अंतरिक्ष से मलबे व कचरे को हटाने के लिए जापान ने हाल ही एक सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया है। कजाकिस्तान स्थित एक अंतरिक्ष केंद्र से 22 मार्च को जापान स्टैंडर्ड टाइम (जेएसटी) के अनुसार दोपहर तीन बजे के बाद रूस के एक रॉकेट के जरिए यह सैटेलाइट लॉन्च किया गया, जो शाम तक अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंच गया। निस्संदेह अंतरिक्ष की सफाई के लिए दुनिया में पहली बार गंभीरता से कोई प्रयास किया गया है। टोक्यो स्थित स्टार्ट-अप एस्ट्रोस्केल द्वारा निर्मित इस सैटेलाइट का उद्देश्य अंतरिक्ष से कचरा और मलबा हटाने संबंधी कार्य को अंजाम देना है।
सैटेलाइट में एक 'सर्विसर' सैटेलाइट या जिसे 'कैचर' भी कह सकते हैं, लगा है तथा एक 'क्लाइंट' सैटेलाइट है जो प्रतीकात्मक कचरे के ढेर को दर्शाती है। 'सर्विसर' सैटेलाइट, 'क्लाइंट' सैटेलाइट को 340 मील (550 किलोमीटर) के अक्षांश पर छोड़ता है और उसके बाद सेंसरों की सहायता से उस तक पहुंचता है। यह सैटेलाइट एक शक्तिशाली चुम्बक से प्रतीकात्मक कचरे को उठाता है और जैसे ही ये दोनों पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचते हैं, जल जाते हैं।
अंतरिक्ष में छोड़ दिए गए सैटेलाइट और रॉकेट ही अंतरिक्ष का कचरा हैं। माना जाता है कि अंतरिक्ष में 10 सेंटीमीटर से बड़े आकार के 20,000 से अधिक कचरे के टुकड़े फैले हुए हैं और तीव्र गति से पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं। अगर कचरे का कोई टुकड़ा किसी कार्यशील सैटेलाइट या अंतरिक्ष में संचालित सुविधा केंद्र से टकरा जाता है तो न केवल उसकी कार्यप्रणाली में खराबी आ सकती है, यह किसी दुर्घटना का सबब भी बन सकता है।
सौजन्य - पत्रिका।
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