कोरोना महामारी से निपटने के चुनौतीपूर्ण कार्य का एक चिंताजनक पहलू यह भी है कि इस दौरान लॉकडाउन और विभिन्न पाबंदियों की वजह से अनेक गंभीर बीमारियों के पीड़ितों के उपचार में बाधा आयी है. तपेदिक (टीबी) ऐसा ही भयावह रोग है, जिससे हमारे देश में हर रोज 12 सौ से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. यह बीमारी लाइलाज नहीं है, लेकिन सही समय पर जांच, उपचार और समुचित देखभाल न मिलने की वजह से इतनी बड़ी संख्या में लोग मारे जाते हैं.
ऐसे में पीड़ितों को ज्यादा परेशानी होने के अलावा उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है. कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी भारत में महामारी का रूप लेती जा रही है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012-14 के बीच हर एक लाख आबादी पर औसतन 80 से 110 लोग कैंसर से ग्रस्त हुए थे. पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों में तो यह अनुपात 150 से 200 के बीच रहा था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार, 2018 में 11.6 लाख कैंसर के नये मामले भारत में आये थे और इस रोग से करीब 7.85 लाख लोगों की जान गयी थी.
सौजन्य - प्रभात खबर।
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