महाराष्ट्र में इन दिनों जो चल रहा है‚ उसे पूरा देश देख रहा है। न केवल देख रहा है‚ बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक नैतिकता और शुचिता भी इस पर शमिÈदा हो रही है। इस तरह की घटना देश में कभी नहीं घटी होगी। भारतीय राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में इस तरह का पल पहले कभी नहीं आया था जब वर्तमान डीजी और एक नामचीन महानगर का पूर्व पुलिस आयुक्त अपने ही गृह मंत्री पर सीधा आरोप लगाए कि उनकी शह पर १०० करोड़ रुûपये प्रति माह अवैध वसूली का लIय रखा गया था।
परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर गृह मंत्री के ऊपर आरोप लगाया कि उन्होंने असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाझे को बार और रेस्टोरेंट से प्रति माह १०० करोड़ रु पए उगाही करने का लIय दिया था। वाझे फिलहाल मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक सामग्री रखने के आरोप में एनआईए की हिरासत में है। इस मामले रोज नये–नये पर्दाफाश हो रहे हैं।
विस्फोटक वाली स्कॉÌपयो कार से मिली धमकी भरी चिट्ठी का राज भी खुल गया है। इस चिट्ठी को खुद वाझे ने ही रखा था। टूटी–फूटी इंग्लिश वाली चिट्ठी को विनायक शिंदे के घर से मिले प्रिंटर से प्रिंट किया गया था‚ जिसकी जांच फोरेंसिक टीम के जरिए की जा रही है। एनआईए ने वाझे के खिलाफ गैर–कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) की धाराएं भी लगाई हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने २० मार्च को इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी। लेकिन एटीएस की जांच भी जारी थी। यह इतना गंभीर मामला है कि पुलिस ही विस्फोटक सामग्री रखती है तथा इस रहस्य को जानने वाले मनसुख हिरेन की हत्या कर देती है‚ यदि विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फड़णवीस इस मुद्दे को मजबूती से नहीं उठाते तो इस मामले को विस्फोटक रखने वाली पुलिस जांच करके खुद को क्लीन चिट दे देती तथा मनसुख हिरेन की हत्या को आत्महत्या बता कर केस बंद कर देती लेकिन यह अन्याय एक जागरूक नेता देवेंद्र फड़णवीस ने होने नहीं दिया।
जब परमबीर सिंह पत्र लिखकर इतना गंभीर आरोप लगा रहे हैं‚ और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को गंभीर मानते हुए उन्हें उच्च न्यायालय जाने की सलाह दी है‚ तब भी उद्धव ठाकरे सरकार गृह मंत्री देशमुख को बचाने में लगी है। यह राजनीति की बहुत बड़ी विसंगति है‚ जिसकी शिल्पकार कांग्रेस है।
यह एकदम साफ बात है कि यह तीन दलों की सरकार है‚ तो तीनों दल मिलकर ही निर्णय लेते होंगे तो वसूली का निर्णय भी मिलकर ही लिया गया होगा। और संभव है कि उस रकम के बंटवारे में ये तीनों दल भी शामिल होंगे। अगर यह निर्णय मिलकर नहीं लिया गया होता तो संजय राठौडÃ की तरह कांग्रेस यहां भी कार्रवाई का दबाव बनाती क्योंकि संजय राठौडÃ के अपराध में कोई गिरोह शामिल नहीं था। यह उनका व्यक्तिगत था तो उस मामले में आधी/अधूरी कार्यवाई की गई। सचिन वाझे प्रकरण में १०० करोड़ रुûपये महीने वसूली का कार्य गिरोह बनाकर किया गया है‚ इसलिए कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। इसलिए नहीं बोलने को तैयार हैं कि इस १०० करोड़ रुûपये में उनका भी हिस्सा था। कांग्रेस के पास भी गृह राज्य मंत्री का प्रभार है तथा बंटी पाटिल गृह राज्य मंत्री हैं‚ तो सचिन वाझे द्वारा वसूले गए पैसों की बंदरबांट कांग्रेस में भी होती थी यानी कि इसका एक हिस्सा कांग्रेस के आका राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी जाता होगा। इसीलिए राहुल गांधी और प्रियंका भी इस मामले में मौन साधे हुए हैं वरना भाजपा–शासित राज्यों में छोटी–सी घटना होने पर राहुल और प्रियंका की बयानबाजी होती है तथा ट्वीट और दौरा होने लगता है।
कांग्रेस का १९५७ से लेकर आज तक इतिहास भ्रष्टाचार का काला अध्याय है तथा राजनीति में कांग्रेस को ही भ्रष्टाचार की जननी माना जाता है। अगर महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार में कांग्रेस शामिल नहीं होती तो यह वही कांग्रेस है जिसने इंद्र कुमार गुजराल की सरकार केवल इसलिए गिरा दी थी कि १९९८ में आई जस्टिस मिलाप चंद्र जैन आयोग की रिपोर्ट में राजीव गांधी की हत्या में डीएमके के ऊपर संदेह व्यक्त किया गया था। डीएमके उस सरकार में शामिल थी। इसलिए कांग्रेस सरकार से बाहर हो गई। इसी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार इसलिए गिरा दी थी कि हरियाणा पुलिस के कुछ लोग राजीव गांधी के घर के बाहर दिखे थे। इससे कांग्रेस को शक हुआ की चंद्रशेखर सरकार राजीव गांधी की जासूसी करवा रही है। जब कांग्रेस केंद्र की सरकार से बाहर हो जा रही थी तो वही कांग्रेस प्रदेश की सत्ता से बाहर क्यों नहीं हो रही। अब बात स्पष्ट हो गई कि कांग्रेस भी इस वसूली की हिस्सेदार है।
इसीलिए इस मुद्दे पर कांग्रेस बिल्कुल मौन है‚ तो राष्ट्रवादी प्रमुख शरद पवार झूठी जानकारी दे रहे हैं। अनिल देशमुख नागपुर थे‚ अस्पताल में थे‚ इलाज चल रहा था‚ वे होम क्वारंटीन थे‚ उनकी मुलाकात किसी से नहीं हुई इत्यादि‚ इत्यादि। इस झूठ का पूरा पर्दाफाश देवेंद्र फड़णवीस ने किया। इस तरह का जघन्य और महाराष्ट्र को बदनाम करने का कार्य कभी नहीं हुआ जो कार्य महाविकास अघाडÃी सरकार के संरक्षण में किया जा रहा है। इसमें सिर्फ राष्ट्रवादी कांग्रेस ही दोषी नहीं है‚ बल्कि इसमें बड़ा दोष कांग्रेस का भी है‚ और इसीलिए भारतीय जनता को पूरा भरोसा है कि जल्दी ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
सौजन्य - राष्ट्रीय सहारा।
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