साइबर हमलों के जरिए चीन भारत को नुकसान पहुंचाने की कैसी-कैसी साजिशों को अंजाम दे रहा है, यह अब छिपा नहीं रह गया है। हाल में एक अमेरिकी कंपनी- रिकार्डेड फ्यूचर ने चीन की हरकतों का खुलासा करते हुए इस बात की पुष्टि की कि पिछले साल चीन के सेंधमारों ने साइबर हमला कर दस घंटे तक मुंबई की बत्ती गुल कर दी थी। चीन इस फिराक में था कि पूरे भारत को अंधेरे में डुबो दिया जाए और इसके लिए उसके साइबर हमलावर भारत के बिजली क्षेत्र के ढांचे को तहस-नहस करने की तैयारी में थे। भारत सरकार ने भी इस बात को माना है कि पिछले साल चीन के रेड इको ग्रुप ने ऐसे हमलों को अंजाम देकर देश में अंधेरा फैलाने की कोशिश की थी। पिछले एक साल से भारत और चीन के बीच जिस तरह का तनाव बना हुआ है, उसे देखते हुए ऐसे हमलों को अंजाम देना और साजिशें रचना चीन के लिए कोई नई बात नहीं है। आने वाले वक्त में उसकी ओर से ऐसे खतरे कम होने की बजाय बढ़ेंगे ही। ऐसे में सुरक्षा के कड़े इंतजाम ही संकट से बचा सकते हैं। हाल के हफ्तों में चीन कोरोना के टीके बनाने वाली भारतीय कंपनियों- सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटैक को भी निशाना बना चुका है। इसमें सेंधमारों ने कोरोना टीकों के शोध, विकास और परीक्षण से जुड़े संवेदनशील डाटा चुराने की कोशिश की थी। हालांकि अभी तक दावा यही किया जा रहा है कि चीनी सेंधमारों को इसमें कोई सफलता नहीं मिली और इन कंपनियों ने भी डाटा चोरी की पुष्टि नहीं की। लेकिन साइबर हमलों का खतरा जिस तरह से बढ़ रहा है, वह देश की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है। भारत में इस वक्त ये कंपनियां बड़े पैमाने पर टीकों के उत्पादन के साथ ही शोध और परीक्षण में लगी हैं ताकि टीके को और उन्नत बनाया जा सके। ऐसे में अगर कोई दुश्मन हमला कर नुकसान पहुंचाने की साजिश रच रहा है तो यह देश के लिए हर तरह से बड़े खतरे का संकेत है। भारत में बने टीके सिर्फ देश में ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों को भेजे जा रहे हैं और लोगों की जान बचा रहे हैं। ऐसे में अगर हमालवर कामयाब हो गए तो कितना बड़ा नुकसान कर देंगे, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसमें कोई संदेह नहीं कि चीनी हमलों के ऐसे खतरों के देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त भी किए जाते रहे हैं और सतर्कता की वजह से ही इन हमलों से बहुत ज्यादा नुकसान होने से बच गया। पर रिकॉर्डेड फ्यूचर ने अपनी रिपोर्ट में जिस सबसे बड़े और महत्त्वपूर्ण पहलू पर जोर दिया है, उस पर गौर करने की जरूरत है। रिपोर्ट में इस बात को लेकर गहरी आशंका जताई गई है कि भारत के बिजली क्षेत्र में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल कभी भी गंभीर संकट का कारण बन सकता है। भारत के बिजली क्षेत्र में इस्तेमाल हो रहे ज्यादातर उपकरण चीनी कंपनियों के ही हैं। विशेषज्ञ भी पहले से इस खतरे को लेकर आगाह करते आए हैं। ऐसे में पहली जरूरत तो यही है कि हम चीनी सामान और उपकरणों पर से चीनी निर्भरता को पूरी तरह खत्म करें। बिजली, संचार और दवा निर्माण जैसे क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना वक्त की जरूरत को रेखांकित करता है। अगर इन क्षेत्रों में भी हम चीन जैसे देश का मुंह ताकेंगे तो उसके हमले भी हमें ही झेलने पड़ेंगे।
सौजन्य - जनसत्ता।
0 comments:
Post a Comment