टीकाकरण की मानवीय अहमियत (राष्ट्रीय सहारा)

इन  दिनों देश में कोरोना की दूसरी लहर और कुछ राज्यों में कोरोना के नये डबल म्यूटेंट मिलने से जहां एक ओर लोगों की स्वास्थ्य चिंताएं बढ़ गई है‚ वहीं आÌथक चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। देश के कई राज्यों में एक बार फिर से लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू के हालात दिखने लगे हैं। ऐसे में हाल ही में २३ मार्च को केंद्र सरकार ने गंभीर होते कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए नई रणनीति सुनिश्चित करके नये दिशा–निर्देश जारी किए हैं। 


 गौरतलब है कि एक अप्रैल २०२१ से ४५ की उम्र पार के लोगों को कोरोना टीकाकरण का बड़ा फैसला किया है। इस महkवपूर्ण फैसले से न केवल देश के करोड़ों लोगों की कोरोना चिंताएं कम होंगी‚ वरन देश की विकास दर के सामने खड़ी कोरोना चुनौती भी कम होगी। ज्ञातव्य है कि देश में सभी स्वास्थ्य कर्मी‚ £ंटलाइन वर्कर्स‚ ६० साल से अधिक उम्र के लोग तथा ४५ वर्ष से ज्यादा उम्र के गंभीर बीमारी से ग्रसित लोग टीकाकरण के दायरे में आ चुके हैं। ऐसे लोगों को अब तक कोरोना टीके की करीब ४.८५ करोड़ खुराक दी जा चुकी है। 


 विगत १७ मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण में बढ़ोतरी के मद्देनजर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वर्चुअल चर्चा करते हुए कहा कि देश के १६ राज्यों के ७० जिलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में १५० फीसद की वृद्धि देखी गई है। आठ राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर से नये मामलों में चिंताजनक तेजी दिखाई दे रही है। ये राज्य महाराष्ट्र‚ तमिलनाडु‚ पंजाब‚ मध्य प्रदेश‚ दिल्ली‚ गुजरात‚ कर्नाटक और हरियाणा हैं। निसंदेह तेजी से बढ़ती हुई कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए त्वरित और निर्णायक कदम उठाने जाने की जरूरत इसलिए है‚ क्योंकि वर्ष २०२१ में दुनिया के अधिकांश आÌथक एवं वित्तीय संगठनों ने कोरोना संक्रमण के नियंत्रित हो जाने के मद्देनजर भारत की विकास दर में तेजी वृद्धि की संभावना बताई है। हाल ही में ९ मार्च को आÌथक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नये वित्त वर्ष २०२१–२२ में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में बड़े इजाफे की संभावना है। कहा गया है कि भारत की जीडीपी में नये वित्त वर्ष में १२.६ फीसद की दर से वृद्धि होगी। इससे भारत विश्व में सबसे तेजी से विकसित होने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान फिर हासिल कर लेगा। ऐसे में देश में कोरोना की दूसरी लहर से बढ़ते हुए मानवीय और आÌथक खतरों को रोकने और बढ़ती हुई विकास दर को अनुमानों के मुताबिक >ंचाई देने के लिए कोरोना संक्रमण से संबंधित इन तीन बातों पर ध्यान देना होगा। एक‚ भारत को कोरोना वैक्सीन के निर्माण की वैश्विक महाशक्ति बनाया जाए। दो‚ अधिक लोगों का वैक्सीकरण किया जाए और तीन‚ कोरोना वैक्सीन की बर्बादी रुûके॥। वस्तुतः भारत दुनिया के उन चमकते हुए देशों में सबसे आगे है‚ जिन्होंने कोरोना का मुकाबला करने के लिए कोरोना की अधिक दवाइयां बनाई और कोरोना वैक्सीन के निर्माण में >ंचाई प्राप्त की है। यह भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड महामारी से जूझ रहे दुनिया के १५० से अधिक देशों को भारत ने कोरोना से बचाव की अनिवार्य दवाइयां मुहैया कराई है और ७० से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन की आपूÌत की है। भारत में १६ जनवरी से शुरू हुए दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण में ऑक्सफोर्ड–एस्ट्रोजेनेका के साथ मिलकर बनाई गई सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ‘कोविशील्ड' तथा स्वदेश में विकसित भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन' का उपयोग टीकाकरण के लिए किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनिया गुतेरस ने कोरोना टीकाकरण के मद्देनजर भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बताया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विगत १२ मार्च को क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) ग्रुप के चार देशों–भारत‚ अमेरिका‚ ऑस्ट्रेलिया और जापान ने वर्चुअल मीटिंग में यह सुनिश्चित किया है कि वर्ष २०२२ के अंत तक एशियाई देशों को दिए जाने वाले कोरोना वैक्सीन के १०० करोड़ डोज का निर्माण भारत में किया जाएगा। ऐसे में निश्चित रूप से भारत कोरोना वैक्सीन निर्माण की महाशक्ति बनाने की डगर पर आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा। 


