देश भर की जेलें घोर अव्यवस्था की शिकार हैं। वहां से कैदियों के भागने और जेल के अंदर हर तरह के अपराध होने की घटनाएं आम हो गई हैं। यहां तक कि हाई सिक्योरिटी जेलें भी इस समस्या से मुक्त नहीं रहीं। एक ओर तिहाड़ जेल से चाल्र्स शोभराज द्वारा अधिकारियों को नशीली मिठाई खिलाकर फरार होने जैसी घटनाओं ने जेलों में सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाए तो दूसरी ओर जेलों से अदालतों में पेशी के लिए ले जाए जाने वाले विचाराधीन कैदियों की फरारी और उनके सहयोगियों द्वारा उन्हें पुलिस की हिरासत से निकाल ले जाने की घटनाएं भी आम हो गई हैं जो मात्र एक माह में हुई निम्न में दर्ज ग्यारह घटनाओं से स्पष्ट है :
* 9 फरवरी को झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रांची स्थित ‘रिम्स’ में इलाज के लिए भर्ती हत्यारोपी सिद्धेश्वर निगरानी के लिए तैनात सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर आई.सी.यू. के बाथरूम की खिड़की से फरार हो गया।
* 10 फरवरी को भोपाल की पुरानी जेल से लक्ष्मण सिंह राजपूत नामक कैदी ने न तो कहीं से ग्रिल काटी और न ही दीवार को फांदा बल्कि दिन-दिहाड़े जेल की सारी सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताते हुए मेन गेट के रास्ते सबके सामने फरार हो गया।
* 15 फरवरी को बिहार में जहानाबाद जिले के सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती एक कैदी उसकी निगरानी में तैनात पुलिस कर्मियों को चकमा देकर भाग निकला।
* 20 फरवरी को लखनऊ की आदर्श जेल से एक कैदी राकेश उर्फ फौजी सुरक्षाकर्मियों को झांसा देकर निकल भागा।
* 23 फरवरी को होशियारपुर के गांव चौहाल में चोरी के आरोप में पकड़े गए एक आरोपी ने ए.एस.आई. का कान दांतों से इतनी बुरी तरह काट डाला कि उसका एक हिस्सा ही अलग हो गया। यह कैदी ए.एस.आई. को घायल करके भाग निकला जिसे पकड़ कर लोगों ने पुलिस के हवाले किया।
* 23 फरवरी को ही बलात्कार के एक आरोपी को पकड़ कर ले जा रही थाना गुरुहरसहाय की पुलिस पर 4 गाडिय़ों में आए 15 हमलावरों ने हमला कर दिया और उसे छुड़ा कर ले गए।
* 26 फरवरी को बिहार की दलसिंह सराय उप-जेल से दोपहर साढ़े 3 बजे पूर्णिया उप-जेल में ले जाई जा रही महिला कैदी दुर्गा देवी शौच जाने के बहाने महिला पुलिस कर्मियों को चकमा देकर फरार हो गई। पुलिस ने उसे पकडऩे के लिए भागदौड़ की परन्तु वह हाथ न लगी।
* 26 फरवरी को ही फिरोजाबाद की अदालत में पेशी के लिए लाया गया अपनी पत्नी की हत्या का आरोपी ऋषि कुमार यादव पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। बताया जाता है कि जेल में तैनात महावीर सिंह नामक सिपाही फरार कैदी के साथ मिला हुआ था।
* 3-4 मार्च की मध्य रात्रि को थाना ममदोट में कच्ची शराब बेचने के आरोप में पकड़ कर हवालात में बंद गुरनाम सिंह नामक आरोपी दीवार फांद कर फरार हो गया।
* 5 मार्च को अदालत में पेशी के लिए ले जाया जा रहा 6.4 ग्राम स्मैक तस्करी का आरोपी देवेंद्र सिंह करनाल पुलिस की हिरासत से भाग निकला।
* 6 मार्च को मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की एक विशेष अदालत द्वारा बलात्कार के आरोपी जितेंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद वह सुरक्षा कर्मियों के साथ धक्कामुक्की करके फरार हो गया।
बंदी अपराधियों का जेलों, अस्पतालों, अदालतों और पुलिस कर्मचारियों के कब्जे से फरार होना मुख्यत: उनकी सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों की लापरवाही का ही प्रमाण है।
यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि कई मामलों में पुलिस कर्मियों के स्वास्थ्य की दृष्टि से पूरी तरह फिट न होने के कारण भी कैदी भाग निकलने में सफल हो जाते हैं।
इसी के दृष्टिगत पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान ने पुरुष और महिला पुलिस कर्मियों को चिकित्सकों की निगरानी में फिटनैस का प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया है। उन्होंने जांच ब्यूरो के निदेशक से उन पुलिस कर्मियों को दिए गए वास्तविक शारीरिक फिटनैस प्रशिक्षण के बारे में रिपोर्ट लेने के लिए कहा है जो विभिन्न मामलों में संदिग्धों का पीछा करके उन्हें पकड़ नहीं सके।
अत: ऐसी घटनाएं रोकने के लिए जहां अपराधियों को पकडऩे के लिए सिर्फ शारीरिक दृष्टि से पूरी तरह फिट पुलिस कर्मियों को ही भेजना चाहिए और इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि अपराधियों के मामलों की सुनवाई या तो जेलों के अंदर वीडियो कांफ्रैंसिंग से की जाए या कचहरियों में शौच आदि के पक्के प्रबंध किए जाएं। यदि ऐसा नहीं किया जाएगा तो अपराधी इसी तरह पुलिस हिरासत से फरार होते रहेंगे, कानून व्यवस्था का मजाक उड़ता रहेगा और अन्य अपराधियों के हौसले बढ़ते रहेंगे।—विजय कुमार
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‘लगातार जारी है हिरासत से’ ‘आरोपियों की फरारी का सिलसिला’ (पंजाब केसरी)
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