टीकाकरण अभियान के संचालन में दलगत राजनीतिक हितों को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। टीकाकरण अभियान का सफल संचालन न केवल महामारी को परास्त करने में सहायक बनेगा बल्कि वह भारत की सामर्थ्य का परिचायक भी साबित होगा। इससे बेहतर और कुछ नहीं कि इस अभियान को इस तरह चलाया जाए कि वह पूरी दुनिया के लिए नजीर बने।
महामारी कोविड-19 रोधी वैक्सीन लगाने की तैयारियों को अंतिम रूप देने के बीच प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों से होने वाली बातचीत से यही संदेश निकलना चाहिए कि इस देशव्यापी अभियान में केंद्र और राज्यों के आपसी सहयोग में कोई कसर नहीं उठा रखी जाएगी। ऐसा कोई संदेश तभी निकलेगा, जब इस अभियान के संचालन में दलगत राजनीतिक हितों को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। यह शुभ संकेत नहीं कि जहां कुछ विपक्षी नेताओं ने वैक्सीन को लेकर लोगों को गुमराह करने वाले बयान दिए, वहीं कुछ ने उन्हें मंजूरी देने की प्रक्रिया को लेकर गैर जरूरी सवाल खड़े किए। ये सवाल खड़े करते समय इसकी अनदेखी ही की गई कि आखिर कोई सरकार ऐसा काम क्यों करेगी, जिससे उसकी साख को चोट पहुंचे? हालांकि यह पहले से स्पष्ट है कि चिकित्सकों, स्वास्थ्य कíमयों समेत कोरोना संक्रमण का आगे बढ़कर मुकाबला करने वाले करीब तीन करोड़ लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाई जाएगी, फिर भी कुछ मुख्यमंत्री यह चाह रहे हैं कि संपूर्ण टीकाकरण अभियान मुफ्त हो। सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाने की मांग सुविचारित नहीं कही जा सकती।
यह तो समझ आता है कि निर्धन तबके और खासकर गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों को मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराई जाए, लेकिन यह ठीक नहीं होगा कि जो आíथक रूप से समर्थ हैं, उन्हें भी मुफ्त में यह सुविधा उपलब्ध कराई जाए। जो सक्षम हैं, कम से कम उनसे लागत मूल्य तो लिया ही जाना चाहिए। इससे सरकारी खजाने पर बोझ भी नहीं पड़ेगा और निर्धन तबके के ज्यादा से ज्यादा लोगों के मुफ्त टीकाकरण में मदद भी मिलेगी। जब राज्य सरकारें इससे अच्छी तरह परिचित हैं कि कोरोना संकट के चलते सरकारी कोष पर दबाव है तब फिर इसका कोई औचित्य नहीं कि समर्थ लोगों को भी मुफ्त वैक्सीन लगाने की मांग की जाए। कहना कठिन है कि सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाने की मांग पर क्या फैसला होगा, लेकिन उचित यही है कि इस मांग पर जोर देने के बजाय स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने पर ध्यान दिया जाए। आवश्यकता इसकी भी है कि टीकाकरण अभियान के दौरान केंद्र और राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि उनके विभिन्न विभागों में हर स्तर पर तालमेल न केवल कायम होगा, बल्कि वह नजर भी आएगा। ऐसा इसलिए होना चाहिए, क्योंकि यह विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है। पूरी दुनिया की निगाहें इस अभियान पर होंगी। इस अभियान का सफल संचालन न केवल महामारी को परास्त करने में सहायक बनेगा, बल्कि वह भारत की सामर्थ्य का परिचायक भी साबित होगा। इससे बेहतर और कुछ नहीं कि इस अभियान को इस तरह चलाया जाए कि वह पूरी दुनिया के लिए नजीर बने।
सौजन्य - दैनिक जागरण।
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