पर्यावरण से ‘अपराधपूर्ण छेड़छाड़’ दे रही ‘भारी विनाश की चेतावनी (पंजाब केसरी)

इन दिनों जिस तरह विश्व के हालात बने हुए हैं और लगातार हिमस्खलन, भूस्खलन हो रहे हैं, ज्वालामुखी फट रहे हैं और लगातार भूकम्प आदि आ रहे हैं, उन्हें देखते हुए लोगों का कहना ठीक प्रतीत होता है कि प्रकृति हमसे नाराज है और हम पृथ्वी, जल और वायु को दूषित करने...

इन दिनों जिस तरह विश्व के हालात बने हुए हैं और लगातार हिमस्खलन, भूस्खलन हो रहे हैं, ज्वालामुखी फट रहे हैं और लगातार भूकम्प आदि आ रहे हैं, उन्हें देखते हुए लोगों का कहना ठीक प्रतीत होता है कि प्रकृति हमसे नाराज है और हम पृथ्वी, जल और वायु को दूषित करने के परिणामस्वरूप विनाश की ओर बढ़ रहे हैं जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :  

* 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा में आई जलप्रलय में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 206 लोगों की जान चली  गई। उल्लेखनीय है कि चमोली में ही 29 मार्च, 1999 को आए भूकम्प में करीब 105 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी।
* 11 फरवरी को न्यूजीलैंड में रिक्टर पैमाने पर 7.7 तीव्रता का भूकंप आया जिसका असर पड़ोसी देश आस्ट्रेलिया पर भी पड़ा। 
* 12 फरवरी को जापान के ‘फुकुशिमा’ में भूकंप के तेज झटके लगे।
* 13 फरवरी को दिल्ली तथा उत्तर भारत के अनेक इलाकों में रिक्टर पैमाने पर 5.9 तीव्रता के भूकंप के झटके लगे। 

* 15 फरवरी को बिहार की राजधानी पटना सहित अनेक जिलों तथा सुदूरवर्ती निकोबार द्वीप में भी तीव्र भूकंप के झटके लगे।
* 17 फरवरी को हिमाचल के ‘नगानी’ में अचानक धमाके के बाद पहले जमीन से आग की लपटें उठीं और फिर लावे जैसा पदार्थ निकलने लगा।
* 23 फरवरी को इटली के सिसली में स्थित यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी ‘माऊंट एटना’ फिर से फूट पड़ा जिससे आसपास के इलाकों में भूकंप आ गया। यह 1500 ईसा पूर्व भी भारी विनाश लाया था और रोम के 2 ऐतिहासिक शहर इसके लावे के नीचे दब कर समाप्त हो गए थे। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार यह ज्वालामुखी समुद्र की ओर खिसक रहा है जिससे आशंका है कि यदि यह समुद्र में गिर गया तो भारी विनाश होगा। 

* 2 मार्च को इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा प्रांत में ‘सिनबुंग’ नामक ज्वालामुखी में भीषण विस्फोट से आकाश में 16,500 फुट तक राख के गुबार छा गए।
* 3 मार्च को जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर ‘शाबाना बस’ इलाके में भूस्खलन के चलते वहां से गुजर रहा तेल का टैंकर उसके नीचे दब कर तबाह हो गया।
* 3 मार्च को ही मध्य यूनान में 6.2 तीव्रता का भूकंप आया। इसके झटके  उत्तर मैसेडोनिया, कोसोवो और मोंटेनेग्रो तक महसूस किए गए। 
* 4 मार्च को न्यूजीलैंड के उत्तरी पूर्वी तट पर 7.2 तथा 6 मार्च को 6.4 तीव्रता के भूकंप आए जिनसे देश के अनेक भाग कांप उठे। 

* 5 मार्च को अफगानिस्तान के ‘बदख्शां’ प्रांत के रेगिस्तानी जिले में हिमस्खलन से कम से कम 14 लोगों की मौत और अनेक घायल हो गए। 
* 5 मार्च को ही इंडोनेशिया के ‘सुमात्रा द्वीप’ के पश्चिमी तट पर 5.6 तीव्रता और 7 मार्च को पूर्वी प्रांत ‘मलुकू’ में 5.8 तीव्रता के भूकंप आए।
* 7 मार्च को जम्मू-कश्मीर में भूकंप के झटके लगे। 

* 8 मार्च को गुजरात के अत्यधिक जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र में स्थित कच्छ जिले में भूकंप आया। यहां जनवरी 2001 में आए विनाशकारी भूकंप में 20,000 से अधिक लोग मारे गए तथा डेढ़ लाख से अधिक लोग घायल हुए थे। 
* 8, 9 और 10 मार्च को हिमाचल प्रदेश के चम्बा और अन्य क्षेत्रों में लगातार 3 दिन भूकंप के झटके महसूस किए गए।
* 10 मार्च को नागालैंड में भूकंप के झटके लगे। इसी दिन मध्य प्रदेश में ङ्क्षछदवाड़ा जिले में भूकंप आया। 
* 12 मार्च को रूस के पूर्वी भाग में 5.0 तीव्रता तथा तुर्की के ‘इगदिर’ शहर में 3.8 तीव्रता के भूकंप आए। 

एक रिपोर्ट के अनुसार मात्र 11 मार्च के दिन ही दुनिया में 2 से 5 तक की तीव्रता के 755 छोटे-बड़े भूकंप आए। पिछले कुछ समय से विश्व में इतने अधिक भूकंप आ रहे हैं जितने इससे पहले कभी नहीं आए। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ‘इसरो’ ने अमरीकी अंतरिक्ष एजैंसी ‘नासा’ के साथ मिल कर पृथ्वी के उच्च गुणवत्ता वाले चित्र प्रस्तुत करने में सक्षम ‘सिंथैटिक अपर्चर राडार’ (एस.ए.आर.) बनाया है जिसकी मदद से पर्यावरण में बदलाव, बर्फ के पिघलने, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी आपदाओं की प्रक्रिया समझने में आसानी होगी। 

निश्चय ही यह समाचार कुछ राहत देने वाला है परंतु इतना ही काफी नहीं है। पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाले उन कारणों का पता लगाकर उन्हें दूर करने की भी आवश्यकता है जिनसे ये प्राकृतिक आपदाएं बार-बार आ रही हैं : 
* वायुमंडल में छोड़े जा रहे कारखानों के विषैले धुएं, वनों के कटान और उनमें आग लगने आदि से वायुमंडल रसायनयुक्त हो रहा है।
* फसल का अधिक झाड़ प्राप्त करने के लिए कीटनाशकों और रासायनिक खादों का अत्यधिक प्रयोग पृथ्वी को विषैला और कमजोर कर रहा है।
* जल स्रोतों में कारखानों का विषैला पानी, सीवरेज का गंदा पानी आदि प्रवाहित करने के कारण पानी विषैला हो रहा है। 

उपरोक्त घटनाओं द्वारा प्रकृति हमें बार-बार चेतावनी दे रही है कि, ‘‘यदि पर्यावरण से इसी प्रकार छेड़छाड़ होती रही तो विश्व को वर्तमान से भी अधिक विनाशलीला के हृदय विदारक दृश्य देखने पड़ेंगे।’’—विजय कुमार 

सौजन्य - पंजाब केसरी।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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