा दिया गया था, मगर बड़ी संख्या में जो पेड़ गिरे, घरों की छतें उड़ीं, होटलों-मकानों के शीशे टूटे, खिड़की-दरवाजे उखड़े, सड़कों पर रखे लोहे के बैरिकेड्स गिरे, बिजली के खंभे टूटे और खासकर खेतों में खड़ी फसलें उजड़ीं- उन सबसे बचने का कोई उपाय नहीं था। इन तमाम नुकसानों का आकलन किया जा रहा है। लेकिन जो बात इस तूफान को ज्यादा खतरनाक बना रही है वह है इसकी टाइमिंग। तूफान ने ऐसे समय दस्तक दी, जब देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। सरकारी तंत्र का बड़ा हिस्सा जी जान से उसमें लगा था। तूफान ने देश के एक बड़े हिस्से में उस काम को तात्कालिक तौर पर रोकने को मजबूर कर दिया। मुंबई में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित सबसे बड़ा वैक्सिनेशन सेंटर कई दिन पहले ही बंद कर देना पड़ा। कई जगहों से कोरोना मरीजों को भी सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करना पड़ा। तूफान के चलते कई इलाकों में बिजली सप्लाई पर भी असर पड़ा है। यह देखना होगा कि गंभीर हालत में पड़े मरीजों के इलाज में इस वजह से कोई बाधा न आए। पहले ही ऑक्सिजन, दवा और इलाज की कमी ने मरीजों और उनके परिजनों का बुरा हाल कर रखा है। तौकते का एक संदेश यह भी है कि जलवायु परिवर्तन और गर्म समुद्री लहरों जैसे कारकों के चलते हमें ऐसे और तूफानों का सामना करने को तैयार रहना पड़ेगा।

सौजन्य -  नवभारत टाइम्स। 

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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