प्रो. विष्णु शर्मा
मूक प्राणी की वेदना को समझ कर उसका निदान करना, ऐसी अनूठी विद्या है, जिसमें कौशल, संवेदना व विज्ञान का अद्भुत समावेश है। महात्मा गांधी ने सत्य ही कहा है कि 'किसी भी राष्ट्र की महानता का मूल्यांकन इस तथ्य से किया जा सकता है कि वहां पशुओं से कैसा व्यवहार किया जाता है।'
'कोविड-19 महामारी में पशु चिकित्सक की भूमिका' शीर्षक से 24 अप्रेल, 2021 को विश्व पशु चिकित्सा दिवस मनाया जा रहा है व पूरी दुनिया में पशु चिकित्सा का बदलते परिदृश्य में विश्लेषण किया जा रहा है जिससे भविष्य में मानव, पशु एवं वातावरण को एक समग्र ईकाई के रूप में देखते हुए नीतियों को तैयार किया जा सके व ऐसी आपदाओं की रोकथाम की जा सके।
संयुक्त राष्ट्र के मिलेनियम डवलपमेंट उद्देश्य व अब सस्टेनबल डवलपमेंट उद्देश्यों में ज्ञान और विज्ञान की उपयोगिता पर बल दिए जाने का ही परिणाम है कि आज विश्व के विभिन्न देशों में पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता व क्षमता जैसे दूरगामी चरणों व नीतियों का विकास किया जा रहा है।
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना वायरस अंतिम महामारी नहीं है। मानव स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने के उपाय व्यर्थ हो जाएंगे यदि हमने पशु कल्याण व जलवायु परिवर्तन पर ध्यान नहीं दिया। वैश्विक संगठनों का 'वन हेल्थ इनिशिएटिव' इसी अवधारणा को बल प्रदान करता है कि मानव, पशु व वातावरण तीनों घटक मिलकर ही स्वास्थ्य की पूर्णता को परिभाषित करते हैं।
जैविक पशुपालन विकास का महत्त्वपूर्ण स्तंभ है कि पशुओं के उपचार की उन वैकल्पिक पद्धतियों का विकास किया जाए व उपयोग में लिया जाए जिससे पशुओं के दूध आदि अन्य उत्पादों में दवा, कृमिनाशी व अन्य हानिकारक कारकों का अंश कम से कम रहे या नहीं रहे। देश को निश्चित ही स्वच्छ खाद्य शृंखला में अग्रणी भूमिका निभानी होगी।
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संगठन साझा रूप से इस प्रकार की कार्य योजना तैयार कर रहे हैं जिससे विभिन्न सदस्य राष्ट्रों को संवेदित किया जा सके कि भविष्य की आपदा से मुकाबला विभिन्न घटकों के सामूहिक क्षमता विकास से ही संभव है और पशु स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाएं इसमें अहम भूमिका निभाएंगी। मानव स्वास्थ्य के लिए पशुधन स्वास्थ्य व खाद्य सुरक्षा जैसे विषय इस सदी में अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
लेखक राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलपति हैं)
(सह-लेखिका : प्रो. संजीता शर्मा)
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