आक्रामक चीनी तेवर (प्रभात खबर)


लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई महीनों से जारी तनाव के कम होने के आसार नहीं हैं. दोनों देशों के बीच कई बैठकें हो चुकी हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यथास्थिति बने रहने के कारण दोनों देशों की सैनिक तैनाती भी कम नहीं होगी. उल्लेखनीय है कि चीन की आक्रामकता को देखते हुए भारत ने बीते महीनों में उस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है तथा आवश्यक मात्रा में हथियार व साजो-सामान भी तैनात कर दिये गये हैं.



हमारी तीनों सेनाएं लद्दाख और अन्यत्र चीनी रवैये के ठोस प्रतिकार के लिए संयुक्त रूप से प्रयासरत हैं. हमारी सरकार और सेना ने बार-बार कहा है कि यह तैनाती चीनी जमावड़े की प्रतिक्रिया में है तथा इलाके में अप्रैल से पहले की स्थिति की बहाली के साथ ही हमारे सैनिक पीछे आ जायेंगे. इसके बरक्स चीन का इरादा नियंत्रण रेखा को घुसपैठ के सहारे मनमाने तरीके से बदलने का है.



वायु सेनाध्यक्ष आरकेएस भदौरिया ने कहा है कि चीन ने अग्रिम मोर्चे पर भारी जमावड़े के साथ पीछे भी बड़ी संख्या में सैनिकों को जुटाया है. अत्याधुनिक राडारों और मिसाइलों के अलावा चीनी वायु सेना के दस्ते भी मौजूद हैं. इससे स्पष्ट है कि बातचीत की आड़ में चीन अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है तथा पीछे हटने की उसकी मंशा नहीं है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अनेक बयानों में कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा में बदलाव की किसी भी एकतरफा कोशिश को भारत स्वीकार नहीं करेगा. चीनी सैन्य क्षमता के हिसाब से भारत को भी सैनिकों और हथियारों का जुटान करना पड़ा है.


जैसा कि वायु सेनाध्यक्ष ने रेखांकित किया है कि अगर भारत की तैनाती समुचित नहीं होती, तो उस क्षेत्र की स्थिति आज अलग ही होती. समूची वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चौकसी और मुस्तैदी के अलावा भारतीय सैन्य क्षमता समुद्र और हवा में चीनी आक्रामकता का सामने करने के लिए तैयार है. हिंद महासागर में ऐसा कोई भी चीनी ठिकाना नहीं हैं, जो हमारे लड़ाकू जहाजों और मिसाइलों की हद से परे हो. चीन और पाकिस्तान की नजदीकी से भी भारत को सावधान रहना है. चीफ मार्शल भदौरिया ने सही ही कहा है कि आर्थिक गलियारे की परियोजना के कर्ज से डूबा पाकिस्तान पूरी तरह से चीन का प्यादा बन चुका है.


भारत के आंतरिक मामलों पर बेतुकी बयानबाजी करने के साथ दोनों देश गलियारे के बहाने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीरी इलाके में मानवाधिकारों और पर्यावरण की कीमत पर निर्माण कार्य करने और प्राकृतिक संपदा लूटने पर आमादा हैं. भारत में अस्थिरता और हिंसा फैलाना भी चीन व पाकिस्तान की जुगलबंदी का एक आयाम है. क्षेत्रीय स्तर पर धौंस दिखाना चीन के वैश्विक वर्चस्व स्थापित करने की महत्वाकांक्षा से जुड़ा हुआ है. इस स्थिति में सामरिक और कूटनीतिक प्रयासों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन पर दबाव बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.

सौजन्य - प्रभात खबर।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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