यद्यपि इस समय सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाए जा रहे एस्ट्राजेनेको–ऑक्सफोर्ड के टीके कोविशील्ड और भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन का निर्माण देश में बड़े पैमाने पर हो रहा है‚ लेकिन अब अन्य कंपनियों के कोरोना वैक्सीन भी तेजी से बाजार में आना जरूरी हैं। अब संक्रमण को रोकने के लिए उन लोगों का टीकाकरण करना भी उतना ही महkवपूर्ण है‚ जो संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं। उन लोगों की रक्षा करना भी महkवपूर्ण है‚ जिन्हें काम के लिए घरों से बाहर निकलना पड़ता है। ऐसे में खुदरा और ट्रेड जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों की कोरोनावायरस से सुरक्षा जरूरी है। रिटेलरों ओर ट्रेडरों को सार्वजनिक आवाजाही के कारण कोविड–१९ के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है‚ जिसे देखते हुए इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों का £ंटलाइन वर्कर्स की तरह टीकाकरण जरूरी है। इस बात पर भी ध्यान दिया जाना होगा कि भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान के तहत ६.५ प्रतिशत खुराक की बरबादी हो रही है‚ जिसके चलते केंद्र सरकार ने राज्यों से टीके के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने और अपव्यय को कम करने के लिए कहा है। तेलंगाना जैसे कई राज्य राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक खुराक की बरबादी कर रहे हैं। तेलंगाना में १७.५ फीसद खुराक बरबाद हो रही है तो वहीं आंध्र में ११.६ प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में ९.४ प्रतिशत टीकों की बरबादी हो रही है। यद्यपि वर्ष २०२१ की शुरुûआत से ही अर्थव्यवस्था और विकास दर में सुधार दिखाई दे रहा है‚ लेकिन अर्थव्यवस्था को तेजी से गतिशील करने और वर्ष २०२१ में भारत को दुनिया में सबसे तेज विकास दर वाला देश बनाने की वैश्विक आÌथक रिपोर्टों को साकार करने के लिए कोरोना के नये बढ़ते हुए संक्रमण के नियंत्रण पर सर्वोच्च प्राथमिकता से ध्यान देना होगा। ॥ वस्तुतः भारत दुनिया के उन चमकते हुए देशों में सबसे आगे है‚ जिन्होंने कोरोना का मुकाबला करने के लिए कोरोना की अधिक दवाइयां बनाई और कोरोना वैक्सीन के निर्माण में >ंचाई प्राप्त की है। यह भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड महामारी से जूझ रहे दुनिया के १५० से अधिक देशों को भारत ने कोरोना से बचाव की अनिवार्य दवाइयां मुहैया कराई है और ७० से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन की आपूÌत की है।

सौजन्य - राष्ट्रीय सहारा।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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