देश की तमाम समस्याओं के मूल में यह नकारात्मकता ही है। वैसे तो यह हर कहीं नजर आती है लेकिन आज यदि कोई क्षेत्र इससे सबसे अधिक ग्रस्त है तो वह है राजनीति। इस नकारात्मकता का एकमात्र उपचार है शुभ संकल्प और सबके कल्याण की भावना।
नववर्ष के आगमन के साथ ही देश-दुनिया ने एक नए कालखंड में प्रवेश कर लिया है। ऐसे अवसर न केवल एक नई उम्मीद जगाते हैं, बल्कि सकारात्मक भाव का संचार भी करते हैं। महामारी कोविड-19 से आक्रांत दुनिया को इस भाव से भरने की कहीं अधिक आवश्यकता है। सौभाग्य से इस आवश्यकता की पूर्ति हो रही है और इसमें सहायक बन रही है कोविड-19 रोधी वैक्सीन। इस वैक्सीन की उपलब्धता का दायरा जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे यह आशा भी बलवती होती जा रही है कि आखिरकार इस महामारी से मुक्ति पा ली जाएगी। अच्छी बात यह है कि अगले एक-दो दिन में यह तय हो जाएगा कि भारत में वैक्सीन लगने का कार्यक्रम कब से शुरू होगा?
यह एक बड़ा कार्यक्रम होगा, क्योंकि पहले चरण में ही 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण की तैयारी है। यह तैयारी अंतिम चरण में होने के बाद भी अभी सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि एक तो कोरोना संक्रमण से मुक्ति नहीं मिली है और दूसरे, उसके बदले हुए रूप ने भारत में भी दस्तक दे दी है। नि:संदेह यह एक चुनौती अवश्य है, लेकिन बीते हुए बरस ने कोरोना के संक्रमण और उससे उपजी तमाम समस्याओं का सामना करने की जो संकल्पशक्ति प्रदान की है, वह हमारा संबल बननी चाहिए।
भारत ने तमाम विपरीत परिस्थितियों में कोरोना के कहर का जिस तरह सामना किया है, वह एक मिसाल है। इस मिसाल को अन्य क्षेत्रों में भी कायम करने और इस तरह देश को नए शिखर की ओर ले जाने की जरूरत है। नि:संदेह इस जरूरत की पूर्ति तब होगी, जब जीवन के हर क्षेत्र में संयम और अनुशासन के साथ परिपक्वता का भी परिचय दिया जाएगा।
इससे ही सकारात्मकता को बल मिलेगा और हर तरह की चुनौतियों से पार पाने का मार्ग प्रशस्त होगा। यह मार्ग तब और प्रशस्त होगा, जब हर कोई शांति एवं सद्भाव के वातावरण को निर्मित करने में अपना सहयोग देगा। इसके लिए यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य भी है कि नकारात्मकता का परित्याग किया जाए।
देश की तमाम समस्याओं के मूल में यह नकारात्मकता ही है। वैसे तो यह हर कहीं नजर आती है, लेकिन आज यदि कोई क्षेत्र इससे सबसे अधिक ग्रस्त है तो वह है राजनीति। इस नकारात्मकता का एकमात्र उपचार है शुभ संकल्प और सबके कल्याण की भावना।
यह समझने की जरूरत है कि इस नकारात्मकता ने ही उस सकारात्मकता और तार्किकता के लिए स्थान कम किया है, जिसके बिना कोई समाज या देश आगे नहीं बढ़ सकता। नववर्ष का आगमन इसके लिए सबसे शुभ अवसर है कि हम सब सकारात्मकता की शक्ति को समझें और उससे लैस भी हों।
सौजन्य - दैनिक जागरण।
0 comments:
Post a Comment