ऐसे वक्त में जब देश कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा था, बर्ड फ्लू की दस्तक ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। यूं तो बर्ड फ्लू के मामले विगत में भी सामने आते रहे हैं, लेकिन इस नये स्ट्रैन को चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। इसकी वजह यह है कि यह वायरस पक्षियों के साथ जानवरों व मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है। यदि मनुष्य पक्षियों या पोल्ट्री पक्षियों के संपर्क में आता है तो संक्रमित होने की गुंजाइश बनी रह सकती है। शुरुआती दौर में राजस्थान में बड़ी संख्या में कौवों व प्रवासी पक्षियों के मरने के समाचार सामने आये थे, जिनकी जांच में वायरस होने की पुष्टि हुई है। ऐसे मामले केरल में भी सामने आये और बड़ी संख्या में मुर्गियों-बतख तथा अन्य पालतू पक्षियों को मारने के आदेश दिये गये हैं। इसी तरह हिमाचल में प्रवासी पक्षियों के मरने की खबरों के बाद नमूनों की जांच के बाद बर्ड फ्लू फैलने की पुष्टि हुई है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पोंग बांध की झील क्षेत्र में मृत पाये गये प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई है। मध्य प्रदेश में भी बर्ड फ्लू के मामले प्रकाश में आने के समाचार हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि राजस्थान के सीमावर्ती जिलों से मध्य प्रदेश में वायरस का फैलाव हुआ है। हरियाणा में पंचकूला के निकट स्थित पोल्ट्री फार्मों में मृत मुर्गियों के नमूने जांच के लिये भेजे गये हैं। यहां भी पोल्ट्री पक्षियों के मरने की बात कही जा रही थी। यूं तो अधिक सर्दी में भी पक्षियों के मरने की खबरें आती हैं, ऐसे में हर मौत को बर्ड फ्लू नहीं कहा सकता है, लेकिन शुरुआती जांच में कई जगह बर्ड फ्लू फैलने के संकेत मिले हैं। कुछ मृत पक्षियों के नमूने जालंधर स्थित आरडीडीएल भेजे गये हैं।
शुरुआती दौर में राजस्थान में भी बड़ी संख्या में कौवों, बगुलों और अन्य पक्षियों की मौत के मामले सामने आये हैं। झालावाड़ के मृत पक्षियों के नमूनों को भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भेजा गया था, जिसमें बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई। बताया जा रहा है कि केरल के कोट्टायम और अलप्पुझा जिलों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने तथा सैकड़ों बतखों के मरने पर एक निर्धारित दायरे के पक्षियों व पालतू पक्षियों को मारने के आदेश दिये गये हैं। बताया जा रहा है कि नया वायरस पहले के मुकाबले ज्यादा घातक हो सकता है और मनुष्य को भी चपेट में लेने की आशंका बनी हुई है। वहीं बरेली स्िथत भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में मृत पक्षियों के नमूनों की जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। वैसे भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज ऐसे मामलों की जांच के लिये नोडल इकाई है, जहां मार्च के बाद कोरोना वायरस पर शोध किया जा रहा है। ऐसे में सलाह दी जा रही है कि मुर्गी, बतख, मछली और इनसे जुड़े उत्पादों, मसलन अंडे व मांस के सेवन से परहेज किया जाये। कुछ इलाकों में इन उत्पादों की बिक्री पर भी रोक लगाई गई है। ऐसे में कोशिश की जा रही है कि संक्रमित इलाकों के पक्षियों का सुरक्षित तरीके से निस्तारण किया जाये। असली संकट तब पैदा होगा जब वायरस मनुष्य तक पहुंचेगा। संबंधित विभागों को अलर्ट रहने को कहा गया है। दरअसल यह वायरस भी नाक, कान व मुंह से सांस के जरिये मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है। इससे पहले देश में कई बार इस वायरस ने दस्तक दी है। केरल में वर्ष 2016 में बर्ड फ्लू के मामले प्रकाश में आये थे। लेकिन पहले एच5एन1 वायरस के मुकाबले नया स्ट्रैन ज्यादा तेजी से फैलने वाला बताया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि संक्रमण होने पर उपचार के लिये जरूरी दवाएं उपलब्ध हैं। इस संक्रमण के होने पर नाक बहने, सांस लेने में दिक्कत होने, उल्टी होने का अहसास, कफ बने रहने और गले में सूजन, मांसपेशियों में दर्द तथा सिर व पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत रहती है।
सौजन्य - दैनिक ट्रिब्यून।
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