नीलम कौशिक, प्रोफेसर, स्ट्रेटेजिक एरिया, आइआइएम बेंगलूरु
आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक बात अवश्य निहित है कि यह नवाचार और समस्याओं के समाधान की संस्कृति विकसित करने के सतत प्रयास का अवसर देता है। कोरोना संकट के दौरान नवाचार की चुनौतियों को गति देने और भारत के संदर्भ में पेश आ रही विशिष्ट चुनौतियों को संबोधित करने के लिए कराए गए हैकाथॉन इसी दिशा में उम्मीद जगाने वाला कदम कहे जा सकते हैं। मार्च में लॉकडाउन के बाद देश में 20 से ज्यादा कोविड वर्चुअल हैकाथॉन और इनोवेशन चैलेंज लॉन्च किए गए। अत्याधुनिक संचार तकनीक और सहयोगी टूल्स के चलते इनमें लोगों की अच्छी खासी भागीदारी देखने को मिली। इन आयोजनों को विभिन्न संगठनों और सरकारी संस्थाओं का सहयोग मिला, जैसे एमईआइटीवाइ, एमएचआरडी, नीति आयोग आदि।
महामारी के कारण जो चुनौतियों पेश आईं, उनके इर्द-गिर्द की जटिलताओं और अनिश्चितताओं ने कोविड-19 की समस्या को कम ही आंका है। स्वास्थ्य क्षेत्र में कमजोर आधारभूत ढांचे जैसी व्यवस्थागत समस्याएं इस जटिल समस्या को और मुश्किल बना रही हैं। हैकाथॉन और नवाचार प्रतियोगिताएं बुद्धिजीवियों के समूह से समस्या के समाधान पाने का मार्ग प्रशस्त करती हैं, वह भी वित्तीय पुरस्कारों के जरिए।
नोबेल पुरस्कार विजेता लाइनस पॉलिंग के अनुसार, 'एक अच्छा आइडिया तभी सामने आता है, जब आपके पास बहुत सारे आइडिया हों।' एक ओर जहां आइडिया प्रतियोगिताएं, हैकाथॉन और नवाचार प्रतियोगिताओं का आयोजन बहुत से आइडिया और समाधान प्रस्तुत करता है, वहीं दूसरी ओर जटिल समस्याओं के समाधान के लिए मात्र आइडिया एकत्र करने की नहीं, बल्कि आपसी समन्वय और सहयोग के साथ काम करने की जरूरत होती है। इसलिए समस्या विशेष के समाधान के लिए समुदायों के बीच सतत सहयोग के प्रयास किए जाने चाहिए। इससे विभिन्न स्तर पर विशेषज्ञों से मिले विविध विचारों और दृष्टिकोण को एक सूत्र में पिरोने का अवसर मिलता है।
सरकारी निकाय मॉडल विकास और पायलट प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय एवं अन्य प्रकार की सहायता उपलब्ध करवा सकते हैं। सामुदायिक विचार-विमर्श से ही कारगर आइडिया जन्म लेते हैं और उन पर संपूर्ण समुदाय का अधिकार होता है, व्यक्ति विशेष का नहीं। इसके अलावा समस्या के समाधान के लिए 'समझ' पर आधारित मानव केंद्रित रवैया महत्त्वपूर्ण होगा, जैसा लोक सेवाओं की अदायगी में होता है। खुले नवाचार मंच ओपनआइडियो (डिजाइन थिंकिंग फर्म आइडीईओ से संबद्ध) से प्रेरणा ली जा सकती है। इस फर्म का अपना विश्व स्तरीय भागीदारों का समुदाय है और यह जटिल सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए डिजाइन थिंकिंग सिद्धांतों का इस्तेमाल करती है, जैसे कि घाना में निम्न आय वर्ग समुदाय के लिए स्वच्छता सुधार। दूसरी ओर, कोविड चुनौतियों और हैकाथॉन के आंकड़ों से जाहिर है कि इस क्षेत्र में तकनीकी क्षेत्र के लोगों का प्रतिनिधित्व जरूरत से ज्यादा रहा। जरूरत है समाज विज्ञान, कला, नीति आदि विभिन्न क्षेत्रों से लोगों की भागीदारी की, जिनके समृद्ध दृष्टिकोण यह बताते हैं कि जटिल समस्याओं के समाधान के संदर्भ में तकनीक की अपनी सीमाएं हैं।
जाहिर है देश में समस्या समाधान की संस्कृति विकसित करने की दिशा में दूरगामी प्रयास साबित होगा भारत के विभिन्न वर्गों की युवा प्रतिभाओं की विचारधारा को एक सूत्र में पिरोने की राह तलाशना। इसे साकार करने के लिए प्रशासनिक तंत्र के साथ चलना होगा, नागरिक विज्ञान परियोजनाओं और जटिल समस्याओं के समाधान के लिए जानकारी जुटानी होगी। समस्या समाधान मॉडल प्रस्तुत करने के लिए हैकाथॉन जैसे कार्यक्रमों में भागीदारों के प्रोत्साहन की आवश्यकता को भी समझना होगा।
सौजन्य - पत्रिका।
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