सरकार के टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण 1 मई से शुरू हो रहा है, जिसके लिए बुधवार से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया। इस चरण में 18 से 44 साल के लोगों को भी वैक्सीन लगाई जाएगी। इससे पहले 45 साल और उससे अधिक आयु वालों को टीका लगाया जा रहा था। इसके साथ मई से वैक्सीन पॉलिसी में कुछ और बदलाव हुए हैं। इनमें से एक यह है कि राज्यों और निजी अस्पतालों को खुद कंपनियों से वैक्सीन खरीदने को कहा गया है। अभी तक केंद्र इन कंपनियों से वैक्सीन खरीदकर राज्यों को देता रहा है और उनसे यह निजी अस्पतालों को मिलती है। अब इन अस्पतालों ने केंद्र से अपील की है कि कम से कम तीन महीने के लिए कंपनियों से खरीदकर वही उन्हें वैक्सीन दे। इसकी दो वजहें हैं। एक तो घरेलू कंपनियां कह रही हैं कि उन्हें वैक्सीन के लिए कुछ समय तक इंतजार करना पड़ेगा। वे पहले वादे के मुताबिक इसकी सप्लाई केंद्र और राज्य सरकारों को करेंगी। इसके बाद निजी अस्पतालों का नंबर आएगा। निजी अस्पतालों ने फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों से भी वैक्सीन खरीदने के लिए बात की है, लेकिन उनकी दिलचस्पी सीधे सरकार को इसकी बिक्री करने में है। यानी वहां से भी उन्हें तुरंत वैक्सीन नहीं मिलेगी।
दूसरी दिक्कत सप्लाई चेन यानी घरेलू वैक्सीन कंपनियों से निजी अस्पतालों तक इन्हें पहुंचाने को लेकर है। कंपनियों ने कहा है कि वे वैक्सीन अपनी कोल्ड चेन तक पहुंचा देंगी और वहां से अस्पतालों को इसे लेकर जाना होगा। अस्पतालों के पास अभी कोल्ड चेन और ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था नहीं है। इसे तैयार करने में उन्हें कुछ महीने लग जाएंगे। इसलिए उन्होंने केंद्र से मौजूदा व्यवस्था को जारी रखने की अपील की है। निजी अस्पताल इस सिलसिले में राज्य सरकारों से भी बात करने वाले हैं। एक मसला यह भी है कि केंद्र ने उनसे बची हुई वैक्सीन वापस करने को कहा है। इसका मतलब यह है कि 1 मई से टीकाकरण अभियान का बड़ा दौर शुरू होने पर निजी अस्पताल उसमें सहयोग नहीं कर पाएंगे, जबकि कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए तेजी से वैक्सिनेशन की जरूरत है। इसलिए केंद्र सरकार को उनकी इस मांग पर गौर करना चाहिए। अगर अभी की व्यवस्था के हिसाब से वैक्सीन की सप्लाई जारी रखी गई तो उससे छोटे अस्पताल भी इस अभियान में सहयोग दे पाएंगे क्योंकि उनके लिए सीधे कंपनियों से टीका खरीदना संभव नहीं होगा। न ही वे नई पॉलिसी के मुताबिक कोल्ड चेन और लॉजिस्टिक्स पर पैसा खर्च करने की स्थिति में हैं। सरकार को इस बारे में भी सोचना चाहिए क्योंकि इनकी मदद से दूरदराज के इलाकों में भी टीकाकरण अभियान में तेजी लाने में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि नई वैक्सीन पॉलिसी को कामयाब बनाने के लिए इन मुश्किलों को दूर करने की पहल की जाएगी।
सौजन्य - नवभारत टाइम्स।
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