हमारे नीति-नियंताओं को इससे अवगत होना चाहिए कि मिलावटी अथवा मानकों की अनदेखी कर तैयार किए जाने वाले खाद्य पदार्थ देश को सेहतमंद बनाने के लक्ष्य में एक बड़ी बाधा हैं। यह बाधा दूर करने के लिए कोई अभियान छेड़ा जाना चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कोरोना संक्रमण का डटकर मुकाबला करने के बाद सेहत के मोर्चे पर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने की जो जरूरत जताई, उसे पूरा करने के लिए सभी को आगे आना होगा। यह सही है कि देश कोरोना संकट का सही तरह सामना कर रहा है, लेकिन केवल इससे ही यह साबित नहीं हो जाता कि सेहत के मोर्चे पर सब कुछ ठीक है। इसी तरह इस बार बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अधिक धन के आवंटन से भी यह सुनिश्चित नहीं होता कि देश को सेहतमंद बनाने का अभियान आसानी से पूरा हो जाएगा। लोगों को सेहतमंद बनाने के लिए मोदी सरकार बीमारियों को रोकने और गरीबों को सस्ता एवं प्रभावी इलाज देने समेत जिन कई मोर्चों पर काम कर रही है, उनमें राज्य सरकारों की भी सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए और साथ ही निजी क्षेत्र की भी। यह समझने की भी जरूरत है कि स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए अभी बहुत कुछ करना शेष है। लोगों के स्वास्थ्य की चिंता इसलिए प्राथमिकता के आधार पर की जानी चाहिए, क्योंकि सेहतमंद नागरिक किसी भी देश के लिए एक बड़ी पूंजी होते हैं।
सौजन्य - दैनिक जागरण।
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