आज जब सारे देश में वैक्सीन रिहर्सल चलाया जायेगा तो एक और खबर कोरोना के भय में जी रहे लोगों के लिये राहतकारी होगी कि विशेषज्ञों के पैनल ने कोविशील्ड वैक्सीन को देश में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। उम्मीद है कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से इसे इमरजेंसी अप्रूवल मिल ही जायेगा। सौंपी गई सिफारिश से एक बात तो साफ हो गई है कि देश में इस्तेमाल की जानी वाली पहली कोरोना वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार की जा रही कोविशील्ड ही होगी। दरअसल, इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रजेनेका द्वारा तैयार किया गया है, जिसे से मंजूरी मिलने की औपचारिकताएं बाकी हैं। बात तो भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की मंजूरी की भी की जा रही है, जिसकी पुष्टि अभी बाकी है। इससे पहले अमेरिकी कंपनी फाइजर और भारत बायोटेक भी अपनी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति के लिये आवेदन कर चुके हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आपातकालीन उपयोग के लिये फाइजर की वैक्सीन को अनुमति दी है। इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि बीते साल से कोरोना संक्रमण के भय में जी रहे लोगों को राहत मिलने का समय आ गया है। देशभर में चलाये जा रहे ड्राई रन अभियान इस बात का संकेत हैं कि इसी माह देश में वैक्सीनेशन का कार्य शुरू हो जायेगा। इसके लिये देशव्यापी मुहिम जारी है। देश के पौने करोड़ हेल्थ वर्कर का डेटा राज्यों ने केंद्र को उपलब्ध कराया है। करीब 83 करोड़ सीरिंज का ऑर्डर दिया जा चुका है और 35 करोड़ सीरिंज के लिये निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। बीते साल के आखिरी दिन देश के कंट्रोलर जनरल ने संकेत दिया था कि नया साल खुशनुमा होगा क्योंकि हमारे हाथ में कुछ उत्साहवर्धक होगा, जिसकी घोषणा नये साल के पहले दिन कर दी गई। दरअसल, सरकार की कोशिश है कि अगले करीब छह महीने के समय में करीब 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज दे दी जाये।
निस्संदेह भारत को शीघ्र वैक्सीन के इस्तेमाल की जरूरत थी। भारत दुनिया में सर्वाधिक संक्रमण वाला दूसरा देश रहा है। एक करोड़ लोगों का संक्रमण के बाद ठीक होना हमारी उपलब्धि है। कोरोना संकट ने आम लोगों को बताया कि दुनिया में सर्वाधिक वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया स्वदेशी कंपनी है। यह हमारी ताकत भी है कि संकट के दौरान ही कंपनी ने रिस्क लेते हुए पांच करोड़ वैक्सीन तैयार कर ली है। कंपनी ने निर्णय किया है कि उसकी पहली प्राथमिकता भारत की जरूरतों को पूरा करना होगा। उसके बाद ही दक्षिण एशिया और अफ्रीकी देशों को वैक्सीन की आपूर्ति की जायेगी। महत्वपूर्ण यह भी है कि यह वैक्सीन आम आदमी के बजट में आने वाली सबसे सस्ती वैक्सीन है। इसे भारत में संभव तापमान में रखा जा सकता है। जबकि फाइजर की वैक्सीन को माइनस सत्तर डिग्री सेल्सियस पर रखना अनिवार्य है जो भारत जैसे विकासशील देश में एक चुनौती होती। सस्ती होने के कारण ही सरकार की इस वैक्सीन से बड़ी उम्मीदें जुड़ी थीं ताकि कमजोर वर्ग तक इसे बड़े आर्थिक दबाव के बिना पहुंचाया जा सके। ब्रिटेन के बाद इसे भारत में विशेषज्ञों द्वारा अनुमति देना बताता है कि देश अब कोरोना संक्रमण के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ सकता है। इस लड़ाई में दुनिया की सबसे ज्यादा वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट का भारत में होना सोने में सुहागा जैसा है। कंपनी का दावा है कि मार्च तक कंपनी दस करोड़ और जून तक तीस करोड़ वैक्सीन की डोज उपलब्ध करा देगी। सरकार ने जरूरतमंदों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिये कोविन प्लेटफॉर्म बनाया है। राष्ट्रीय स्तर पर मास्टर ट्रेनरों के प्रशिक्षण के बाद देश के सात सौ से अधिक जनपदों में प्रशिक्षण जारी है। उम्मीद है कि अब अमेरिका में फाइजर, ब्रिटेन में फाइजर व एस्ट्रोजेनेका, चीन में सिनोफार्म तथा रूस में स्पूतनिक के बाद भारत में कोविशील्ड का उपयोग कोरोना के खिलाफ जंग में निर्णायक साबित होगा जो भारतीयों के लिये राहत की बात है।
सौजन्य - दैनिक ट्रिब्यून।
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