कामगारों पर ध्यान (प्रभात खबर)

दिल्ली और मुंबई समेत अनेक जगहों पर लॉकडाउन की वजह से प्रवासी कामगार एक बार फिर अपने गांव वापस लौटने लगे हैं. हालांकि इस बार उनकी संख्या पिछले साल से कम है और रेल व अन्य वाहनों की उपलब्धता है, लेकिन उनकी वापसी फिर इंगित कर रही है कि उनकी स्थिति चिंताजनक है. सरकारें प्रवासी मजदूरों से घर न जाने का आग्रह कर रही हैं.



इससे कामगारों को परेशानी तो हो ही रही है, महामारी के संक्रमण के बढ़ने का अंदेशा भी है. पर, वापस जाने की बेचैनी के लिए कामगारों को दोष नहीं दिया जा सकता है. कुछ दिन पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने रेखांकित किया है कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के मसले पर केंद्र और राज्य सरकारें बुरी तरह विफल रही हैं. अदालत ने सरकार को पहले के अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार बेहतर तैयारी का निर्देश दिया है.



इस बार कोरोना महामारी का संक्रमण भयानक है. हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था बीमारों की बहुत बड़ी तादाद को उपचार मुहैया कराने में लाचार साबित हो रही है. गरीब आबादी का हाल और भी खराब है. हालांकि पिछले साल राहत देने और गांवों में रोजगार के मौके पैदा करने के लिए सरकार की ओर से अनेक कोशिशें हुई थीं तथा उनके नतीजे भी संतोषजनक थे, किंतु महामारी के विकराल होने और आर्थिक गतिविधियों के थमने से कामगारों के पास वापस जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.


महामारी के पहले चरण के बाद कुछ ही महीने कामकाज हो सका था कि आफत फिर सर पर आ गयी है. कामगारों के पास न तो बचत है और न ही सरकार या कारोबार जगत की ओर से उनकी आर्थिक सुरक्षा का कोई बंदोबस्त है. कई रिपोर्टों में वापस लौटते कामगारों के हवाले से बताया जा रहा है कि वे पिछले साल के अनुभवों के बाद किसी आश्वासन पर सहजता से भरोसा नहीं कर सकते हैं. वापस जाने की एक वजह यह भी है कि महामारी और लॉकडाउन के भविष्य को लेकर कोई भी निश्चित अनुमान नहीं लगाया जा सकता है.


यदि कुछ दिन बाद लंबी अवधि के लिए पाबंदियां लगायी जाती हैं, तो वापसी बेहद मुश्किल हो जायेगी, जैसा पिछले साल मार्च और अप्रैल में हुआ था. ऐसे में जिसे भी मौका मिल रहा है, वह अपने गांव लौटने की कोशिश कर रहा है. प्रवासी कामगार हमारी अर्थव्यवस्था के आधार हैं. स्थिति सामान्य होने के बाद उन्हें फिर शहरों में बुलाने में देरी होगी. इससे आर्थिक गतिविधियों को चालू करने में देरी होगी. उनके गांव लौटने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और राज्यों के इंतजाम भी प्रभावित होंगे.


इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को समझाने-बुझाने और उनके खाने-रहने की व्यवस्था करने पर प्राथमिकता से ध्यान देना चाहिए. कोरोना महामारी एक गंभीर मानवीय संकट में बदल चुकी है. प्रवासी कामगारों की वापसी उसे और गहरा बना देगी. इससे संक्रमण रोकने का सबसे प्रमुख काम बाधित होगा.

सौजन्य - प्रभात खबर।

Share on Google Plus

About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment