यकीनन इस समय देश के सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) सैक्टर के छलांगें लगाकर आगे बढऩे का लाभप्रद चमकीला परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘नैसकॉम टैक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम (एन.टी.एल.एफ.) -2021’ को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 के वैश्विक संकट के बीच भारत के आई.टी. सैक्टर की प्रभावी भूमिका नए भारत का एक चमकदार उदाहरण है।
गौरतलब है कि नैशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवयेर एंड सॢवसेस कंपनीज (नैसकॉम) ने ‘न्यू वल्र्ड: द फ्यूचर इज वर्चुअल’ रिपोर्ट 2021 में कहा है कि कोरोना वायरस की चुनौतियों के बीच डिजिटल माध्यम की तरफ झुकाव बढऩे से भारत का आई.टी. उद्योग तेजी से आगे बढ़ा है। नैसकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष 2020 में आई.टी. उद्योग की आय 190 अरब डॉलर रही थी। इस वर्ष 2021 में आई.टी. उद्योग 194 अरब डॉलर की आय दर्ज कर सकता है। इतना ही नहीं वर्ष 2021 में सॉफ्टवेयर सेवाओं का निर्यात 150 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में घरेलू आई.टी. उद्योग का हिस्सा तेजी से बढ़कर 8 प्रतिशत हो गया है।
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भारत दुनिया में आई.टी. सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। भारत की 200 से अधिक आई.टी. फर्में दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में काम कर रही हैं। इस समय भारतीय आई.टी. उद्योग तेजी से नई भॢतयां कर रहा है और डिजिटल कौशल पर विशेष जोर दे रहा है। वर्ष 2021 में आई.टी. सैक्टर में कुल कर्मचारियों की तादाद बढ़कर 44.7 लाख होनी अनुमानित की जा रही है। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाऊंडेशन (आई.बी.ई.एफ.) की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय आई.टी. सैक्टर की आय वर्ष 2025 तक बढ़ते हुए 350 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच सकती है।
उल्लेखनीय है कि देश का बढ़ता हुआ आई.टी. सैक्टर विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षण का बड़ा कारण बन गया है। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई.) का प्रवाह तेजी से बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 माह (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान एफ.डी.आई. का प्रवाह करीब चार गुणा होकर 24.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इस क्षेत्र में 6.4 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था। पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में इस क्षेत्र को 7.7 अरब डॉलर का विदेशी निवेश मिला था।
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि वैश्विक स्तर पर इलैक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल क्षेत्र में जो बड़ा बदलाव आया है, उसका पूरा लाभ लेने के मद्देनजर सरकार रणनीतिक रूप से आगे बढ़ी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले माह 24 फरवरी को सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर उत्पादों के लिए करीब 7,350 करोड़ रुपए के उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पी.एल.आई.) की घोषणा की है।
सरकार के अनुसार आई.टी. हार्डवेयर उत्पादों को इस योजना में लाने से 2025 तक इस क्षेत्र में मूल्यवर्धन 20 से 25 फीसदी बढ़ सकता है, जो वर्तमान में 5 से 10 फीसदी है। जहां 2025 तक आई.टी. हार्डवेयर क्षेत्र के लिए इस योजना से कुल उत्पादन 3.26 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ सकता है। वहीं कुल उत्पादन में से 75 फीसदी निर्यात होने की उम्मीद है, जो करीब 2.45 लाख करोड़ रुपए का होगा। पी.एल.आई. योजना को आर्ई.टी. हार्डवेयर तक विस्तार करने से भारत को दुनिया के लिए इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाने में भी मदद मिलेगी।
जो बाइडेन ने नए राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद 3 फरवरी को एच-1बी नीति को जारी रखने की बात कही है। इससे भारतीय कुशल कर्मचारियों को वीजा नियमों के स्तर पर राहत मिली है। राष्ट्रपति जो बाइडेन अमरीका की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए भारत की आई.टी. सेवाओं का अधिक उपयोग लेना चाहेंगे। इसके साथ-साथ देश में आई.टी. के चमकीले भविष्य के लिए प्रतिभा निर्माण पर जोर देना होगा। नई पीढ़ी को आई.टी. के नए दौर की शिक्षा देने के लिए समुचित निवेश की व्यवस्था करनी होगी।-डा. जयंतीलाल भंडारी
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