डैल्विन ब्राउन
क्या आपने सोचा है कि वर्षों से बाइक और कारों को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए तो उनमें सेंसर, कैमरा और कनेक्टिविटी से जुड़ी तकनीक पर काम किया जा रहा है, लेकिन व्हीलचेयर कमोबेश वर्षों से उसी रूप में हैं जिस रूप में थीं। अब व्हीलचेयर को लेकर स्टार्ट-अप्स ने पहल की है। व्हीलचेयर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) को जोड़ा गया है। कंप्यूटर विजन और इंटेलीजेंट टूल्स के जरिए गतिशीलता की चुनौतियों से जूझ रहे लोग इसे आसानी से चला सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों ने व्हीलचेर को लेकर बहुत कम नवाचार किया है क्योंकि बीमा कंपनियां मूल उपकरण को ही कवर करती हैं। डिजिटल युग में कंपनियों ने अब व्हीलचेयर पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है। नेशनल सीटिंग एंड मोबिलिटी के सीइओ बिल मिक्सन कहते हैं, 'पिछले दो वर्षों में नजरिया बदला है। हमारे पास ऐसे ग्राहक आए हैं जो सूचना और डेटा वाली व्हीलचेयर चाहते हैं।' व्हीलचेयर पर लगे राडार सेंसर और कैमरे उपयोगकर्ताओं को अनजाने में दीवारों और चीजों से टकराने से रोकने का काम करते हैं। यदि कोई उपयोगकर्ता खड़ी सीढ़ी पर जा रहा है और उसके गिरने का खतरा है तो सॉफ्टवेयर अलार्म बजा देता है ताकि आसपास के लोग मदद के लिए आ सकें।
व्हीलचेयर में लगे एप से उपयोगकर्ता, चिकित्साकर्मियों या रिश्तेदारों को सूचित भी कर सकता है। संभावना है कि बहुत जल्द अत्यधिक क्षमता वाले सेंसर व कैमरों की मदद से सेल्फ-ड्राइविंग व्हीलचेयर भी बाजार में आ जाएगी। स्कॉटलैंड स्थित एक कंपनी के संस्थापक कहते हैं कि करीब 40 वर्षों में व्हीलचेयर कंपनियों ने इसे हल्की और छोटी ही बनाया, अब व्हीलचेयर आधुनिकतम तकनीक से लैस होगी।
द वाशिंगटन पोस्ट
(लेखक इनोवेशंस रिपोर्टर हैं)
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