असीम त्रिवेदी
कल रात बेटी ने मुझे फोन पकड़ाते हुए कहा- नानाजी को आपसे बात करनी है। फोन पर सुनाई दे रहा था न्यूज चैनल का शोर। मैंने ससुरजी से पूछा क्या हुआ। जवाब आया - अपनी 'रामप्यारी' (ससुर जी की पुरानी कार) का क्या करना है? ये चैनल वाले चिल्ला रहे हैं 20 साल से पुरानी कारें होंगी बेकार, 15 साल से पुरानी कार का लेना होगा फिटनेस प्रमाण पत्र, अब करना क्या है? अब क्या नई कार खरीदूं इस उम्र में? कभी-कभी तो काम आती है, अस्पताल जाने में बाकी तो टू-व्हीलर ही काम आता है। मैंने कहा- घबराएं नहीं, आपके पास दो विकल्प हैं।
पहला विकल्प - आपको अगर इसे रखना है तो थोड़े दिनों बाद जब सरकार अधिकृत एजेंसी नियुक्त कर देगी, वहां जाकर आप अपनी कार की फिटनेस चेक करवाकर सर्टिफिकेट ले कर पंजीयन प्रमाण पत्र नवीनीकरण करवा सकते हैं, पुरानी कार अगर फिट है तो हिट है। साथ ही हर साल राज्य सरकारें इस पर ग्रीन टैक्स लगाने की तैयारी में हैं।
दूसरा विकल्प - सरकार जिस एजेंसी को अधिकृत करेगी आप अपनी पुरानी कार को, अपना पैन नम्बर, वाहन पंजीयन पुस्तिका और अन्य मांगी गई जानकारियों के साथ उन्हें दे दीजिए, वे आपको 'वाहन जमा प्रमाण-पत्र' देंगे, साथ ही आपकी कार की आज की शो-रूम मूल्य का चार से छह प्रतिशत देंगे, यानी 20 से 25 हजार। राज्य सरकारें जल्द ही ऐसे प्रमाण पत्र के साथ नई कार लेने पर अनुमानित 25 प्रतिशत तक रोड टैक्स में छूट दे सकती हैं। कार निर्माता भी ऐसे प्रमाण पत्र के होते नई कार खरीदने पर आकर्षक डिस्काउंट देने की योजना बना रहे हैं। केंद्र सरकार अभी ऐसे प्रमाण पत्र धारकों को वाहन पंजीयन शुल्क में भी राहत देने के बारे में सोच रही है। यानी कुल मिला कर आपकी पुरानी कार आपको लगभग 50 हजार से 75 हजार का फायदा करवा सकती है।
मैंने कहा - आपके पास सोचने के लिए अभी 2-3 महीने हैं, एक तरफ पुरानी कार को रखने के लिए हर वर्ष का नियमित खर्च होगा जो सरकार को देना होगा, तो दूसरी ओर अगर आप नई कार लेना चाहते हैं है तो जब तक ये नियम लागू हों तब तक शो-रूम पर कार देखते रहिए कि कौन-सी लेनी है।
(लेखक सीए, ऑडिटिंग एंड अकाउंटिंग स्टैंडर्ड, कानूनी मामलों के जानकार हैं)
सौजन्य - पत्रिका।
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