By डॉ. जयंतीलाल भंडारी
केंद्र सरकार ने गंभीर होते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए एक अप्रैल से 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के टीकाकरण का फैसला किया है. इस फैसले से न केवल देश के करोड़ों लोगों की चिंताएं कम होंगी, बल्कि देश की विकास दर के सामने खड़ी चुनौती भी कम होगी. सभी स्वास्थ्यकर्मी, फ्रंटलाइन वर्कर्स तथा 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी लोग टीकाकरण के दायरे में आ चुके हैं. ऐसे लोगों को अब तक टीके की करीब 4.85 करोड़ खुराक दी जा चुकी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने 17 मार्च को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल संवाद करते हुए कहा कि देश के 16 राज्यों के 70 जिलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में 150 फीसदी की वृद्धि देखी गयी है. आठ राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर से नये मामलों में चिंताजनक तेजी आयी है.
ये राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक और हरियाणा हैं. कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए त्वरित और निर्णायक कदम उठाने जाने की जरूरत है, क्योंकि 2021 में दुनिया के अधिकांश आर्थिक एवं वित्तीय संगठनों ने कोरोना संक्रमण के नियंत्रित हो जाने के मद्देनजर भारत की विकास दर में तेज वृद्धि की संभावना जतायी है.
हाल ही में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओइसीडी) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में बड़े इजाफे की संभावना है. कहा गया है कि भारत की जीडीपी में 12.6 फीसदी की दर से वृद्धि होगी. इससे भारत सबसे तेजी से विकसित होने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान फिर हासिल कर लेगा. ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर मुख्य रूप से तीन बातों पर ध्यान देना होगा. एक, भारत को कोरोना वैक्सीन के निर्माण की वैश्विक महाशक्ति बनाया जाए. दो, अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण किया जाए. तीन, कोरोना वैक्सीन की बर्बादी रुके.
वस्तुतः भारत दुनिया के उन देशों में आगे है, जिन्होंने कोरोना का मुकाबला करने के लिए अधिक दवाइयां बनायीं और वैक्सीन के निर्माण में ऊंचाई प्राप्त की. यह भी स्पष्ट दिखायी दे रहा है कि कोविड महामारी से जूझ रही दुनिया के 150 से अधिक देशों को भारत ने कोरोना से बचाव की अनिवार्य दवाई मुहैया करायी है. भारत ने करीब 70 देशों को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति की. भारत में 16 जनवरी से शुरू हुए दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका के साथ मिल कर बनायी गयी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ‘कोविशील्ड’ तथा स्वदेश में विकसित भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ का उपयोग टीकाकरण के लिए किया जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंतोनिया गुतेरस ने कोरोना टीकाकरण के मद्देनजर भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बताया है. 12 मार्च को क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) ग्रुप के चार देशों- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने वर्चुअल मीटिंग में यह सुनिश्चित किया है कि 2022 के अंत तक एशियाई देशों को दिये जानेवाले कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज का निर्माण भारत में किया जायेगा.
ऐसे में भारत कोरोना वैक्सीन निर्माण की महाशक्ति बनने की डगर पर आगे बढ़ता हुआ दिखायी देगा. इस समय सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाये जा रहे एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड के टीके कोविशील्ड और भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन का निर्माण देश में बड़े पैमाने पर हो रहा है. अब अन्य कंपनियों की कोरोना वैक्सीन भी तेजी से बाजार में आनी जरूरी है. बेंगलुरु की स्टेलिस बायोफार्मा कोरोनावायरस के स्पूतनिक-वी टीके का उत्पादन और आपूर्ति करने के लिए रूस के सॉवरिन वेल्थ फंड- रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआइएफ) से साझेदारी करनेवाली तीसरी भारतीय कंपनी बनी है.
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि रूस का आरडीआइएफ अपने कोविड-19 टीके स्पूतनिक-वी के लिए भारत में शक्तिशाली विनिर्माण क्षमता तैयार कर रहा है, जहां से इसकी आपूर्ति देश और दुनिया में होगी. ग्लैंड फार्मास्युटिकल्स इस टीके की 25.2 करोड़ खुराकों की आपूर्ति करेगी.
इसी तरह बेंगलुरु की स्ट्राइड्स फार्मा साइंस भी अनुबंध पर स्पूतनिक-वी के लिए कोविड वैक्सीन के उत्पादन की दौड़ में शामिल है. जहां हैदराबाद की कंपनी हेटेरो स्पूतनिक-वी की 10 करोड़ खुराकों की आपूर्ति करने जा रही है, वहीं आरडीआइएफ ने भारत में अगले 12 महीनों में 25 करोड़ खुराक की आपूर्ति करना सुनिश्चित किया है.
अब संक्रमण को रोकने के लिए उन लोगों का टीकाकरण करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं. उन लोगों की रक्षा करना भी महत्वपूर्ण है, जिन्हें काम के लिए घरों से बाहर निकलना है. ऐसे में खुदरा और ट्रेड जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों की कोरोना वायरस से सुरक्षा जरूरी है. रिटेलरों ओर ट्रेडरों को सार्वजनिक आवाजाही के कारण कोविड-19 के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, जिसे देखते हुए इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखकर सरकार से टीकाकरण कराने की मांग की जा रही है. इनके टीकाकरण से उपभोक्ता खुदरा क्षेत्र में तेजी से सुधार की संभावना है.
इस बात पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है कि भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान के तहत 6.5 प्रतिशत खुराक की बर्बादी हो रही है, जिसके चलते केंद्र सरकार ने राज्यों से टीके के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने और अपव्यय को कम करने के लिए कहा है. तेलंगाना जैसे कई राज्य राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक खुराक की बर्बादी कर रहे हैं. तेलंगाना में 17.5 फीसदी खुराक बर्बाद हो रही है, तो वहीं आंध्र प्रदेश में 11.6 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 9.4 प्रतिशत टीकों की बर्बादी हो रही है.
यद्यपि वर्ष 2021 की शुरुआत से ही अर्थव्यवस्था और विकास दर में सुधार दिखाई दे रहा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को तेजी से गतिशील करने और वर्ष 2021 में भारत को दुनिया में सबसे तेज विकास दर वाला देश बनाने की वैश्विक आर्थिक रिपोर्टों को साकार करने के लिए कोरोना के नये बढ़ते हुए संक्रमण के नियंत्रण पर सर्वोच्च प्राथमिकता से ध्यान देना होगा.
सौजन्य - प्रभात खबर।
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