‘दोनों पक्ष प्रतिष्ठा का प्रश्र न बनाएं’ ‘सर्वसम्मत समाधान के लिए करें प्रयास’ (पंजाब केसरी)

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानून रद्द करवाने की मांग पर बल देने के लिए जारी ‘दिल्ली कूच’ आंदोलन के तेरहवें दिन भी दिल्ली के प्रवेश मार्गों पर जारी धरना-प्रदर्शनों के बीच, 8 दिसम्बर को किसान संगठनों के आह्वान पर लगभग दो दर्जन

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानून रद्द करवाने की मांग पर बल देने के लिए जारी ‘दिल्ली कूच’ आंदोलन के तेरहवें दिन भी दिल्ली के प्रवेश मार्गों पर जारी धरना-प्रदर्शनों के बीच, 8 दिसम्बर को किसान संगठनों के आह्वान पर लगभग दो दर्जन राजनीतिक दलों व श्रमिक संगठनों के समर्थन से भारत बंद रहा। सामाजिक कार्यकत्र्ता अन्ना हजारे ने भी आंदोलन का समर्थन करते हुए एक दिन का अनशन किया। किसान संगठनों द्वारा बंद के समर्थक राजनीतिक दलों से उनके प्रदर्शन में अपनी पार्टियों के झंडे और बैनर लेकर न आने के अनुरोध के बावजूद विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकत्र्ता इस बंद में अपनी पार्टियों के झंडे और बैनर लेकर शामिल हुए। कुछ जगह दुकानें बंद भी करवाईं परंतु अधिकांशत: शांतिपूर्वक लेकिन रोचक तरीके से किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किए गए : 

* विशाखापत्तनम में महिलाओं ने सड़कों पर नाच कर और कबड्डी तथा खो-खो खेल कर प्रदर्शन किया। 
* कई जगह लोगों ने भैंस के आगे बीन बजाकर प्रदर्शन किया। 
* बेंगलूरू में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लोगों के आगे हाथ जोड़े और सड़कों पर योगा किया। 
* झारखंड के रांची में प्रदर्शनकारियों ने अपने गले में रोटियों की माला पहनकर किसान कानूनों के विरुद्ध जुलूस निकाला। 

* पटना में एक व्यक्ति डाक बंगला चौक पर स्वयं को जंजीरों से बांध कर बैठ गया। जहानाबाद में कुछ लोगों ने बसों की हवा निकाल दी, भाजपा और जद-यू नेताओं के पोस्टर फाड़े गए।
* दिल्ली सीमा पर धरना दे रहे किसानों ने रक्तदान कैम्प का आयोजन किया और नवी मुम्बई में लोगों ने बाइक रैली निकाली। 
* श्रीनगर में लोगों ने ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे लगाए।
* टिकरी सीमा पर किसानों ने ‘जय किसान’, ‘हमारा भाईचारा जिंदाबाद’, ‘किसान एकता जिंदाबाद’, ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाए। 

इस बीच किसानों के संघर्ष को लेकर राजनीति भी लगातार जारी है तथा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘‘हर चीज पर लोगों को गुमराह करना, देश की छवि को बदनाम करने की साजिश करना इन (विपक्षी दलों) का पुराना तरीका रहा है।’’केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अनुसार, ‘‘बौखलाया हुआ विपक्ष जो जनता का समर्थन प्राप्त नहीं कर पाया वह आज कानून-व्यवस्था भंग करने पर उतारू हो चुका है ताकि अपनी राजनीति चमका सके। कहीं न कहीं राजनीतिक दखल भी है ताकि अराजकता फैले।’’ राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी जी किसानों से चोरी बंद करो। हमारे अन्नदाता के संघर्ष को सफल बनाएं।’’ प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘जो किसान अपनी मेहनत से फसल उगा कर हमारी थालियों को भरता है, उन किसानों को भाजपा सरकार अपने अरबपति मित्रों की थैली भरने के दबाव में भटका हुआ बोल रही है।’’ 

9 दिसम्बर को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच छठे दौर की वार्ता से पहले 8 दिसम्बर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ दिल्ली में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बातचीत की। इस पर आंदोलनकारी नेताओं ने कहा ‘‘हम तीनों कानूनों की पूरी तरह वापसी की अपनी मांग पर अडिग हैं और इसमें किसी तरह के संशोधनों पर राजी नहीं हैं। हमें तीनों कानून रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।’’ ‘‘यदि सरकार कानून बना सकती है तो वापस भी ले सकती है। सरकार को किसान संगठनों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। हम तभी पीछा छोड़ेंगे जब हमें अपनी मांगों पर लिखित में भरोसा मिलेगा।’’ ऐसे हालात के बीच किसान नेताओं ने महत्वपूर्ण सड़कों को अवरुद्ध करने तथा टोल प्लाजों पर कब्जा करने की चेतावनी भी दे दी है। 

एक नाटकीय घटनाक्रम में भारत बंद के दिन ही 8 दिसम्बर को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों को शाम 7 बजे बातचीत के लिए बुला लिया जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत के अलावा लगभग एक दर्जन अन्य किसान नेता भी शामिल हुए। रात 11 बजे खत्म हुई बैठक के बाद किसान नेता हनन मुला ने कहा कि कल की बैठक नहीं होगी और सरकार कल संशोधन के लिए नया लिखित प्रस्ताव देगी और 10 दिसम्बर को फिर बैठक होगी। इस समय जबकि देश एक ओर पाकिस्तान तथा चीन से सीमा पर खतरे का सामना कर रहा है तो दूसरी ओर चंद अराजक तत्व किसान आंदोलन का लाभ उठाने की फिराक में हैं, ऐसे में इस बैठक पर पूरे देश की नजरें टिकी थीं।

अत: यह जरूरी है कि दोनों ही पक्ष इस मुद्देे को प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाकर सर्वसम्मत समाधान के लिए प्रयास करें ताकि सरकार और किसानों में जारी गतिरोध समाप्त हो। इससे न सिर्फ नाकेबंदी के शिकार दिल्ली वासियों को राहत मिलेगी बल्कि आंदोलनरत किसान बंधु भी अपने घरों को लौट कर अपने कामकाज में व्यस्त हो सकेंगे और देश के हालात सामान्य होने के साथ-साथ इसके परिणामस्वरूप प्रतिदिन हो रही देश की आॢथक क्षïति को भी रोका जा सकेगा।-विजय कुमार

सौजन्य - पंजाब केसरी।

Share on Google Plus

About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment