अपने वक्त के कुबेर और हकीकत (हिन्दुस्तान)

आलोक जोशी, वरिष्ठ पत्रकार 


टेस्ला के सीईओ एलन मस्क अब दुनिया के सबसे अमीर आदमी हो चुके हैं। उन्होंने एमेजॉन के सीईओ जेफ बेजोस को पछाड़ दिया है। मतलब साफ है कि ऑनलाइन शॉपिंग से आगे का आइडिया बन चुकी है टेस्ला की बैटरी से चलने वाली कार। यानी अब टेस्ला का टाइम आ गया है। कुछ ही वर्ष पहले यह मजाक लगता था कि बैटरी से कार चलेगी, पर अब यह न सिर्फ असलियत है, बल्कि फिलहाल दुनिया का सबसे चमकदार आइडिया भी है। टेस्ला के शेयर में आए तेज उछाल की वजह से गुरुवार को एलन मस्क की कुल हैसियत 185 अरब डॉलर हो गई थी, जबकि उसी दिन बेजोस के शेयरों की कुल कीमत 184 अरब डॉलर ही थी। अगले दिन यानी शुक्रवार को भी टेस्ला में 7.84 प्रतिशत का उछाल दिखा, जबकि एमेजॉन में एक प्रतिशत से भी कम की बढ़ोतरी हुई। अर्थात अमीरों की सूची के पहले पायदान पर एलन मस्क की जगह और पक्की ही हुई। 

यह किस्सा और चमत्कारी हो जाता है, जब आप देखें कि 2020 की शुरुआत में एलन मस्क दुनिया के पचास धनकुबरों की लिस्ट में भी मुश्किल से ही शामिल हो पाते। उस वक्त उनकी कुल हैसियत थी करीब 28 अरब डॉलर। उससे भी छह महीने पहले तो मस्क की कंपनी के बेतहाशा खर्च पर सवाल उठ रहे थे और उन्हें खुद अपने शेयर गिरवी रखकर मोटा कर्ज उठाना पड़ा था। दुनिया के इतिहास में वह सबसे तेजी से कुबेरों की सूची में टॉप पर पहुंचने वाले इंसान हैं। जुलाई में मस्क ने दिग्गज वैल्यू इन्वेस्टर वॉरेन बफेट को पीछे छोड़ा और सातवें नंबर पर पहुंचे। नवंबर के अंतिम सप्ताह में वह बिल गेट्स को भी पार कर दूसरे नंबर पर आ गए, और अब जनवरी की शुरुआत में वह दुनिया के सबसे अमीर इंसान बन चुके हैं।   

