आत्म-दर्शन : व्यक्तित्व और नाम (पत्रिका)

इस्लाम ने बच्चों के अच्छे नाम निकाले जाने की हिदायत दी है। अच्छे अर्थ वाले नामों की अहमियत को दर्शाने के साथ ही इस्लाम ने किसी शख्स का नाम बिगाडऩे या गलत नामों से पुकारने से भी सख्त मना फरमाया है। कुरआन कहता है - 'ऐ लोगों, जो ईमान लाए हो! न पुरुषों का कोई गिरोह दूसरे पुरुषों की हंसी उड़ाए, सम्भव है वे उनसे अच्छे हों और न स्त्रियां स्त्रियों की हंसी उड़ाएं, सम्भव है वे उनसे अच्छी हों और न अपनों पर ताना कसो और न आपस में एक-दूसरे को बुरे नामों से पुकारो।' (कुरआन-49:11) इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद साहब (सल्ल.) ने अच्छे अर्थ वाले नाम रखने और बुरे अर्थ वाले नामों से बचने का निर्देश दिया। मुहम्मद साहब ने फरमाया - हर पिता की ये जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों के अच्छे नाम रखें। मुहम्मद साहब ने कहा, 'अच्छे नाम रखो, क्योंकि कयामत के दिन तुमको, तुम्हारे और पिता के नाम के साथ पुकारा जाएगा।'

पैगंबर मुहम्मद साहब ने ऐसे नाम रखने से मना फरमाया जो ईश्वर के नाम हों, एक ईश्वर के अलावा किसी दूसरे की दासता या फिर ईश्वरीय शक्ति को दर्शाने वाले नाम हों। नाम इंसान के व्यक्तित्व को निखारने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अच्छे नाम व्यक्ति को निखारने में मददगार होते हैं, वहीं बुरे अर्थ वाले नाम व्यक्तित्व पर नकारात्मक असर छोड़ते हैं।

सौजन्य - पत्रिका।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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