अमेरिका में जो बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद चारों क्वाड नेताओं की पहली आभासी बैठक इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत का यह चार सदस्यीय समूह निर्णायक रूप से संकीर्ण सुरक्षा साझेदारी से आगे एक भू-राजनीतिक समूह बनने की ओर अग्रसर है। यह अन्य क्षेत्रों में सहयोग के जरिये क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को चुनौती दे सकता है। यह बात विदेश मंत्रालय के एक वक्तव्य से भी स्पष्ट होती है जो शिखर बैठक से ठीक पहले सामने आया था और जिसमें 'हिंद महासागर-प्रशांत क्षेत्र को मुक्तऔर समावेशी' बनाए रखने और ऐसा रिश्ता विकसित करने की बात शामिल थी जिसके माध्यम से 'मजबूत आपूर्ति शृंखला, उभरती और अहम तकनीक, समुद्री सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन' के मसलों का समाधान किया जा सके। अतीत की तरह स्वयं को संयुक्त नौसैनिक कवायद तक सीमित रखने के बजाय चारों नेताओं ने समूह की लचीली प्रकृति का लाभ उठाया। यह इसे हमारे दौर की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती यानी कोविड-19 महामारी से निपटने में मददगार साबित हो रही है।
नया एजेंडा सीधे तौर पर 'टीका राष्ट्रवाद' से जुड़ा है जिसमें तमाम अमीर देश सबसे पहले अपनी आबादी के लिए टीका सुरक्षित करने के लिए व्यग्र नजर आ रहे हैं। बहरहाल क्वाड की योजना के अनुसार अमेरिका और जापान भारत की टीका उत्पादन क्षमता में वित्त पोषण करेंगे और ऑस्ट्रेलिया दक्षिण-पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के दूरदराज इलाकों में टीके की आपूर्ति मजबूत करने में मदद करेगा। यूएस डेवलपमेंट फाइनैंस कॉर्पोरेशन हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई लिमिटेड के साथ मिलकर जॉनसन ऐंड जॉनसन की एक खुराक लगने वाले टीके की एक अरब खुराक तैयार करेगा। 'द स्पिरिट ऑफ क्वाड' शीर्षक वाली इस पहल के पहले संयुक्त वक्तव्य में स्पष्ट संकेत किया गया है कि कई विषयों पर करीबी सहयोग संभव होगा। तीन नए कार्य समूह भी तैयार किए गए हैं। एक का संबंध टीके के क्रियान्वयन से है जबकि अन्य दो जलवायु परिवर्तन और अहम उभरती तकनीक से संबंधित हैं। क्वाड नेताओं की इससे पहले हुई बैठकों में प्राय: हर सदस्य देश का अलग वक्तव्य होता था। ये तमाम बातें बड़ी कुशलता से चीन के उस वक्तव्य को खारिज करती हैं जिसमें उसने कहा था कि क्वाड 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र के नाटो' से अधिक कुछ नहीं है।
यह स्पष्ट है कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बराक ओबामा के नेतृत्व में तैयार प्रशांत पार साझेदारी से बाहर होने के चार साल बाद अमेरिका का नया डेमोक्रेटिक प्रशासन क्वाड को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अहम ढंग से देख रहा है। अप्रैल में बाइडन की मुलाकात जापान के प्रधानमंत्री से हो सकती है। सन 2017 में ट्रंप प्रशासन ने क्वाड को क्वाड-2 के नाम से नए सिरे से शुरू किया। इससे पहले छह साल यह समूह अपेक्षाकृत निष्क्रिय रहा क्योंकि चीन की आपत्ति के बाद ऑस्ट्रेलिया ने इससे दूरी बना ली थी।
ट्रंप प्रशासन की पहल चीन के साथ व्यापारिक जंग का हिस्सा थी और इसकी पहली बैठक उनके पद संभालने के एक वर्ष 10 माह बाद हुई। इसके बाद चार सदस्यीय मलाबार नौसैनिक अभ्यास बंगाल की खाड़ी में और गत वर्ष नवंबर में अरब सागर में हुआ। बाइडन प्रशासन ने पद संभालने के दो माह के भीतर क्वाड को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है और यह दर्शाता है कि वह क्षेत्र में चीन के भू-राजनीतिक खतरे को लेकर कितना चिंतित है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा, 'क्वाड का सफल विकास हुआ है। अब यह क्षेत्र में स्थिरता का अहम आधार होगा।' यहां भारत के पास भी अवसर है कि वह हिमालय या हिंद महासागर में चीन की सुरक्षा संबंधी धमकियों का नपातुला प्रत्युत्तर दे सके।
सौजन्य - बिजनेस स्टैंडर्ड।
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