‘मद्रास हाईकोर्ट की’‘चुनाव आयोग को सख्त फटकार’ (पंजाब केसरी)

दूसरी लहर के दौरान देश में कोरोना महामारी का प्रकोप अत्यंत तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें चार राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और केंद्र शासित पुड्डुचेरी में कोरोना के प्रकोप के दौरान करवाए गए चुनावों ने इसमें और वृद्धि कर दी है। यहां

दूसरी लहर के दौरान देश में कोरोना महामारी का प्रकोप अत्यंत तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें चार राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और केंद्र शासित पुड्डुचेरी में कोरोना के प्रकोप के दौरान करवाए गए चुनावों ने इसमें और वृद्धि कर दी है। यहां तक कि पश्चिम बंगाल में जांच के दौरान हर दूसरा व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जा रहा है और देश के अन्य राज्यों में भी स्थिति इससे अधिक भिन्न नहीं है। 

चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों को विशाल रैलियां करके कोरोना प्रोटोकोल का उल्लंघन करने और नेताओं सहित बड़ी संख्या में लोगों के बिना मास्क पहने उनमें भाग लेने पर ध्यान न देने के लिए चुनाव आयोग इन दिनों आलोचना का पात्र बना हुआ है, जिसने कोरोना प्रोटोकोल का उल्लंघन करने वाली किसी पार्टी या नेता के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की। 

पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में चुनाव करवाने का आदेश देने व तीन अंतिम बचे चरणों का चुनाव एक साथ करवाने की मांग पर सहमत न होने के लिए भी चुनाव आयोग की आलोचना हो रही है, हालांकि तब तक यह स्पष्ट हो गया था कि भारत स्वास्थ्य संबंधी बहुत बड़े खतरे में घिर गया है। इन्हीं सब बातों को देखते हुए मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश माननीय संजीव बनर्जी व न्यायमूर्ति सेंथिल कुमार राममूर्ति पर आधारित पीठ ने संक्रमण के प्रसार के लिए चुनाव आयोग को सख्त फटकार लगाई है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने चुनाव आयोग को सबसे गैर-जिम्मेदार संस्था बताया और कहा कि इसके अधिकारियों के विरुद्ध हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है। 

अदालत ने कहा, ‘‘जब राजनीतिक रैलियां हो रही थीं उस समय क्या आप किसी दूसरे ग्रह पर थे? चुनावों के लिए राजनीतिक दलों को रैलियां व सभाएं करने की अनुमति देकर कोरोना महामारी की दूसरी लहर का रास्ता साफ करने के लिए सिर्फ और सिर्फ अकेला चुनाव आयोग ही जिम्मेदार है।’’ ‘‘सार्वजनिक स्वास्थ्य का सर्वाधिक महत्व है। यह चिंता की बात है कि संवैधानिक अधिकारियों को इस संबंध में याद दिलाना पड़ रहा है। अदालत द्वारा बार-बार यह आदेश देने के बावजूद कि कोविड प्रोटोकोल का पालन करो...कोविड प्रोटोकोल का पालन करो...आपने रैलियां करने वाली राजनीतिक पार्टियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की।’’ 

‘‘पिछले कुछ महीनों के दौरान चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों को कोविड प्रोटोकोल का उल्लंघन करने से न रोक कर भारी गैर-जिम्मेदारी का प्रदर्शन किया है। लोगों को मास्क पहनने, सैनेटाइजर इस्तेमाल करने और दूरी बरतने जैसे नियमों का भी पालन नहीं करवाया गया। आयोग अपने अधिकारों का प्रयोग करने में पूरी तरह विफल रहा और इसी कारण आज महामारी की दूसरी लहर कहर बरपा रही है।’’ जब चुनाव आयोग के वकील ने अदालत को बताया कि सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं तथा मतगणना केंद्रों पर भी सभी तरह के एहतियाती कदम उठाए जाएंगे तो दोनों न्यायाधीश गुस्से से बरस पड़े। 

अदालत ने चुनाव आयोग को स्वास्थ्य विभाग के सचिव से परामर्श के बाद मतगणना वाले दिन के लिए कोरोना दिशा-निर्देशों को लेकर 30 अप्रैल तक एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश देते हुए कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो हम 2 मई को होने वाली मतगणना पर रोक लगा देंगे। मद्रास हाईकोर्ट द्वारा चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करने के बाद इस विषय पर बहस शुरू हो गई है और यह अच्छा भी है क्योंकि इससे चुनाव आयोग अपनी कमियों के बारे में चिंतन-मनन करने को विवश होगा। 

जो भी हो, मद्रास हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीशों की टिप्पणियों की यदि उपेक्षा कर भी दी जाए तो भी इस बात से तो इंकार नहीं किया जा सकता कि सभी चुनावी राज्यों में कोरोना से बचाव संबंधी नियमों का सभी स्तरों पर घोर उल्लंघन होने के परिणामस्वरूप देश में किसी सीमा तक कोरोना के प्रसार में वृद्धि तो हुई ही है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध उचित कार्रवाई होनी ही चाहिए।—विजय कुमार

सौजन्य - पंजाब केसरी।

Share on Google Plus

About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment