आतंक के तार (जनसत्ता)

भारत में अक्सर उत्पात या फिर आतंक मचाने वाले संगठनों के लोग ऐसे अवसरों की ताक में रहते हैं, जब देश का सुरक्षा तंत्र कानून-व्यवस्था के किसी खास मोर्चे पर केंद्रित हो और उन्हें अपनी मंशा पूरा करने का मौका मिले। देश में फिलहाल समूचा तंत्र कोरोना वायरस से लड़ने में लगा है। इसके अलावा, किसानों के मुद्दे पर आंदोलन चल रहा है। जाहिर है, सरकार और पुलिस तंत्र का ध्यान इनसे उपजे हालात को संभालने की ओर ज्यादा है।

इसी का फायदा उठा कर कुछ अवांछित तत्त्व राजधानी में अपनी कुत्सित मंशा को अंजाम देने की कोशिश में थे। लेकिन दूसरे मोर्चों पर सक्रिय होने का मतलब यह नहीं है कि बाकी क्षेत्रों को खुला छोड़ दिया जाता है। देश के खुफिया तंत्र को इस बात अंदाजा भली प्रकार होता है कि ऐसे मौकों का फायदा उठाने वाले भी ताक में बैठे होते हैं। इसी क्रम में दिल्ली पुलिस को यह खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ संदिग्ध शकरपुर इलाके में छिपे हुए हैं।

इसके बाद सोमवार को पुलिस ने वहां छापेमारी की तो संदिग्धों ने गोलीबारी शुरू कर दी। मुठभेड़ के बाद पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इसमें दो को पंजाब और तीन को कश्मीर से बताया गया है। इनके पास से हथियार और कुछ दस्तावेज भी बरामद हुए हैं।

जाहिर है, समूचे देश में महामारी और अन्य कारणों से खड़ी संवेदनशील स्थितियों में मौके की नजाकत के मद्देनजर सुरक्षा तंत्र की सक्रियता की वजह से इन लोगों को पकड़ा जा सका। फिलहाल आशंका जताई जा रही है कि इन पांचों का संबंध आतंकी संगठनों के साथ है और वे किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में थे। पुलिस के मुताबिक मादक पदार्थों की तस्करी में लगे इन लोगों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ का सहयोग प्राप्त है।

साफ है, अगर खुफिया विभाग की सूचना और समय पर पुलिस की कार्रवाई में चूक होती तो कोई बड़ी अप्रिय घटना हो सकती थी! खबर के मुताबिक, गिरफ्तार पांच संदिग्धों में से दो लोग पंजाब के तरनतारन में बलविंदर सिंह की हत्या में शामिल थे, जिन्हें आतंकवाद से मुकाबले के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। दरअसल, ये लोग मादक पदार्थ की बिक्री में भी लगे हुए थे और उससे हासिल पैसे का इस्तेमाल पंजाब में आतंकवाद के वित्तपोषण में होना था। इसलिए अब पुलिस को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि पकड़े गए लोगों के तार कहां से जुड़े हुए हैं और क्या इनके गिरोह में कुछ और लोग भी शामिल हैं।

इससे पहले भी कई मौकों पर दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा खुफिया सूचना के आधार पर घटना को अंजाम देने के पहले ही आतंकवादियों या संदिग्धों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस बार एक बात की ओर जरूर ध्यान दिलाया जाना चाहिए कि महामारी से लड़ने सहित किसान आंदोलन के मद्देनजर राजधानी में चौकसी के बावजूद पांच संदिग्ध हथियार सहित कैसे अपने ठिकाने पर पहुंच गए।

यह किसी से छिपा नहीं है कि आतंकी संगठनों के सदस्यों द्वारा मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी से जमा किए गए पैसों का इस्तेमाल भारत में सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने के साथ-साथ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में किया जाता रहा है। यह भी जगजाहिर रहा है कि ज्यादातर आतंकी संगठन पाकिस्तान स्थित अपने ठिकानों से अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं।

निश्चित रूप से हमारे सुरक्षा बल और खुफिया तंत्र की निगरानी की वजह से इनकी मंशा को नाकाम कर दिया जाता है। लेकिन इनकी लगातार मौजूदगी और समय-समय पर गिरफ्तारी यह रेखांकित करती है कि हर मोर्चे पर चौकसी बनाए रखने की जरूरत है।

सौजन्य - जनसत्ता।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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