जहां एक ओर देश में कोरोना महामारी के बीच भी जाति और धर्म के नाम पर कुछ लोग नफरत फैला कर अपने कृत्यों से देश का माहौल बिगाड़ रहे हैं वहीं अनेक स्थानों पर हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के सदस्य भाईचारे और सद्भाव के अनुकरणीय उदाहरण भी पेश कर रहे हैं :
* 15 जनवरी को राजस्थान के ‘प्रतापगढ़’ में एक मस्जिद के उद्घाटन के अवसर पर हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरुओं को आमंत्रित करके स्टेज पर बिठाया गया। सभी धर्मों की शिक्षाओं के बारे में प्रवचन दिए गए और भारत माता की जय के नारे लगाए गए।
* 19 मार्च को गाजियाबाद में एक गरीब मुसलमान बच्चे की पिटाई का वीडियो वायरल होने के बाद उसकी सहायता के लिए सोशल मीडिया पर अपील की गई तो बड़ी संख्या में लोगों ने पैसे भेजे। सबसे ज्यादा रकम देने वाले दानी सज्जन हिन्दू थे।
* 22 मार्च को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के ‘बारा’ गांव के रहने वाले शेर अली नामक मुस्लिम व्यक्ति ने एक अनाथ हिन्दू युवक पप्पू का विवाह एक हिन्दू युवती से करवाया। चार वर्ष की आयु में अनाथ हो गए पप्पू को शेर अली ने गोद लेकर पाला था जो अब 20 वर्ष का हो गया है।
शेर अली ने खुद उसके सिर पर सेहरा बांधा, धूमधाम से बारात निकाली, बैंड-बाजा बजवाया और हिन्दू रीति से उसकी शादी करवाने के अलावा गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर आगे का जीवन बिताने के लिए एक मकान भी बनवाकर दिया।
* 23 मार्च को बिहार के ‘आरा’ में वेद प्रकाश नामक अध्यापक ने प्रसव पीड़ा से जूझ रही मुस्लिम महिला को खून की जरूरत का पता चलने पर फौरन अस्पताल पहुंच कर खून देकर उसकी जान बचाई।
* 03 अप्रैल को मध्य प्रदेश में ‘विदिशा’ जिले के ‘शेरपुर’ गांव में जब कुछ मुसलमान किसान मस्जिद में नमाज पढ़ रहे थे, तभी नफीस खान नामक एक किसान के खेत से शुरू होकर आग तेज हवा के चलते आसपास के खेतों में फैलने लगी जहां गेहूं की पकी फसल की कटाई चल रही थी। इसका पता चलने पर राहुल केवट के नेतृत्व में हिंदू युवकों का एक समूह आगे आया और जान जोखिम में डाल कर आग को फैलने से रोक कर लगभग 300 बीघा क्षेत्र में खड़ी गेहूं की फसल को जलने से बचाया।
* 07 अप्रैल को मध्य प्रदेश के गुना जिले के ‘मृगवास’ कस्बे में रहने वाले युसूफ खान के बेटे इरफान की शादी थी। इस अवसर के लिए छपवाए निमंत्रण पत्र पर उन्होंने साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की।
उन्होंने कार्ड के एक ओर ‘श्रीगणेशाय नम:’ के साथ भगवान गणेश का चित्र छपवा कर इसके नीचे लिखा ‘‘ईश्वर अल्ला के नाम से हर काम का आगाज करता हूं, उन्हीं पर है भरोसा उन्हीं पर नाज करता हूं।’’ निमंत्रण पत्र के दूसरी ओर उन्होंने मुसलमानों का शुभ सूचक अंक ‘786’ अंकित किया।
* 11 अप्रैल को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सबरीमाला मंदिर में पहुंच कर भगवान अयप्पा के दर्शन किए।
* 12 अप्रैल को बिहार के दरभंगा जिले में एक कलियुगी बेटे ने अपने पिता की कोरोना वायरस से मौत के बाद उसका शव लेने से इंकार कर दिया तो मुस्लिम भाइयों ने हिन्दू रीति से उसका अंतिम संस्कार करवाया।
* साम्प्रदायिक सौहार्द की एक अन्य मिसाल कानपुर की डा. माहे तलत सिद्दीकी नामक एक मुस्लिम अध्यापिका ने ‘राम चरित मानस’ की चौपाइयों का उर्दू में अनुवाद करके पेश की है।
* 14 अप्रैल को राजस्थान में उदयपुर के रहने वाले अकील मंसूर नामक युवक ने गंभीर रूप से बीमार निर्मला और अलका नामक 2 कोरोना पीड़ित महिलाओं की जान बचाने के लिए रमजान के महीने में रोजा तोड़ कर अपना प्लाज्मा उन्हें डोनेट किया जिससे दोनों महिलाओं की जान बच गई।
* 16 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के कारण जी.एम.सी. जम्मू के आई.सी.यू. में उपचाराधीन दीपक कुमार नामक युवक के इलाज के लिए डोडा जिले के मुसलमान भाईचारे के सदस्यों ने जुम्मे की नमाज के बाद चंदा एकत्रित किया।
उक्त उदाहरणों से स्पष्टï है कि भले ही कुछ लोग जाति, धर्म के नाम पर समाज में घृणा फैलाते हों पर इसी समाज में ऐसे लोग भी हैं जिनकी बदौलत देश और समाज में परस्पर प्रेमपूर्वक मिल-जुल कर रहने की भावना जिंदा है। जब तक भाईचारे और सद्भाव के ये बंधन कायम रहेंगे, हमारे देश की ओर कोई टेढ़ी आंख से देखने का साहस नहीं कर सकता।—विजय कुमार
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आज के ‘तनावपूर्ण माहौल में’‘प्रेम और सद्भाव के रौशन चिराग’ (पंजाब केसरी)
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