5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के लिए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) की सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती धारा 370 की बहाली की मांग कर रही हैं।
आतंकियों को धन उपलब्ध करवाने (टैरर फंडिंग) के मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) ने 24 मार्च को कहा है कि गिरफ्तार आतंकी नवीद बाबू को महबूबा जानती थी व उससे फोन पर बात भी कर चुकी है। जांच एजैंसी ने इस सिलसिले में जेल में बंद पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) के यूथ विंग के अध्यक्ष वहीद-उर-रहमान-पारा व नवीद बाबू सहित 3 लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया है। वहीद-उर-रहमान-पारा ने आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के एक फाइनांसर के रूप में काम किया था ताकि वे इस धन से आतंकी गतिविधियों में काम आने वाला सामान खरीद सकें।
अधिकारियों के अनुसार आतंकवाद प्रभावित दक्षिण कश्मीर में पी.डी.पी. को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला वहीद-उर-रहमान-पारा जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों, राजनीतिज्ञों और अलगाववादियों के गठबंधन को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजैंसी ने यह खुलासा भी किया था कि वहीद-उर-रहमान-पारा ने आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को हथियार खरीदने के लिए इस शर्त के साथ 10 लाख रुपए दिए थे कि उसके आतंकवादी महबूबा की पार्टी के नेताओं और वर्करों को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाएंगे।
जांच में यह भी सामने आया कि वहीद-उर-रहमान-पारा और देवेंद्र सिंह, जो इस समय हीरानगर की जेल में बंद है, को नवीद बाबू और रफी अहमद राठर के साथ 11 जनवरी, 2020 को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब उक्त दोनों आतंकी पाकिस्तान खिसकने की तैयारी में थे।
ऐसे हालात में महबूबा 25 मार्च को आतंकियों को धन शोधन सहित विभिन्न मुद्दों पर प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए श्रीनगर में ई.डी. के कार्यालय में पहुंची जहां उससे 5 घंटे पूछताछ की गई। पूछताछ के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ‘‘मेरे हाथ साफ हैं और मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए मुझे डरने या ङ्क्षचता करने की कोई बात नहीं है।’’ इसके साथ ही उसने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में धारा-370 और 35 ए बहाल करने बारे कहा कि ‘‘चाहे हमें कितना भी तंग क्यों न किया जाए, हम अपने एजैंडे पर कायम रहेंगे।’’ इस समय जबकि महबूबा मुफ्ती और उसकी पार्टी के नेता आतंकी संगठनों से गठजोड़ के मामले में घिरे हुए हैं, ऐसे में उसने केंद्र पर अपने विरोधियों को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि ‘‘देश में अब केंद्र सरकार की नीतियों से असहमति का मतलब अपराध है।’’
‘‘जो भी अपनी बात रखता है, उसे खामोश करने के लिए उसके विरुद्ध एन.आई.ए., सी.बी.आई. और ई.डी. का इस्तेमाल कर दिया जाता है। यह देश भारतीय संविधान के आधार पर नहीं बल्कि एक पार्टी के एजैंडे के आधार पर चल रहा है। सरकार केंद्रीय एजैंसियों का दुरुपयोग कर रही है।’’ यदि राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) अपना आरोप सिद्ध करने में सफल हो जाती है तो यह महबूबा मुुफ्ती और उसकी पार्टी ‘पी.डी.पी.’ पर बहुत बड़ा आक्षेप होगा। महबूबा को याद होगा कि 8 दिसम्बर, 1989 को उसी की अपहृत बहन रूबिया की रिहाई के बदले में केंद्र की तत्कालीन वी.पी. सिंह सरकार द्वारा 5 खूंखार आतंकियों की रिहाई के बाद से ही घाटी में हालात तेजी से बिगडऩे शुरू हुए थे जो आज भी सामान्य होने के लिए तरस रहे हैं।
जहां एक ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तथा सेना प्रमुख भारत के साथ हालात सामान्य करने का दम भर रहे हैं वहीं आतंकवादी जो घाटी में रह गए हैं, वे लगातार भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं और मुकाबलों में खुद भी मारे जा रहे हैं। महबूबा मुफ्ती की कार्यशैली को लेकर पिछले कुछ समय से पार्टी में असहमति की आवाजें उठने लगी हैं जिस कारण उसके अनेक साथी उसे छोड़ते जा रहे हैं।—विजय कुमार
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‘महबूबा मुफ्ती के आतंकवादियों से संबंध’ ‘राष्ट्रीय जांच एजैंसी का खुलासा’ (पंजाब केसरी)
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