दांडी यात्रा: ऐसे शुरू हुआ नमक सत्याग्रह (पत्रिका)

प्रवीण चंद्र छाबड़ा, (वरिष्ठ पत्रकार)

महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह के जरिए अंग्रेजी हुकूमत को एक तरह से सख्त संदेश दिया था। इस आंदोलन ने देशभर में अंग्रेजों के खिलाफ जनसंघर्ष को जन्म दिया था। देखा जाए तो नमक सत्याग्रह गांधी जी का एक अनुपम प्रयोग था, जिसके माध्यम से उन्होंने नई तरह से जनजागरण शुरू किया। चौरीचौरा कांड के बाद गांधी जी ने जब आंदोलन वापस लिया, तो देश भर में अलग तरह की प्रतिक्रिया थी। एक तरह से लोग आजादी की इस मशाल को बुझने नहीं देना चाहते थे। रही-सही कसर साइमन कमीशन ने पूरी कर दी थी। तब कांग्रेस कार्यसमिति ने महात्मा गांधी को अधिकार दिया कि वे इस मुहिम को अपने तरीके से आगे बढ़ाएं।

सोच-विचार के दौर में ही बापू ने नमक सत्याग्रह का एलान करते हुए कहा कि वे खुद अहमदाबाद से दांडी जाकर वहां समुद्र किनारे नमक बनाकर अंग्रेजों के बनाए नमक कानून का उल्लंघन करेंगे। बाद में राजस्थान के गांधी कहलाए सर्वोदयी नेता गोकुल भाई भट्ट ने नमक सत्याग्रह में भाग लिया था। उन्होंने एक साक्षात्कार में मुझे बताया था कि किस तरह से गांधी जी के घनिष्ठ सहयोगी जमनालाल बजाज के साथ उन्होंने मुम्बई के उपनगर विले पार्लेे में नमक कानून तोड़कर गिरफ्तारी भी दी थी। गोकुल भाई भट्ट ने तो दांडी की बजाय विले पार्ले को नमक सत्याग्रह के लिए चुनने का बापू से आग्रह भी किया था। गोकुल भाई भट्ट के ही शब्दों में -गांधीजी ने कहा कि दांडी कूच की बात तय हो गई है। अब बदलंूगा नहीं। लेकिन विले पार्ले किसी को नेता भेज दूंगा। मैंने महादेव भाई के लिए कहा। लेकिन बापू ने कहा- जमनालाल बजाज को भेजूंगा। भट्ट के मुताबिक एक दिन विले पार्ले छावनी में कलक्टर पुलिस के साथ आए। पूछा- यहां क्या हो रहा है। जमनालाल बजाज ने कहा- हम नमक बना रहे हैं। उधर से सख्त हिदायत मिली- आप नमक नहीं बना सकते। तो हमने कहा कि क्यों नहीं बना सकते? पानी समुद्र का आता है और वह समुद्र का पानी हम लेते हैं। समुद्र का पानी सूर्य के ताप से सूख जाता है तो उसका नमक बनता है। इस नमक को हम काम में लेंगे, इसमें कौनसा गुनाह है?

गोकुल भाई ने बताया- तब तक काफी लोग वहां जमा हो गए थे। चर्चा यही थी कि कलक्टर आएं हैं, तो अब गिरफ्तारी भी होगी। जमनालाल जी ने कहा कि हम तो नमक बनाएंगे। नमक बनाने के कुंडों को पुलिस ने तोडऩा चाहा, तो सब सत्याग्रही हाथ में हाथ बांध घेरा बनाकर खड़े हो गए। गोकुल भाई ने बताया कि पहले सत्याग्रही थे किशोरी लाल। हमारी टोलियां थी, तो सब टोलियों को कह दिया कि आप सब लोग तैयार हो जाइए। हमने पहले पांच-पांच की टोलियां बनाईं थीं, जिससे पांच-पांच आदमी गिररफ्तार हो जाएं और उसके बाद दूसरे गिरफ्तार हो जाएं। कलक्टर के आदेश से सत्याग्रहियों को विरोध के बावजूद जबरदस्ती से बिखेर दिया गया। हमें अहिंसक ही रहना था। उन्होंने तीन जनों को गिरफ्तार भी किया। इनमें पहले थे जमनालाल बजाज, दूसरे किशोरी लाल भाई और तीसरा मैं खुद था। एक तरह से नमक सत्याग्रह के नाम पर सबसे पहले हमारी ही गिरफ्तारियां हुईं। सही मायने में नमक सत्याग्रह के जरिए संपूर्ण देश में अंग्रेजों के खिलाफ व्यापक जनसंघर्ष की नई शुरुआत हुई। दांडी यात्रा ने यह बता दिया कि अपनी बात मनवाने के लिए अहिंसक जनआंदोलन किस तरह से खड़ा किया जा सकता है।

सौजन्य - पत्रिका।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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