कोरोना वैक्सीनः सभी वयस्कों के लिए (नवभारत टाइम्स)

एक मई से शुरू हो रहे टीकाकरण अभियान के तीसरे फेज में किए गए बदलाव बेहद अहम हैं। ये बदलाव महामारी की दिनोदिन गंभीर होती चुनौती के मद्देनजर इस अभियान को व्यापक रूप देने में खास तौर पर मददगार होंगे। 18 वर्ष की उम्र से ऊपर के सभी लोगों को टीकाकरण के दायरे में लाना इसलिए भी आवश्यक था क्योंकि कोरोना की इस दूसरी लहर की चपेट में आने वालों में अच्छी खासी तादाद युवाओं की है। वैक्सीनेशन के पहले दोनों फेज में क्रमश: फ्रंटलाइन वॉरियर्स और 60 तथा 45 साल से ऊपर के लोगों को प्राथमिकता देने के पीछे कहीं न कहीं यह सोच भी थी कि युवा या तो संक्रमण की चपेट में आएंगे ही नहीं या आए भी तो उनका शरीर अपेक्षाकृत आसानी से वायरस के हमले को झेल जाएगा। मगर वायरस के नए वैरिएंट्स जिस तरह से युवाओं को निशाना बना रहे हैं उसे देखते हुए यह तर्क अब कारगर नहीं रह गया है। दूसरी बात यह कि इस दूसरी लहर के भयावह रूप लेने से कुछ पहले से ही देखा जा रहा था कि 45 साल से ऊपर की आबादी का जो हिस्सा घर से काम करते हुए खुद को सेफ मान रहा था, उसमें वैक्सीन को लेकर एक हिचक थी। दूसरी तरफ युवा आबादी का बड़ा हिस्सा जिसे काम-कामकाज के सिलसिले में या अन्य वजहों से बाहर निकलना पड़ रहा था, वैक्सीन लेकर निश्चिंत होना चाहता था, लेकिन उसकी वैक्सीन तक पहुंच नहीं बन पा रही थी। नई नीति इन दोनों असंगतियों को दूर करेगी।

टीका वितरण की प्रक्रिया में लाया गया लचीलापन भी स्वागत योग्य है। अब टीका उत्पादन का आधा हिस्सा ही केंद्र सरकार के पास जाएगा। बाकी आधे हिस्से में राज्य सरकारों तथा प्राइवेट हॉस्पिटलों को अपनी जरूरतों के अनुरूप सीधी खरीदारी करने का अधिकार होगा। ये और ऐसे अन्य बदलाव देश में टीकों की उपलब्धता को तो आसान बनाएंगे ही, आम जरूरतमंद लोगों की उस तक पहुंच भी सुनिश्चित करेंगे। हालांकि कुछ अस्पष्टताएं अभी बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए यह तो कह दिया गया है कि कुल उत्पादित टीके का आधा हिस्सा केंद्र सरकार को मिलेगा, और बाकी का आधा हिस्सा पूर्वघोषित कीमत पर राज्यों तथा प्राइवेट हॉस्पिटलों आदि को बेचा जा सकेगा। लेकिन जब कीमत एक ही होगी तो राज्य सरकारों और प्राइवेट पार्टियों की खरीद का प्रतिशत कैसे तय होगा? कहीं ऐसा न हो जाए कि प्राइवेट पार्टियां बड़ा हिस्सा खरीद लें और राज्य सरकारों को अपने अस्पतालों में गरीब व जरूरतमंद आबादी को देने के लिए टीका कम पड़ने लग जाए। उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसे अस्पष्ट पहलुओं पर भी केंद्र सरकार की गाइडलाइन समय से आ जाएगी और तीसरे फेज में टीकाकरण अभियान इतना व्यापक रूप ले सकेगा कि वायरस की चुनौती छोटी पड़ती चली जाएगी।

सौजन्य - नवभारत टाइम्स।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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