जिन लोगों को मस्क ने पीछे छोड़ दिया है, उनका हाल भी कुछ खास बुरा नहीं है। एक ऐसे दौर में, जब कोरोना महामारी और उससे पैदा हुआ आर्थिक संकट दुनिया के हर हिस्से में लाखों-करोड़ों लोगों के रोजगार, बचत और जीविका तक छीन चुका है, अमीरों की संपत्ति में हुई वृद्धि चौंकाने वाली है। एक अमेरिकी थिंक टैंक के मुताबिक, कोरोना काल में ही सबसे अमीर 641 लोगों की हैसियत में एक लाख करोड़ डॉलर यानी सत्तर लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का इजाफा हुआ है। एक चौथाई हिस्सा तो इनमें से सिर्फ ऊपर के दस लोगों के हाथ लगा है। आप सोचते होंगे कि यह तो दूर देश की कहानी है, तो भारत का हाल भी कुछ खास अलग नहीं है। यहां भी इसी दौरान यानी कोरोना काल में देश के सात सबसे बड़े धन्ना सेठों की संपत्ति में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कुल मिलाकर, इन्होंने अपनी हैसियत में करीब 64 अरब डॉलर की बढ़त दर्ज की है। और यह हिसाब लगा था दिसंबर के बीच में। तब से अब तक बाजार में करीब साढे़ पांच प्रतिशत का उछाल और आ चुका है, तो यह आंकड़ा भी बढ़ चुका होगा। भारत में टॉप पर तो पिछले कुछ वर्षों से मुकेश अंबानी ही हैं, लेकिन इस बार वह दुनिया के दस बडे़ सेठों की सूची से बाहर हैं। अब वह 13वें नंबर पर हैं। सबसे तगड़ी छलांग लगाई है गौतम अडानी ने। उनकी कुल संपत्ति करीब 29 अरब डॉलर की हो गई है, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुनी है। संपत्ति बढ़ाने के मामले में अडानी इस साल दुनिया में नौवें नंबर पर रहे। उन्होंने हर रोज अपनी संपत्ति में करीब साढे़ चार सौ करोड़ रुपये जोड़े हैं। उधर, चीन में जैक मा के गायब होने की खबर है। तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। जैक मा दुनिया के व्यापार में चीन के दबदबे का एक बड़ा जरिया ही नहीं, दुनिया भर में चीन के पोस्टर बॉय भी थे। हुआ यह कि 24 अक्तूबर को जैक मा ने एक आयोजन में भाषण दिया और वहां चीन के बैंकिंग सिस्टम पर कुछ गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चीन के बैंक सूदखोर महाजनों की तरह काम कर रहे हैं और जमाने के साथ कदम मिलाकर नहीं चलते। उन्होंने बैंकिंग रेगुलेटर की भी आलोचना की। इस भाषण के बाद से जैक मा कहीं दिखाई नहीं पड़े हैं। उनकी कंपनी की जांच शुरू हो गई है और उनकी कंपनी एंट ग्रुप का आईपीओ भी सरकार ने रुकवा दिया है, जो दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ होता। चीन में बडे़ व्यापारियों या उद्योगपतियों के गायब होने का यह पहला मामला नहीं है। ऐसे किस्से वहां होते रहते हैं।अक्तूबर में ही वहां एक और उद्योगपति ऐसे ही गायब हुए थे। कुछ समय बाद खबर मिली, भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें 18 साल की सजा सुना दी गई है। यह मामला इसलिए बड़ा और गंभीर है, क्योंकि यह वही जैक मा हैं, जिन्होंने दुनिया के रिटेल कारोबार में तहलका मचा रखा था। जिनकी सफलता दिखाकर भारत जैसे देशों में बहुत से उद्योगपति और उद्योग संगठन न सिर्फ चीन की तारीफ करते रहे हैं, बल्कि भारत में ‘टू मच डेमोक्रेसी’ होने की शिकायत भी। इधर भारत में शेयर बाजार उसी अंदाज में चल रहा है, मानो वह भारत का नहीं, चीन का बाजार हो। जीडीपी नीचे जाए, महंगाई बढ़े, बेरोजगारी बढ़े, कोर सेक्टर में गिरावट से लेकर जीडीपी में 7.7 प्रतिशत की सालाना गिरावट का अनुमान हो। ये सारी खबरें जैसे भारत के शेयर बाजारों के लिए मायने ही नहीं रखती हैं। इस चक्कर में हुआ यह कि इस धुआंधार तेजी के बावजूद भारत सरकार को टाटा समूह ने मात दे दी। बाजार में लिस्टेड सरकारी कंपनियों के शेयरों की कुल कीमत के मुकाबले टाटा समूह की लिस्टेड कंपनियों की कीमत कुछ ज्यादा हो गई। पहली बार ऐसा हुआ कि भारत के शेयर बाजार में सबसे बड़ी निवेशक भारत सरकार नहीं, बल्कि टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा सन्स है। आज देशी-विदेशी निवेशक बाजार में जमकर पैसा झोंक रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अब खासकर नए निवेशकों या छोटे निवेशकों को सावधान रहना चाहिए। जरूरी है कि हर कंपनी को ठोक बजाकर देखा जाए और आईपीओ में अर्जी लगाने के पहले पूरी पड़ताल की जाए। वरना साल भर से चल रहा यह दिवाली जैसा माहौल दिवालिया होने का कारण भी बन सकता है। सावधान रहें, कहीं आपका पैसा ही अमीरों की अमीरी और बढ़ाने में काम न आ जाए। 

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

सौजन्य - हिन्दुस्तान।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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